रांची: झारखंड में प्रिंसिपल बनने के लिए 8 वर्ष का अनुभव अनिवार्य किया गया है. सीधी नियुक्ति मामले में केंद्र या राज्य सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त स्कूल में नियुक्ति के विषय में 8 वर्ष का शैक्षणिक अनुभव होना अनिवार्य हो गया है. राज्य गठन के बाद राज्य के प्लस 2 विद्यालयों में पहली बार प्राचार्य पद का सृजन होगा. इसे लेकर प्रस्ताव तैयार हो चुका है.
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2012 में बनी थी नियमावली: बता दें कि प्लस टू विद्यालय में प्राचार्य और उप प्राचार्य की नियुक्ति के लिए नियमावली वर्ष 2012 में बनाई गई थी. नियमावली बनाने के 9 साल बाद अब स्कूलों में प्राचार्य पद सृजित किया जा रहा है. शिक्षा विभाग द्वारा प्रस्ताव वित्त विभाग को भेज दिया गया था. वित्त विभाग ने पद सृजन के कुछ बिंदुओं पर जानकारी मांगी थी. शिक्षा विभाग ने जानकारी के साथ प्रस्ताव फिर से वित्त विभाग को भेजा है. जानकारी मिल रही है कि इस प्रस्ताव को लेकर शिक्षा मंत्री की भी सहमति है.
झारखंड में प्लस टू स्कूलों की संख्या: राज्य में वर्तमान में 510 प्लस टू विद्यालय हैं. इनमें से 59 विद्यालय एकीकृत बिहार के समय की है. जबकि 171 विद्यालय 2006-07 में अपग्रेड किए गए थे. एक बार फिर कुछ स्कूल हाई स्कूल से प्लस 2 स्कूलों में अपग्रेड किए जा रहे हैं और इन स्कूलों में प्रधानाचार्य की भी नियुक्ति होगी. इसे लेकर प्राचार्य बनने के लिए 8 वर्ष का अनुभव अनिवार्य किया गया है.
कई स्कूलों में प्रिंसिपल का पद रिक्त: जानकारी देते चले की हाईस्कूल, मध्य विद्यालयों में भी प्रधानाध्यापको की काफी पद रिक्त है. पहले किये गए अपग्रेड हाई स्कूल में आज तक प्रधानाध्यापकों की नियुक्ति नहीं हुई है. ऐसे में एक बार फिर पद सृजन किया जा रहा है और इस दिशा में कदम बढ़ाए जा रहे है. जल्द ही प्लस टू स्कूल में प्राचार्य पद पर नियुक्ति के लिए परीक्षा का आयोजन भी होगा. जिसमें 50 अंक लाना अनिवार्य होगा.