धनबाद: जिले के बलियापुर थाना क्षेत्र के घोंघाबाद में 2 साल पुराना हत्या के मामले में पति समेत ससुराल के 6 लोगों को अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई. पिछली तारीख पर ही सभी आरोपियों को अदालत ने दोषी करार दिया था. सरकारी वकील भरत राम ने बताया कि जिला और सत्र न्यायधीश सप्तम कुलदीप की अदालत ने यह फैसला सुनाया है.
दरअसल, बलियापुर थाना क्षेत्र के घोंघाबाद के रहने वाली किरण देवा की हत्या के मामले में पति देवेन कर्मकार, सास जोशना देवी, चाचा ससुर शंकर कर्मकार, सुनीता देवी, देवर बीटू कर्मकार, व दीपक कर्मकार ने की थी. जिसके बाद 10 जुन 2022 को सभी के खिलाफ मामला दर्ज किया था. पुलिस अपने अनुसंधान के बाद 4 सितंबर 2022 को 6 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र समर्पित किया था. 20 जून 2022 को अदालत ने पति देवेन कर्मकार समेत 6 आरोपियों के विरुद्ध आरोप गठित कर सुनवाई शुरू की थी. सुनवाई के दौरान कुल 18 गवाहों की गवाही अदालत में हुई.
इस मामले को लेकर सरकारी वकील भरत राम ने बताया कि सूचक, आईओ और डॉक्टर समेत अन्य की गवाही इस मामले में की गई है. जिसके बाद सभी छह आरोपियों को दोषी करार देते हुए अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. साथ ही दस-दस हजार रूपए का जुर्माने का भी फैसला सुनाया है.
मृतिका की बहन लखी देवी ने बताया कि किरण की पहले गला दबाकर हत्या की गई, फिर उसके शव को पास के स्कूल में ले जाकर जला दिया गया. उन्होंने कहा कि देखने से ही लग रहा था कि उसको जलाया गया है. उन्होंने बताया कि मृतका का पति देवेन कर्मकार हमेशा दहेज के लिए उसे प्रताड़ित किया करता था. ससुराल वाले दो लाख रुपए की मांग कर रहे थे.
मृतिका की बहन ने कहा कि अगर पुलिस को पहले सूचना दी गई गई होती तो शायद उसकी बहन की जान बच सकती थी. उन्होंन कहा कि पिता हराधन कर्मकार की मौत 2012 में ही हो चुकी है. मां बहन की मौत के बाद सदमे के कारण उसकी यादाश्त चली गई है. उन्होंने कहा कि उनकी 6 बहने मिलकर इंसाफ के लिए लगातार कोर्ट पहुंचती रही और अंत में इंसाफ मिला है. कोर्ट की इस फैसले के बाद सभी बहनें खुश हैं.
बहन को न्याय दिलाने के लिए सभी 6 बहनों के ससुरालवालों ने भी भरपूर सहयोग किया. मृतिका के जीजा ने कहा कि उसकी पत्नी सबसे बड़ी बहन है. घटना के दिन से ही उन्होंने अपना पूरा साथ अपनी पत्नी और परिवार को दिया. अन्य बहनों के परिवार ने भी उतना ही साथ दिया है. उन्होंने कहा कि पीड़ित पक्ष को आगे आना बेहद जरूरी है, तभी गुनाहगार को सजा मिल सकती है.
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