रांची: रिम्स (RIMS) के इमरजेंसी के बाहर घंटों एक ऑटो ड्राइवर की मनमानी और रंगदारी का शिकार एक मरीज और उसके परिजनों को होना पड़ा. रिम्स में इलाज करा रहे एक मरीज को उसके परिजन बेहतर इलाज के लिए दूसरे अस्पताल ले जाना चाहते थे. उन्होंने एक ऑटो को इसके लिए हायर किया. लेकिन उन्हें दूसरे ऑटो ड्राइवर के गुस्से का सामना करना पड़ा.
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ऑटो में मरीज को लेकर जैसे ही ऑटो चालक आगे बढ़ा. गुस्से से तमतमाए दूसरे ड्राइवर ने मरीज लिए ऑटो को बढ़ने ही नहीं दिया. लगभग आधे घंटे तक रिम्स के गेट पर यह माजरा चलता रहा. जब मीडियाकर्मी मौके पर पहुंचने लगे तब जाकर दूसरा ड्राइवर नरम पड़ा और ऑटो ड्राइवर मरीज को लेकर वहां से निकला. प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि दूसरा ऑटो ड्राइवर का कहना था कि मरीज ले जाने की उसकी बारी थी तो वह कैसे ले जा रहा है. इसी के लिए वह मरीज लिए ऑटो को नहीं जाने दे रहा था.
सैप जवान और रिम्स गार्ड बने रहे मूकदर्शक
करीब आधे घंटे तक यह सब होता रहा. लेकिन न कोई सैप जवान और न ही रिम्स का गार्ड मामले को शांत कराने आया. जब ईटीवी भारत की टीम ने गार्ड और सैप जवान से बात की, तो गार्ड ने कुछ भी बताने से इंकार कर दिया. जबकि सैप जवान बिरसा ने कहा कि जब यह सब हो रहा था तब वह इमरजेंसी के अंदर गया था.
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रिम्स के गेट पर एंबुलेंस और ऑटो लगाने की मनाही
निजी एंबुलेंस चालक और ऑटो चालक का मरीजों के परिजनों के साथ रोज बहस न हो और चालक उचित भाड़ा लें, इसलिए पूर्व निदेशक ने रिम्स इमरजेंसी के बाहर निजी एंबुलेंस और ऑटो लगाने पर रोक लगा दी थी. साथ ही किराया भी तय कर दिया था. लेकिन धीरे-धीरे फिर वही पुरानी व्यवस्था हो गई है. हर दिन कोई न कोई बात को लेकर हंगामा हो रहा है.