रांची: 25 लाख के इनामी पीएलएफआई सुप्रीमो दिनेश गोप के खिलाफ हुलातुपू एनकाउंटर में शामिल रहने के सबूत सीआईडी को नहीं मिल पाया है. जिसके बाद सीआईडी ने मुठभेड़ के मामले में साक्ष्य नहीं मिलने के कारण दिनेश गोप और उसके सहयोगी जागेश्वर गोप के खिलाफ साक्ष्य की कमी दिखाते हुए अंतिम प्रतिवेदन कोर्ट में समर्पित कर केस की फाइल को बंद कर दिया है.
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तत्कालीन थानेदार ने दर्ज करायी थी एफआईआर: 24 सितंबर 2017 को सिमडेगा जिले के गिरदा थाना क्षेत्र के हुलातुपू में पुलिस और पीएलएफआई के बीच मुठभेड़ की वारदात हुई थी. जिसमें तीन पीएलएफआई उग्रवादी मारे गए थे. मुठभेड़ के बाद तत्कालीन थानेदार जॉन मुर्मू ने पीएलएफआई सुप्रीमो दिनेश गोप, जागे उर्फ जागेश्वर सिंह, आकाश सिंह उर्फ दान सिंह, राधा नायक उर्फ राधे सिंह एवं दस्ता के तीन चार अन्य सदस्यों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करायी थी. जांच के दौरान जिला पुलिस ने आकाश सिंह उर्फ बान सिंह उर्फ कन्हैया सिंह के खिलाफ चार्जशीट दायर किया था. वहीं इस मामले की जांच बाद में सीआईडी ने केस टेकओवर किया था.
सीआईडी ने जांच में किसे पाया दोषी: सीआईडी ने अपनी जांच में नामजद अभियुक्त राधा उर्फ राधे सिंह, मनीष सुरीन एवं लालू लोहरा को मृत दिखाते हुए चार्जशीट दायर किया. लेकिन जांच में दिनेश गोप , जागे उर्फ जागेश्वर के खिलाफ ठोस साक्ष्य नहीं मिला. ऐसे में इस केस में सीआईडी ने दिनेश गोप के खिलाफ साक्ष्य की कमी दिखाते हुए सिमडेगा कोर्ट में अंतिम आरोप पत्र दायर कर केस की फाइल बंद कर दिया है.