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उपलब्धि: रिम्स में नई तकनीक से कॉर्निया का ट्रांसप्लांट, 2 लोगों की आंखों को मिली रोशनी

रिम्स में एक बार फिर से कॉर्निया ट्रांसप्लांट किया गया. यह ट्रांसप्लांट नई तकनीक की मदद से किया गया. इससे दो लोगों को नई रोशनी मिली है.

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रिम्स में कॉर्निया ट्रांसप्लांट
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Published : Aug 8, 2021, 12:32 PM IST

रांची: राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स में एक बार फिर से में कॉर्निया ट्रांसप्लांट किया गया. चिकित्सकों की टीम ने शनिवार को 2 लोगों की सफल सर्जरी कर उसके आंखों को नई रोशनी दी है. दरअसल, नेत्र विभाग के विभागाध्यक्ष डॉक्टर राजीव गुप्ता की निगरानी में भोजपुर के रहने वाले 26 वर्षीय युवक अमित कुमार का सफलतापूर्वक कॉर्निया ट्रांसप्लांट किया गया. कॉर्निया के सफल ट्रांसप्लांट होने से अब यह युवक अपनी आंखों से दुनिया को फिर से देख सकेंगे.

ये भी पढ़ें- बारिश होते ही झारखंड के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में मरीजों और परिजनों की बढ़ जाती है परेशानी

जानकारी के अनुसार युवक के दोनों आंखों की रोशनी चली गई थी और वह अपना इलाज देश के कई बड़े शहरों में करा चुका था. जिसके बाद वह थक हार कर रांची के रिम्स अस्पताल पहुंचा और जहां पर डॉ. राजीव गुप्ता की निगरानी में उसके कॉर्निया का सफल ट्रांसप्लांट कर उसकी आंखों की रोशनी फिर से वापस ला दी गई. वहीं, डोरंडा की रहने वाली 67 वर्ष मंजू देवी की भी आंखों की रोशनी मोतियाबिंद होने के कारण चली गई थी. मोतियाबिंद का ऑपरेशन कराने के बाद भी महिला को कुछ भी दिखाई नहीं देता था. जिसके बाद उसने अपना कॉर्निया ट्रांसप्लांट कराया और उनके भी आंखों की रोशनी लौट आई.

नेत्रदान करने की अपील

नेत्र विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. राजीव गुप्ता ने बताया कि नई तकनीक के माध्यम से दोनों कॉर्निया ट्रांसप्लांट किया गया है. जो कि निश्चित रूप से रिम्स के लिए बड़ी उपलब्धि है. डॉ. राजीव गुप्ता बताते हैं कि रिम्स में कॉर्निया ट्रांसप्लांट मुफ्त में किया जाता है. जबकि इसके लिए निजी अस्पतालों में पचास से साठ हजार तक खर्च होता है. उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा कि नेत्रदान करना एक महादान है और किसी के नेत्रदान से कोई अन्य व्यक्ति दुनिया देख सकता है. यह एक परोपकार है और यह हर किसी को करनी चाहिए ताकि किसी के जीवन से अंधेरा दूर किया जा सके और उसके जीवन में नई रोशनी लाई जा सके.

नेत्रदान के लिए जागरुकता की जरूरत

नेत्रदान के लिए जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है ताकि जिन लोगों की किसी दुर्घटना या अन्य कारणवश आंखें चली गई हैं, उनकी आंखों में रोशनी आ पाएगी और वह दुनिया देख पायेंगे.

रांची: राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स में एक बार फिर से में कॉर्निया ट्रांसप्लांट किया गया. चिकित्सकों की टीम ने शनिवार को 2 लोगों की सफल सर्जरी कर उसके आंखों को नई रोशनी दी है. दरअसल, नेत्र विभाग के विभागाध्यक्ष डॉक्टर राजीव गुप्ता की निगरानी में भोजपुर के रहने वाले 26 वर्षीय युवक अमित कुमार का सफलतापूर्वक कॉर्निया ट्रांसप्लांट किया गया. कॉर्निया के सफल ट्रांसप्लांट होने से अब यह युवक अपनी आंखों से दुनिया को फिर से देख सकेंगे.

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जानकारी के अनुसार युवक के दोनों आंखों की रोशनी चली गई थी और वह अपना इलाज देश के कई बड़े शहरों में करा चुका था. जिसके बाद वह थक हार कर रांची के रिम्स अस्पताल पहुंचा और जहां पर डॉ. राजीव गुप्ता की निगरानी में उसके कॉर्निया का सफल ट्रांसप्लांट कर उसकी आंखों की रोशनी फिर से वापस ला दी गई. वहीं, डोरंडा की रहने वाली 67 वर्ष मंजू देवी की भी आंखों की रोशनी मोतियाबिंद होने के कारण चली गई थी. मोतियाबिंद का ऑपरेशन कराने के बाद भी महिला को कुछ भी दिखाई नहीं देता था. जिसके बाद उसने अपना कॉर्निया ट्रांसप्लांट कराया और उनके भी आंखों की रोशनी लौट आई.

नेत्रदान करने की अपील

नेत्र विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. राजीव गुप्ता ने बताया कि नई तकनीक के माध्यम से दोनों कॉर्निया ट्रांसप्लांट किया गया है. जो कि निश्चित रूप से रिम्स के लिए बड़ी उपलब्धि है. डॉ. राजीव गुप्ता बताते हैं कि रिम्स में कॉर्निया ट्रांसप्लांट मुफ्त में किया जाता है. जबकि इसके लिए निजी अस्पतालों में पचास से साठ हजार तक खर्च होता है. उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा कि नेत्रदान करना एक महादान है और किसी के नेत्रदान से कोई अन्य व्यक्ति दुनिया देख सकता है. यह एक परोपकार है और यह हर किसी को करनी चाहिए ताकि किसी के जीवन से अंधेरा दूर किया जा सके और उसके जीवन में नई रोशनी लाई जा सके.

नेत्रदान के लिए जागरुकता की जरूरत

नेत्रदान के लिए जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है ताकि जिन लोगों की किसी दुर्घटना या अन्य कारणवश आंखें चली गई हैं, उनकी आंखों में रोशनी आ पाएगी और वह दुनिया देख पायेंगे.

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