रांची: झारखंड में महिलाओं के खिलाफ लगातार वारदात सामने आ रहे हैं (Cases of crime against women and girls) लोहरदगा में खेत में काम करने गई एक 55 वर्षीय महिला का पुलिस के दो जवानों ने गैंगरेप किया. दरिंदगी की हद यह कि उन्होंने महिला के नाजुक अंगों पर किसी धारदार चीज से वार किया. महिला रांची के रिम्स में जिंदगी-मौत से जूझ रही है. इसी जिले के में 40 साल का दीपक नायक पड़ोस में रहने वाली 9 साल की बच्ची को किसी बहाने पास के एक स्कूल में ले गया और उसका रेप किया. घर के लोग बच्ची की तलाश में निकले तो वह स्कूल के पास खून से लथपथ बेहोशी की हालत में मिली.
गढ़वा जिले के चिनिया थाना क्षेत्र के सरईदोहर गांव में दुर्गा पूजा पंडाल में सांस्कृतिक कार्यक्रम देखने गई एक नाबालिग लड़की का अपहरण कर कुछ लोगों ने उसका गैंगरेप किया. रांची के तमाड़ थाना अंतर्गत रांची बारेडीह गांव में एक 55 वर्षीय महिला को डायन करार देकर उसके अपने ही भतीजे जय स्वांसी ने धारदार हथियार से काट डाला. खूंटी के मारंगहादा गांव में मंगरा नाग ने अपनी भाभी को डायन होने के संदेह में लाठियों से पीट-पीटकर मार डाला. हजारीबाग जिले के बड़कागांव थाना अंतर्गत नापो खुर्द गांव में शशि कुमार नाम के व्यक्ति ने अपनी नवविवाहिता गर्भवती पत्नी पूजा की गोली मारकर हत्या कर दी.
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झारखंड में महिलाओं-बच्चियों से दरिंदगी और बर्बरता भरी ये वारदात उस वक्त की हैं, जब नवरात्रि के नौ दिनों में जब चहुंओर देवी की आराधना के मंत्र गूंज रहे थे. पुलिस-प्रशासन और सरकार के तमाम दावों के बावजूद पूरा राज्य मां-बहन-बेटियों के कत्लगाह और भयावह यातना गृह में तब्दील हो गया लगता है.
दुमका में बीते 40 दिनों में लड़कियों-महिलाओं के खिलाफ रोंगटे खड़ी करने चार वारदातें हुई हैं. बीते 23 अगस्त को दुमका नगर थानाक्षेत्र में शाहरुख नाम के एक युवक ने 12वीं की छात्रा पर पेट्रोल छिड़ककर आग लगा दी. अपने जख्मों के साथ हॉस्पिटल में पांच दिनों तक संघर्ष के बाद छात्रा ने दम तोड़ दिया. उसका कसूर सिर्फ यह था कि शाहरुख उसपर बातचीत और दोस्ती का दबाव डालता था, लेकिन उसने इससे इनकार कर दिया था.
दो सितंबर को दुमका के दिग्घी ओपी क्षेत्र में एक नाबालिग लड़की से रेप के बाद उसकी हत्या कर दी गई और इसके बाद उसकी लाश एक पेड़ से लटका दी गई. आरोपी अरमान नाम का युवक शादी का झांसा देकर कई महीनों से उसका यौन शोषण कर रहा था. 24 सितंबर को इसी जिले के जिले के सरैयाहाट प्रखंड अंतर्गत असवारी गांव के दबंगों ने तीन महिलाओं सहित चार लोगों को डायन-ओझा करार देकर जबरन मल-मूत्र पिलाया और उन्हें लोहे की गर्म छड़ों से दागा. चौथी वारदात 6 अक्टूबर की रात की है, जब दुमका जिला अंतर्गत जरमुंडी थाना क्षेत्र के भरतपुर भालकी गांव में राजेश राउत नामक शख्स ने 19 वर्षीय मारुति कुमारी के घर में घुसकर उसपर पेट्रोल उड़ेलकर आग लगा दी. मारुति उस वक्त गहरी नींद में थी. आग लगते ही वह चीखने लगी. आग लगाने वाले राजेश को उसने भागते हुए देखा. राजेश राउत शादीशुदा है, लेकिन इसके बावजूद वह मारुति और उसके घर वालों पर शादी के लिए दबाव बना रहा था। मारुति ने अगले दिन इलाज के लिए रिम्स रांची लाये जाने के दौरान दम तोड़ दिया.
7 अक्टूबर को लोहरदगा जिले के किस्को थाना क्षेत्र में पप्पू तुरी नाम के एक युवक ने अपनी पत्नी के किसी और से अवैध संबंध के शक में अपनी चार वर्षीय पुत्री को जिंदा जला डाला. मासूम बच्ची 80 फीसदी जल गई है. इसी रोज लातेहार में एक आर्केस्ट्रा कार्यक्रम देखकर घर लौटने के लिए रेलवे स्टेशन पहुंची 12 साल की एक नाबालिग से 11 युवकों ने गैंगरेप किया. 8 अक्टूबर को रांची तुपुदाना थाना क्षेत्र में 65 वर्ष की एक महिला को डायन करार देकर कुल्हाड़ी से काट डाला गया.
