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पैसों की तरह करनी पड़ेगी पानी की एकाउंटेंसी, दयनीय स्थिति में रांची के डैम - Indian Meteorologist

कभी तालाबों और झरनों की नगरी कही जाने वाली रांची पर अब गंभीर पेयजल संकट मंडरा रहा है. लगातार दो साल से हो रही कम बारिश के कारण राजधानी के तीनों डैम की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है.

सूख रही है झरनों की नगरी रांची
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Published : Sep 18, 2019, 6:18 PM IST

रांची: झारखंड में इस बार भी मानसून की दगाबाजी देखने को मिली है. कारणवश कम बारिश हुई है और खेतों की हालत काफी चिंताजनक है. बारिश नहीं होने के कारण लोग अपनी खेती सही समय पर नहीं कर सके, तो वहीं कम बारिश के कारण नदियां, तालाब, झील और डैम सब में पानी की घोर कमी देखने को मिल रही है.

वीडियो में देखिए स्पेशल रिपोर्ट

कम बारिश का असर रांची में साफ देखने को मिल रहा है. रांची के 3 सबसे बड़े डैम, कांके (गोंदा), रुक्का और हटिया डैम की स्थिति काफी दयनीय है. जलस्तर देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि आने वाले समय में लोगों को पानी की कितनी किल्लत होने वाली है. गौरतलब है कि ये डैम अब तक 40 फीसदी खाली पड़े हुए हैं.

भूगर्भशास्त्री नीतीश प्रियदर्शी के मुताबिक राजधानी की लगातार बढ़ती आबादी से वैसे ही जलसंकट था, अब तो बारिश भी कम हुई है. गर्मी की बात तो दूर अभी भी कई क्षेत्रों में तालाबों, हैंडपंप और कुआं में पानी नहीं है. साथ ही उन्होंने कहा कि अब वह दिन दूर नहीं जब लोग पैसों की तरह पानी के लिए भी एकाउंटेंसी करेंगे. अभी भी वक्त है लोग जागरूक हो जाएं और पानी की कीमत को समझें.

अब तक नहीं खुला हटिया डैम का फाटक

सबसे खराब हालत हटिया डैम की है. करीब 38 फीट की क्षमता वाले इस डैम में अब तक मात्र 15.4 फिट पानी पहुंचा है. वहीं, कांके डैम की क्षमता 28 फीट है, लेकिन अबतक 18.7 फीट पानी आया है. कांके डैम का जलस्तर इतना कम है कि बरसात में खुलने वाले फाटक को अबतक नहीं खोला गया. वहीं, गेतलसूद डैम का जलस्तर 26.9 फीट के साथ फिर भी ठीक है.

ये भी पढ़ें - गुआ गोलीकांड के शहीदों को श्रद्धांजलि, JMM विधायक ने कहा- सरकार बनी तो परिजनों को देंगे नौकरी

हालांकि एक बात जरूर है कि जिस तरह से क्लाइमेट बदल रहा है, इससे आने वाले दिनों में स्थिति काफी भयावह हो सकती है. रांची में जितने भी डैम हैं, सब ओपन डैम है. जिसका पानी किसी ना किसी रूप से बाहर निकल जाता है. जिस कारण जल संचय नहीं हो पाता.

भारतीय मौसम वैज्ञानिक ने पुष्टि की है कि राज्य में अभी तक कम बारिश हुई है. मौसम विभाग के अनुसार झारखंड में मानसून कम नहीं बल्कि काफी खराब है. मौसम विभाग निदेशक एसडी कोटाल ने बताया कि 6 जिलों में सामान्य से थोड़ी कम बारिश हुई है, लेकिन ज्यादातर जिलों में स्थिति भयावाह है. पूरे झारखंड की बात करें तो 29 फीसदी कम बारिश हुई. अब कुछ दिन मानसून बचा है. ऐसे में उम्मीद कम है कि मानसून कम बारिश की भरपाई कर सकेगा.

आंकड़े: 1 जून से 12 सितंबर 2018
⦁ जून महीने में 128.0 मिलीमीटर बारिश हुई जबकि 199 बारिश होनी थी यानी 36 फीसदी कम बारिश हुई.
⦁ जुलाई महीने में 275.5 मिलीमीटर बारिश हुई जबकि 322.3 मिलीमीटर बारिश होनी थी यानी 15 फीसदी कम बारिश हुई.
⦁ अगस्त महीने में 235.1 मिलीमीटर बारिश हुई जबकि 297.8 मिलीमीटर बारिश होनी थी इसबार 21 फीसदी कम बारिश हुई.
⦁ सितंबर महीने में 116.0 मिलीमीटर बारिश हुई, जबकि 109.7 मिली मीटर बारिश होनी थी यानी 6 फीसदी कम बारिश हुई.

