रांची: ईटीवी भारत में खबर चलने के बाद राजधानी रांची के बीचो-बीच स्थित मंत्री रामेश्वर उरांव के आवास के ठीक सामने संचालित प्राथमिक स्कूल की व्यवस्थाओं में बदलाव आ गया है. बदलाव के बाद शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने स्कूल परिसर में एक बैठक की और ईटीवी भारत की टीम को भी धन्यवाद दिया.
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राजधानी रांची के बरियातू स्थित डीआईजी ग्राउंड के प्राथमिक स्कूल की हालत में सुधार किया गया है. इस स्कूल की मूलभूत सुविधाओं और समस्याओं से जुड़ी एक रिपोर्ट ईटीवी भारत ने प्रकाशित की थी. जिसके बाद शिक्षा मंत्री ने इसपर संज्ञान लिया. अब स्कूल परिसर में बिजली की व्यवस्था करा दी गई है. स्कूल निर्माण के बाद से ही इस स्कूल में बिजली की सुविधा नहीं थी. यानी 20 वर्ष बाद इस स्कूल में बिजली पहुंची है और प्रदेश के कोई शिक्षा मंत्री भी इस स्कूल परिसर में पहुंचकर बैठक की है.
वहीं, बच्चों के कम उपस्थिति को लेकर शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने इस दौरान चिंता व्यक्त की है. इसी मौके पर शिक्षा पदाधिकारियों को शिक्षा मंत्री ने फटकार भी लगाई है. शिक्षा मंत्री के ऐसे कई सवालों का जवाब मौके पर शिक्षा पदाधिकारियों ने नहीं दिया. जिससे शिक्षा मंत्री नाराज भी दिखे. उन्होंने कहा कि ऐसे में शिक्षा व्यवस्था कैसे पटरी पर आएगी जब विभागीय पदाधिकारियों को स्कूलों के समय अवधि और पठन-पाठन के संबंध में जानकारी नहीं है.
मौके पर स्थानीय लोगों से भी चर्चा की गई और स्थानीय समस्याओं पर भी उन्होंने लोगों के साथ बातचीत की है. स्कूल परिसर के सुरक्षा को लेकर शिक्षकों ने सवाल खड़े किए हैं. शिक्षकों ने मंत्री को जानकारी देते हुए कहा कि स्कूल परिसर में सुरक्षा की कमी है. मौके पर ही शिक्षा मंत्री ने संबंधित थाना को अतिरिक्त पेट्रोलिंग व्यवस्था करने के निर्देश दिया है. दूसरी ओर 15 दिनों के अंदर जिले के तमाम स्कूलों के बिजली पानी शौचालय जैसी मूलभूत सुविधाओं से जुड़ी रिपोर्ट सौंपने को कहा है.
एक सप्ताह के अंदर स्कूलों में नामांकन और उपस्थिति की स्थिति को लेकर भी रिपोर्ट बनाने का निर्देश दिया गया है. स्थानीय युवाओं द्वारा विभिन्न नियुक्ति और बेरोजगारी के साथ-साथ 1932 के खतियान के तहत नियुक्ति को लेकर सवाल पूछा गया. इस दौरान उन्होंने कहा कि 1932 का खतियान इस राज्य में जरूर लागू होगा. बातचीत के दौरान शिक्षा मंत्री ने कहा कि ईटीवी भारत पर खबर प्रकाशित होने के बाद काफी त्वरित गति से स्कूल में सुधार किया गया है. ऐसे ही परेशानियों को मीडिया द्वारा उठाया जाता रहा और मीडिया का सपोर्ट मिलता रहा तो शिक्षा व्यवस्था भी झारखंड कि जल्दी ही पटरी पर दिखेगी.