दरअसल, राज्य के हर कोने में ऐसी घटनाओं-वारदातों का अंतहीन सिलसिला है. झारखंड को अलग राज्य बने 23 साल पूरे होने वाले हैं और इस दौरान राज्य में डायन-ओझा के संदेह में एक हजार से भी ज्यादा लोगों की हत्या हुई है. डायन हिंसा और प्रताड़ना का शिकार हुए लोगों में 90 फीसदी महिलाएं हैं.
पुलिस के आंकड़े बताते हैं कि पिछले सात वर्षों में डायन-बिसाही के नाम पर झारखंड में हर साल औसतन 35 हत्याएं हुईं हैं. अपराध अनुसंधान विभाग (सीआईडी) के आंकड़ों के मुताबिक 2015 में डायन बताकर 46 लोगों की हत्या हुई. साल 2016 में 39, 2017 में 42, 2018 में 25, 2019 में 27, 2020 में 28 और 2021 में 22 हत्याएं हुईं. इस वर्ष अब तक डायन के नाम पर 23 हत्याएं हुई हैं. इस तरह साढ़े सात वर्षों का आंकड़ा कुल मिलाकर 250 से ज्यादा है. डायन बताकर प्रताड़ित करने के मामलों की बात करें तो 2015 से लेकर 2020 तक कुल 4556 मामले पुलिस में दर्ज किये गये. यानी हर रोज दो से तीन मामले पुलिस के पास पहुंचते हैं.
एनसीआरबी (नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो) के आंकड़ों के मुताबिक रेप की घटनाओं के मामले में झारखंड देश में आठवें नंबर पर है. वर्ष 2021 में राज्य में बलात्कार के 1425 मामले दर्ज किए गए. यानी औसतन हर 6 घंटे में दुष्कर्म की एक घटना हो रही है. ये वो आंकड़े है जो थाने में रजिस्टर्ड हुए हैं. इसके अलावा झारखंड में महिलाओं पर हमला करने के 164 मामले दर्ज हुए. इसी तरह दहेज प्रताड़ना के 1805, बलात्कार के प्रयास के 164 मामले सामने आये. इनमें 55 मामले गैंगरेप के थे. 46 ऐसे मामले दर्ज किए गए जिसमें महिलाएं या बच्चियां दूसरी बार रेप का शिकार हुईं. वर्ष 2021 में झारखंड में रेप के मुकदमों में 720 लोगों को सजा सुनाई गई, जिसमें 703 पुरुष और 17 महिला आरोपी शामिल हैं. एनसीआरबी की रिपोर्ट बताती है कि झारखंड में 18 से 30 साल की महिलाएं सबसे ज्यादा असुरक्षित हैं. 2021 रेप के कुल 1425 मामलों में 901 केस ऐसे हैं, जिसमें पीड़िताएं 18 से 30 साल की थीं.
झारखंड हाईकोर्ट के अधिवक्ता और कई सामाजिक संगठनों से जुड़े योगेंद्र यादव आईएएनएस को बताते हैं डायन, जादू-टोना अंधविश्वास राज्य में महिलाओं के खिलाफ अत्याचार की सबसे बड़ी वजह है. डायन प्रताड़ना के लगभग 30 से 40 प्रतिशत मामले तो पुलिस के पास पहुंच ही नहीं पाते. दबंगों के खौफ की वजह से कई लोग जुल्म सहकर भी चुप रह जाते हैं. इनमें ज्यादातर महिलाएं होती हैं. कई बार प्रताड़ित करने वाले अपने ही घर के लोग होते हैं, ऐसे मामले पुलिस में तभी पहुंचते हैं, जब जुल्म की इंतेहा हो जाती है. योगेंद्र बताते हैं कि डायन-बिसाही के नाम पर प्रताड़ना की घटनाओं के लिए लिए वर्ष 2001 में डायन प्रथा प्रतिषेध अधिनियम लागू हुआ था, लेकिन झारखंड बनने के बाद डायन प्रताड़ना और हिंसा के बढ़ते मामले यह बताते हैं कि कानून की नये सिरे से समीक्षा की जरूरत है. दंड के नियमों को कठोर बनाये जाने, फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाकर ऐसे मामलों में जल्द फैसला लिये जाने और सामाजिक स्तर पर जागरूकता का अभियान और तेज किये जाने की जरूरत है.
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रघुवर दास कहते हैं कि मौजूदा राज्य सरकार के कार्यकाल में विधि-व्यवस्था बदतर होने की वजह से महिलाओं के खिलाफ अपराध बेतहाशा बढ़े हैं. हर रोज सामने आ रही घटनाएं इसकी गवाही देती हैं. दूसरी तरफ झारखंड मुक्ति मोर्चा के राज्यसभा सांसद और झारखंड महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष महुआ माजी कहती हैं कि महिलाओं के खिलाफ अपराध की घटनाओं पर राज्य सरकार पूरी तरह संवेदनशील है. आप देखेंगे कि जितनी भी बड़ी घटनाएं हुई हैं, उनमें अपराधियों की गिरफ्तारी हुई है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का खुद का रुख इस मामले में पूरी तरह सख्त है.