रांची: 29 दिसंबर को झारखंड सरकार के दो साल पूरे होने पर सीएम हेमंत सोरेन बिरसा गांव सह कृषक पाठशाला योजना की लॉन्चिंग करेंगे. इस योजना के तहत कृषि पाठशाला के चारों ओर के गांव इस पाठशाला से जुड़ेंगे. पाठशाला में किसानों को परंपरागत खेती के अलावा आधुनिक खेती की जानकारी दी जाएगी.
ये भी पढ़ें- हेमंत सरकार के दो साल, जानिए कितने पास कितने फेल
राज्य स्तरीय रबी कर्मशाला का आयोजन
कृषि विभाग की तरफ से आज (24 दिसंबर ) राज्य स्तरीय रबी कर्मशाला का आयोजन रामकृष्ण मिशन सभागार में किया गया. जिसमें कैसे कृषि को लाभकारी बनाया जाय , कृषि के क्षेत्र में तकनीक ,कृषि यंत्रीकरण का इस्तेमाल कैसे किया जा सकता है इस विषय पर विशेष चर्चा की गई. इस दौरान बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक डॉक्टर दिनेश रूसिया ने बताया कि गर्मी के दिनों में खेतों की बेहतर जुताई का लाभ रबी फसल की खेती में मिलेगा. कई कृषि वैज्ञानिकों ने बताया कि झारखंड के ज्यादातर जिलों में जहां की मिट्टी कड़ी है वहां जीरो टीलेज कांसेप्ट सक्सेसफुल नहीं है.
कार्यक्रम के दौरान ही कृषि निदेशक निशा उरांव सिंहमार ने बताया कि मुख्यमंत्री 29 दिसंबर को राज्य में महत्वाकांक्षी बिरसा गांव सह कृषि पाठशाला योजना की लॉन्चिंग करेंगे. इस योजना के तहत कृषि पाठशाला के चारों ओर के गांव इस पाठशाला से जुड़े होंगे. इस पाठशाला में किसानों को परंपरागत खेती के अलावा आधुनिक खेती की जानकारी दी जाएगी. इस कार्यक्रम की शुरुआत 17 बीज प्रक्षेत्र से होगी जिसे अगल वर्ष तक बढ़ाकर 50 प्रक्षेत्र तक किया जाएगा. सरकार का लक्ष्य राज्य में कुल 100 कृषक पाठशाला बनाना है.
कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़
कृषि निदेशक निशा उरांव सिंहमार ने कृषि को भारत की संस्कृति बताते हुए कहा कि कोरोनाकाल में यह साबित हो गया कि कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है. उन्होंने बताया कि राज्य में लगभग 51 लाख मीट्रिक टन धान की उपज इस वर्ष होने की संभावना है. कृषि निदेशक ने कहा कि झारखंड में सरकार समय पर किसानों को बीज खाद उपलब्ध करा रही है. राज्य को ऑर्गेनिक फार्मिंग की ओर ले जाने की जरूरत बताते हुए कृषि निदेशक ने कहा कि इस वर्ष 26 हजार किसानों को प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई से जोड़ने का लक्ष्य है.
राष्ट्रीय किसान दिवस पर संकल्प का दिन
कार्यक्रम में बोलते हुए राज्य के कृषि एवं पशुपालन मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा कि झारखंड ने कृषि के क्षेत्र में तरक्की की है पर कई मानकों पर हम राष्ट्रीय औसत से पीछे हैं. ऐसे में हमे किसी न किसी फसल को टारगेट कर उसमें बेहतरीन काम करना होगा. हमारे GDP में कृषि योगदान को बढ़ाना होगा. उन्होंने बताया कि 1331 करोड़ 81 लाख रुपये की कृषि ऋण माफी अभी तक हुई है. किसानों को नए ऋण के लिए सरकार ने फिर एक बार गारंटी ली है ताकि किसानों को बैंक से लोन मिल सके. कृषि मंत्री ने कहा कि प्रगतिशील किसानों की दूसरी और तीसरी लाइन तैयार करने की जरूरी है. बादल पत्रलेख ने कहा कि राज्य के कृषि को जनप्रतिनिधियों, अधिकारियों से भी जोड़ा जाएगा.