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कैसे लहलहाएंगे धान के खेत? पूर्वी सिंहभूम में बारिश के इंतजार में बैठे हैं किसान - waiting for rain

पूर्वी सिंहभूम जिले में किसान इन दिनों बारिश का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. बारिश नहीं होने के कारण धान की रोपनी अबतक नहीं हो सकी है. जिससे किसान काफी चिंतित हैं.

बारिश के इंतजार में बैठे हैं किसान
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Published : Jul 15, 2019, 7:49 PM IST

Updated : Jul 15, 2019, 7:58 PM IST

जमशेदपुर: पूर्वी सिंहभूम जिले में औसतन सामान्य वर्षा 155.5 एमएम होती है. लेकिन अब तक यहां बारिश नहीं के बराबर हुई है. जिस वजह से किसानों के खेत सूखे हैं. किसान धान की रोपनी के लिए बारिश का इंतजार कर रहे हैं. लेकिन अब तक बारिश खेती लायक नहीं हो पा रही है.

देखें पूरी खबर

लौहनगरी में मानसून आने में देरी की वजह से किसानों की चिंता और बढ़ गई है. जिससे धान की खेती पर भी खतरा मंडराने लगा है. खेतों में हल्की फुल्की फसल उगी हुई है, लेकिन कुछ खेतिहर जमीन पर दरारें भी पड़ने लगी हैं. अभी तक धान का बिचड़ा तो दूर किसान खेतों की जुताई भी नहीं कर पाए हैं.

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जिले के अधिकांश किसान बारिश का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. किसानों ने बताया जब तक बारिश नहीं होगी, तब तक खरीफ फसल की बुआई चुनौती बनी रहेगी. किसान खरीफ फसल को लेकर चिंतित हो रहे हैं. बढ़ते तापमान एवं बारिश नहीं होने के कारण किसानों की फसलें भी सूखने लगी है. बारिश नहीं होने के कारण तालाब और डोभा में सिंचाई की व्यवस्था नहीं है.

वहीं, राज्य सरकार के दावे फेल साबित होते नजर आ रहे हैं. पहाड़ों और तलहटियों की गोद में बसा दलमा के किसानों को बारिश का इंतजार है. थोड़ी सी बारिश होने के कारण फसलों को नुकसान पहुंच रहा है. पानी का संरक्षण नहीं होने के कारण वर्षा जल नालों से बहकर बर्बाद हो रहा है और किसानों के खेत भी सूखने लगे हैं.

जमशेदपुर: पूर्वी सिंहभूम जिले में औसतन सामान्य वर्षा 155.5 एमएम होती है. लेकिन अब तक यहां बारिश नहीं के बराबर हुई है. जिस वजह से किसानों के खेत सूखे हैं. किसान धान की रोपनी के लिए बारिश का इंतजार कर रहे हैं. लेकिन अब तक बारिश खेती लायक नहीं हो पा रही है.

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लौहनगरी में मानसून आने में देरी की वजह से किसानों की चिंता और बढ़ गई है. जिससे धान की खेती पर भी खतरा मंडराने लगा है. खेतों में हल्की फुल्की फसल उगी हुई है, लेकिन कुछ खेतिहर जमीन पर दरारें भी पड़ने लगी हैं. अभी तक धान का बिचड़ा तो दूर किसान खेतों की जुताई भी नहीं कर पाए हैं.

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जिले के अधिकांश किसान बारिश का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. किसानों ने बताया जब तक बारिश नहीं होगी, तब तक खरीफ फसल की बुआई चुनौती बनी रहेगी. किसान खरीफ फसल को लेकर चिंतित हो रहे हैं. बढ़ते तापमान एवं बारिश नहीं होने के कारण किसानों की फसलें भी सूखने लगी है. बारिश नहीं होने के कारण तालाब और डोभा में सिंचाई की व्यवस्था नहीं है.

वहीं, राज्य सरकार के दावे फेल साबित होते नजर आ रहे हैं. पहाड़ों और तलहटियों की गोद में बसा दलमा के किसानों को बारिश का इंतजार है. थोड़ी सी बारिश होने के कारण फसलों को नुकसान पहुंच रहा है. पानी का संरक्षण नहीं होने के कारण वर्षा जल नालों से बहकर बर्बाद हो रहा है और किसानों के खेत भी सूखने लगे हैं.

Intro:एंकर-- पूर्वी सिंहभूम जिले में औसतन सामान्य वर्षा 155.5 एमएम होती है.पर अब तक शून्य हुई बारिश. बारिश के अभाव में सूखे हैं किसानों के खेत. किसान कर रहे बारिश होने का इंतजार.नहीं हो रही है बारिश अब तक नहीं शुरू हो पाया धान की रोपनी. सुख रहे हैं धान के बिचड़े. दलमा से सटे भवनाथपुर,चाकुलिया गावँ के किसानों की हालत देखिए.
देखिए यह रिपोर्ट


Body:वीओ1-- लौहनगरी में मानसून आने में हो रही देरी ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है.धान की खेती पर भी खतरा मंडराने लगा है। खेतों में हल्की फुल्की फसल उगी हुई है.कुछ एक खेतिहर जमीन पर दरार पड़ने लगी है.अभी तक धान का बिचड़ा तो दूर किसान खेतों की जुताई भी नहीं कर पाए हैं.जिले के अधिकांश किसान बारिश होने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. किसानों ने बताया जब तक बारिश नहीं होगी तब तक खरीफ फसल की बुवाई चुनौती बनी रहेगी.किसान खरीफ फसल को लेकर चिंतित हो रहे हैं. बढ़ते तापमान एवं बारिश नहीं होने के कारण किसानों की फसलें भी सूखने लगी है।बारिश नहीं होने के कारण तालाब व डोभा में सिंचाई की व्यवस्था नहीं है।
नहर और डोभा होने के बावजूद भी किसान अपनी खेतों की सिंचाई नहीं कर पा रहे हैं. इनके लिए पानी कि वयस्था नहीं है.बिना पानी के किसान कैसे अपने फसलों को जिंदा रखेंगे.
बाइट--सोमलाल मुर्मू(किसान)
वीओ2--राज्य सरकार के दावे फ़ेल साबिता हो रहे हैं.पहाड़ों और तलहटियों की गोद में बसा दलमा के किसानों को बारिश का इंतजार है।थोड़ी सी बारिश होने के कारण फसलों को नुकसान पहुंच रहा है.पानी के संरक्षण नहीं होने के कारण वर्ष का जल नालों से बहकर बर्बाद हो रहा है.और किसानों के खेत भी सूखने लगे हैं।
बाइट--स्थानीय किसान
बाइट--स्थानीय किसान


Conclusion:बहरहाल फसलों के अलाव किसान के पास जीविका चलाने का कोई जरिया नहीं है.ऐसे में पानी की वयस्था नहीं होने के कारण किसान अपना जीवन कैसे चलाएँगे. कई डोभा व तालाब भी सुख चुके हैं।
Last Updated : Jul 15, 2019, 7:58 PM IST
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