आंकड़े: 1 जून से 12 सितंबर 2019 तक 29 फीसदी कम बारिश हुई
⦁ जून महीने में 89.9 मिलीमीटर बारिश हुई जबकि 199.9 बारिश होनी थी यानी 55 फीसदी कम बारिश हुई.
⦁ जुलाई महीने में 275.5 मिलीमीटर बारिश हुई जबकि 322.3 मिलीमीटर बारिश होनी थी यानी 15 फीसदी कम बारिश हुई.
⦁ अगस्त महीने में 243.1 मिलीमीटर बारिश हुई जबकि 322.3 मिलीमीटर बारिश होनी थी यानी 24 फीसदी कम बारिश हुई.
⦁ सितंबर महीने में अबतक 62.1 मिलीमीटर बारिश हुई जबकि 109.7 मिलीमीटर बारिश होनी थी यानी 47 फीसदी कम बारिश हुई.
⦁ 2018 में 1 जून से 12 सितंबर तक टोटल 754.6 मिलीमीटर बारिश हुई जबकि 929.7 यानी 19 फीसदी कम बारिश हुई.
⦁ इस वर्ष 2019 में 1 जून से 12 सितंबर तक 655.9 मिलीमीटर बारिश हुई जबकि 929.7 मिली मीटर बारिश होनी थी यानी राज्य में कुल अबतक 29 फीसदी कम बारिश हुई.

रांची: झारखंड में इस बार भी मानसून की दगाबाजी देखने को मिली है. कारणवश कम बारिश हुई है और खेतों की हालत काफी चिंताजनक है. बारिश नहीं होने के कारण लोग अपनी खेती सही समय पर नहीं कर सके, तो वहीं कम बारिश के कारण नदियां, तालाब, झील और डैम सब में पानी की घोर कमी देखने को मिल रही है.

वीडियो में देखिए स्पेशल रिपोर्ट

कम बारिश का असर रांची में साफ देखने को मिल रहा है. रांची के 3 सबसे बड़े डैम, कांके (गोंदा), रुक्का और हटिया डैम की स्थिति काफी दयनीय है. जलस्तर देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि आने वाले समय में लोगों को पानी की कितनी किल्लत होने वाली है. गौरतलब है कि ये डैम अब तक 40 फीसदी खाली पड़े हुए हैं.

भूगर्भशास्त्री नीतीश प्रियदर्शी के मुताबिक राजधानी की लगातार बढ़ती आबादी से वैसे ही जलसंकट था, अब तो बारिश भी कम हुई है. गर्मी की बात तो दूर अभी भी कई क्षेत्रों में तालाबों, हैंडपंप और कुआं में पानी नहीं है. साथ ही उन्होंने कहा कि अब वह दिन दूर नहीं जब लोग पैसों की तरह पानी के लिए भी एकाउंटेंसी करेंगे. अभी भी वक्त है लोग जागरूक हो जाएं और पानी की कीमत को समझें.

अब तक नहीं खुला हटिया डैम का फाटक

सबसे खराब हालत हटिया डैम की है. करीब 38 फीट की क्षमता वाले इस डैम में अब तक मात्र 15.4 फिट पानी पहुंचा है. वहीं, कांके डैम की क्षमता 28 फीट है, लेकिन अबतक 18.7 फीट पानी आया है. कांके डैम का जलस्तर इतना कम है कि बरसात में खुलने वाले फाटक को अबतक नहीं खोला गया. वहीं, गेतलसूद डैम का जलस्तर 26.9 फीट के साथ फिर भी ठीक है.

ये भी पढ़ें - गुआ गोलीकांड के शहीदों को श्रद्धांजलि, JMM विधायक ने कहा- सरकार बनी तो परिजनों को देंगे नौकरी

हालांकि एक बात जरूर है कि जिस तरह से क्लाइमेट बदल रहा है, इससे आने वाले दिनों में स्थिति काफी भयावह हो सकती है. रांची में जितने भी डैम हैं, सब ओपन डैम है. जिसका पानी किसी ना किसी रूप से बाहर निकल जाता है. जिस कारण जल संचय नहीं हो पाता.

भारतीय मौसम वैज्ञानिक ने पुष्टि की है कि राज्य में अभी तक कम बारिश हुई है. मौसम विभाग के अनुसार झारखंड में मानसून कम नहीं बल्कि काफी खराब है. मौसम विभाग निदेशक एसडी कोटाल ने बताया कि 6 जिलों में सामान्य से थोड़ी कम बारिश हुई है, लेकिन ज्यादातर जिलों में स्थिति भयावाह है. पूरे झारखंड की बात करें तो 29 फीसदी कम बारिश हुई. अब कुछ दिन मानसून बचा है. ऐसे में उम्मीद कम है कि मानसून कम बारिश की भरपाई कर सकेगा.

