पलामू: जिला में श्मशान बता रहे हैं कि कोरोना से होने वाले मौत की विभीषिका क्या है. अप्रैल 2020 में कोविड से पलामू में पहली मौत हुई थी. कोरोना की पहली लहर में पलामू में एक दर्जन के करीब मौत हुई थीं, लेकिन अप्रैल 2021 में 09 अप्रैल से अब तक 24 मौत सरकारी आंकड़ों में बताई जा रही हैं. स्वास्थ्य विभाग प्रतिदिन कोरोना से मौत का आंकड़ा जारी कर रहा है, लेकिन श्मशान में शव के अंतिम संस्कार से ये आंकड़े मेल नहीं खाते हैं. ईटीवी भारत ने इसको लेकर पलामू प्रमंडलीय मुख्यालय स्थित राजा हरिश्चंद्र घाट का जायजा लिया. इस घाट पर होने वाले अंतिम संस्कार के आंकड़ें बता रहे थे कि स्थिति क्या है.
हरिश्चंद्र घाट पर एक महीने में हुए 50 दाह संस्कार
हरिश्चंद्र घाट पर पिछली 29 मार्च से 29 अप्रैल दोपहर तक 50 शव का अंतिम संस्कार किया जा चुका है. ये आंकड़ें प्रमंडलीय मुख्यालय मेदिनीनगर के सिर्फ एक घाट के हैं, जबकि मेदिनीनगर में ही करीब 6 घाट और हैं. इसके अलावा पलामू के ग्रामीण क्षेत्रों में हर गांव में अंतिम संस्कार के लिए अलग-अलग घाट हैं. हरिश्चंद्र घाट पर पिछले एक सप्ताह से हर दिन चार से पांच शव का दाह संस्कार किया जा रहा है. शव का अंतिम संस्कार करने वाले रामचंद्र शर्मा बताते हैं कि प्रतिदिन कई शवों का अंतिम संस्कार कर रहे हैं. सभी शव एंबुलेंस से आ रहे हैं, पूछने पर बताया जाता है कि सभी की मौत हार्ट अटैक से हुई है. कुछ लोग ही बताते हैं कि यह कोरोना से मौत है.
पैक होकर श्मशान में क्यों पहुंच रहे हैं शव
शमशान घाट पर अधिकतर शव कोविड-19 प्रोटोकॉल के जैसे पैक होकर पहुंच रहे हैं. कर्मी बताते हैं कि शव पैक होकर घाट तक आते हैं. एक दो ही लोग बताते हैं कि कोरोना से मौत हुई है.