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सीएम ने गृहमंत्री अमित शाह को लिखा पत्र, कुड़ुख और मुंडारी को 8वीं अनुसूची में शामिल करने की मांग - मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन

सीएम हेमंत सोरेन ने जनजातीय भाषा मुंडारी और कुड़ुख को देश के संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल करने की केंद्र सरकार से गुजारिश की है. इस बाबत सीएम ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखा है.

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सीएम हेमंत सोरेन और अमित शाह
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Published : Aug 22, 2020, 6:36 PM IST

रांची: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने प्रदेश में बोली जाने वाली जनजातीय भाषा मुंडारी और कुड़ुख को संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल करने के लिए केंद्र सरकार से गुजारिश की है. इस बाबत सीएम हेमंत सोरेन ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को पत्र लिखा है.

पत्र में सीएम सोरेन ने लिखा है कि झारखंड एक आदिवासीबहुल राज्य है. साथ ही यहां के बड़े क्षेत्र में जनजातीय भाषाएं प्रचलन में हैं. उन्होंने कहा कि संताली भाषा की तरह इन जनजातीय भाषाओं को भी 8वीं अनुसूची में शामिल किया जाए, ताकि इनके संरक्षण के लिए और अधिक प्रयास किए जा सकें.

मुंडारी और कुड़ुख प्रदेश की द्वितीय राजभाषा

सीएम ने अपने पत्र में लिखा है कि राज्य सरकार जनजातीय भाषाओं के विकास और संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है. साथ ही इस दिशा में कई कदम भी उठाए हैं. उन्होंने कहा कि झारखंड में मुंडारी और कुड़ुख को पहले ही द्वितीय राजभाषा का दर्जा दिया जा चुका है. सीएम ने गृह मंत्री से आग्रह किया है कि इन भाषाओं को 8वीं अनुसूची में शामिल कराएं ताकि इनके विकास और संरक्षण का मार्ग प्रशस्त हो.

ये भी पढ़ें- नदी की तेज धार में बहने से महिला की मौत, बच्ची लापता


इन भाषाओं को भी मिल चुका है द्वितीय राजभाषा का दर्जा

पूर्ववर्ती सरकार ने जुलाई 2018 में बांग्ला, मैथिली, भोजपुरी, मगही और अंगिका को भी द्वितीय राजभाषा का दर्जा दिया था, जबकि झारखंड में उर्दू, संताली, मुंडारी, हो, खड़िया, कुड़ुख, कुरमाली, खोरठा, नागपुरी, पंचपरगानिया और उड़िया भाषा को भी द्वितीय राजभाषा का दर्जा दिया जा चुका है.

रांची: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने प्रदेश में बोली जाने वाली जनजातीय भाषा मुंडारी और कुड़ुख को संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल करने के लिए केंद्र सरकार से गुजारिश की है. इस बाबत सीएम हेमंत सोरेन ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को पत्र लिखा है.

पत्र में सीएम सोरेन ने लिखा है कि झारखंड एक आदिवासीबहुल राज्य है. साथ ही यहां के बड़े क्षेत्र में जनजातीय भाषाएं प्रचलन में हैं. उन्होंने कहा कि संताली भाषा की तरह इन जनजातीय भाषाओं को भी 8वीं अनुसूची में शामिल किया जाए, ताकि इनके संरक्षण के लिए और अधिक प्रयास किए जा सकें.

मुंडारी और कुड़ुख प्रदेश की द्वितीय राजभाषा

सीएम ने अपने पत्र में लिखा है कि राज्य सरकार जनजातीय भाषाओं के विकास और संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है. साथ ही इस दिशा में कई कदम भी उठाए हैं. उन्होंने कहा कि झारखंड में मुंडारी और कुड़ुख को पहले ही द्वितीय राजभाषा का दर्जा दिया जा चुका है. सीएम ने गृह मंत्री से आग्रह किया है कि इन भाषाओं को 8वीं अनुसूची में शामिल कराएं ताकि इनके विकास और संरक्षण का मार्ग प्रशस्त हो.

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इन भाषाओं को भी मिल चुका है द्वितीय राजभाषा का दर्जा

पूर्ववर्ती सरकार ने जुलाई 2018 में बांग्ला, मैथिली, भोजपुरी, मगही और अंगिका को भी द्वितीय राजभाषा का दर्जा दिया था, जबकि झारखंड में उर्दू, संताली, मुंडारी, हो, खड़िया, कुड़ुख, कुरमाली, खोरठा, नागपुरी, पंचपरगानिया और उड़िया भाषा को भी द्वितीय राजभाषा का दर्जा दिया जा चुका है.

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