आंकड़े: 1 जून से 12 सितंबर 2018
⦁ जून महीने में 128.0 मिलीमीटर बारिश हुई जबकि 199 बारिश होनी थी यानी 36 फीसदी कम बारिश हुई.
⦁ जुलाई महीने में 275.5 मिलीमीटर बारिश हुई जबकि 322.3 मिलीमीटर बारिश होनी थी यानी 15 फीसदी कम बारिश हुई.
⦁ अगस्त महीने में 235.1 मिलीमीटर बारिश हुई जबकि 297.8 मिलीमीटर बारिश होनी थी इसबार 21 फीसदी कम बारिश हुई.
⦁ सितंबर महीने में 116.0 मिलीमीटर बारिश हुई, जबकि 109.7 मिली मीटर बारिश होनी थी यानी 6 फीसदी कम बारिश हुई.

आंकड़े: 1 जून से 12 सितंबर 2019 तक 29 फीसदी कम बारिश हुई
⦁ जून महीने में 89.9 मिलीमीटर बारिश हुई जबकि 199.9 बारिश होनी थी यानी 55 फीसदी कम बारिश हुई.
⦁ जुलाई महीने में 275.5 मिलीमीटर बारिश हुई जबकि 322.3 मिलीमीटर बारिश होनी थी यानी 15 फीसदी कम बारिश हुई.
⦁ अगस्त महीने में 243.1 मिलीमीटर बारिश हुई जबकि 322.3 मिलीमीटर बारिश होनी थी यानी 24 फीसदी कम बारिश हुई.
⦁ सितंबर महीने में अबतक 62.1 मिलीमीटर बारिश हुई जबकि 109.7 मिलीमीटर बारिश होनी थी यानी 47 फीसदी कम बारिश हुई.
⦁ 2018 में 1 जून से 12 सितंबर तक टोटल 754.6 मिलीमीटर बारिश हुई जबकि 929.7 यानी 19 फीसदी कम बारिश हुई.
⦁ इस वर्ष 2019 में 1 जून से 12 सितंबर तक 655.9 मिलीमीटर बारिश हुई जबकि 929.7 मिली मीटर बारिश होनी थी यानी राज्य में कुल अबतक 29 फीसदी कम बारिश हुई.

Intro:रांची
स्पेशल स्टोरी....
बाइट-- बलराम कांके डैम मत्स्य पालक
बाइट-- नितेश प्रियदर्शी भूगर्भशास्त्री
बाइट--एस डी कोटाल मौसम विभाग निदेशक

रांची के डैमो की स्थिति काफी दयनीय जलस्तर काफी नीचे, समझ सकता है पानी के लिए हाहाकार

झारखंड में इस बार मानसून की दगाबाजी के कारण कम बारिश हुई है कम बारिश और खेतों की हालत काफी चिंताजनक है क्योंकि समय से बारिश नहीं होने के कारण लोग अपनी खेती सही समय पर नहीं कर सके तो वही कम बारिश के कारण नदिया तालाब झील डैम सब में पानी की घोर कमी देखने को मिली राज्य में इस बार - 29% कम बारिश हुई या नहीं 837 एमएम की जगह 598 एमएम बारिश हुई है जिसके कारण धान की रोपनी में काफी प्रभाव पड़ा आंकड़े के अनुसार 72 फीसदी धान की रोपनी हो पाई है।

कम बारिश असर रांची में साफ देखने को मिल रहा है, रांची के 3 सबसे बड़े कांके डैम (गोंदा) रुक्का डैम और हटिया डैम की स्थिति काफी दयनीय है क्योंकि कम बारिश के कारण डैम का मंजर देखकर यहां अंदाजा लग जाता है क्या आने वाले समय में लोगों को पानी का कितना किल्लत होने वाला है क्योंकि इन डैमो में अब तक 40% खाली पड़ा हुआ है सबसे खराब हालत हटिया डैम की है 38 फीट की क्षमता वाले इस हटिया डैम में अब तक मात्र 15.4 फिट पानी पहुंच सका है वही कांके (गोंदा) डैम की क्षमता 28 फीट है लेकिन अब तक 18.7 फीट पानी आई है। यहां तक कि बरसात में खुलने वाली फाटक भी अब तक नहीं खोल सकी है क्योंकि पानी का स्तर फाटक से भी नीचे है। गेतलसूद डैम का मंजर वही है पानी के स्तर 26.9 फिर ठीक है


Body:कम बारिश और मानसून का दगाबाजी को लेकर भूगर्भ शास्त्री ने कहा कि बारिश दो कारणों से होती है एक तो पर्यावरण और दूसरा मौसम के कारण लेकिन अब झारखंड की वह नेचर रही नहीं जिसके कारण बारिश हो तो वही समय से बारिश नहीं होना इसमें थोड़ी परिवर्तन हुई है यही कारण है किसी क्षेत्रों में अत्याधिक बारिश होती है तो कोई कोई क्षेत्र में सूखा हो जाता है यह सब नेचर पर डिपेंड करता है। लेकिन एक बात जरूरी है कि जिस तरह से क्लाइमेंट बदल रहा है आने वाले दिनों में स्थिति काफी भयावह होने वाली है क्योंकि छोटे-छोटे नदिया तलाव के किनारे लोग इनकरेजमेंट तेजी से करते जा रहे हैं क्योंकि वह नहीं नदियों से डैम में पानी आता था लेकिन अब उसका स्रोत भी बंद हो गया है साथ ही जितने भी रांची में डैम है सब ओपन डैम है जिसका पानी किसी ना किसी रूप से बाहर निकल जाता है उसके कारण जल संचय नहीं हो पाता वह दिन दूर नहीं जब लोग पानी के लिए एकाउंटेंसी करेंगे जिस तरह से लोग अपने पैसे का हिसाब किताब करते हैं। अभी भी वक्त है कि लोग वक्त से पहले जागरूक हो जाएं और पानी कीमतों को समझे और पानी को बचाएं


पिछले वर्ष की तुलना इस वर्ष कितनी हुई कम बारिश, चार्ट के माध्यम से 2018 और 2019 में हुए बारिश का आंकड़ा


2018 में मानसून में राज्य में 1 जून से 12 सितंबर तक कितनी हुई बारिश

जून महीने में 128.0 मिलीमीटर बारिश हुई जबकि 199 बारिश होनी थी यानी - 36% कम बारिश हुई

जुलाई महीने में 275.5 मिलीमीटर बारिश हुई जबकि 322.3 मिलीमीटर बारिश होनी थी या नहीं - 15% कम बारिश हुई

अगस्त महीने में 235.1 मिलीमीटर बारिश हुई जबकि 297.8मिलीमीटर बारिश होनी थी यानी -21% बारिश हुई

सितंबर महीने में अब तक 116.0 मिलीमीटर बारिश हुई जबकि 109.7 मिली मीटर बारिश होनी थी या नहीं +6 प्रतिशत बारिश हुई

वहीं 2019 में 1 जून से 12 सितंबर तक में हुई -29% बारिश हुई


जून महीने में 89.9 मिलीमीटर बारिश हुई जबकि 199.9 बारिश होनी थी यानी - 55% कम बारिश हुई

जुलाई महीने में 275.5 मिलीमीटर बारिश हुई जबकि 322.3 मिलीमीटर बारिश होनी थी या नहीं - 15% कम बारिश हुई

अगस्त महीने में 243.1 मिलीमीटर बारिश हुई जबकि 322.3मिलीमीटर बारिश होनी थी यानी -24% बारिश हुई

सितंबर महीने में अब तक 62.1मिलीमीटर बारिश हुई जबकि 109.7 मिली मीटर बारिश होनी थी या नहीं -47 प्रतिशत बारिश हुई

2018 में 1 जून से 12 सितंबर तक टोटल 754.6 मिलीमीटर बारिश हुई जबकि 929.7 यानी -19% कम बारिश हुई थी

इस वर्ष 2019 में 1 जून से 12 सितंबर तक 655.9 मिलीमीटर बारिश हुई जबकि 929.7 मिली मीटर बारिश होनी थी यानी राज्य में कुल अब तक - 29% कम बारिश हुई है

Conclusion:भारतीय मौसम विज्ञानिक ने पुष्टि की है कि राज्य में कम बारिश अभी तक हुई है मौसम विभाग के अनुसार झारखंड में मॉनसून कम नहीं बल्कि काफी खराब है मौसम विभाग निदेशक एसडी कोटाल ने बताया कि 6 जिलों में जिसमें सामान्य से थोड़ी कम बारिश हुई है लेकिन ज्यादातर जिलों में स्थिति भयावाह है पूरे झारखंड की बात करें तो - 29% कम बारिश हुई है। और अब कुछ दिन मानसून बचा हुआ है ऐसे में उम्मीद कम है कि मानसून कम बारिश की भरपाई कर सके यानी पिछले वर्ष के वनस्पति इस वर्ष काफी कम बारिश हुई है जिसके वजह से पूरे राज्य में धान की रोपनी सहित कई चीजों में हम पीछे रह गए।
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