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कोरोना का स्वास्थ्य सेवाओं पर पड़ा असर, अस्पताल में कॉर्निया प्रत्यारोपण के मरीज हुए कम

शहर के प्रमुख नेत्र अस्पतालों में सामान्य दिनों की अपेक्षा कम संख्या में आंख के मरीजों ने अपनी आंख का इलाज कराया. शहर का सबसे पुराना 1961 से स्थापित जमशेदपुर आई हॉस्पिटल में लॉकडाउन से पहले और लॉकडाउन में आंखों कि सर्जरी कराने वाले मरीजों की संख्या में काफी अंतर देखने को मिला.

Cornea transplant patients reduced in hospital in jamshedpur
स्पताल में कॉर्निया प्रत्यारोपण के मरीज हुए कम
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Published : Sep 27, 2020, 6:08 AM IST

जमशेदपुर: देश में कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए किए गए लॉकडाउन में समुचित व्यवस्था का असर देखने को मिल रहा है. वहीं, इस दौरान चिकित्सा व्यवस्था भी काफी प्रभावित हुई है. कोरोना के अलावा दूसरे मरीजों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. लॉकडाउन के कारण आंखों का कॉर्निया प्रत्यारोपण करना एक बड़ी चुनौती बन गया है. जबकि आंखों की दूसरी सर्जरी पर भी असर पड़ा है.

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शहर के प्रमुख नेत्र अस्पतालों में सामान्य दिनों की अपेक्षा कम संख्या में आंख के मरीजों ने अपनी आंख का इलाज कराया. शहर का सबसे पुराना 1961 से स्थापित जमशेदपुर आई हॉस्पिटल में लॉकडाउन से पहले और लॉकडाउन में आंखों कि सर्जरी कराने वाले मरीजों की संख्या में काफी अंतर देखने को मिला. कोरोना काल से पहले आई हॉस्पिटल में प्रति माह आंख के मरीजों कि संख्या 250-300 के लगभग रही, जबकि कोरोना काल मे प्रतिमाह 125 के लगभग मरीजों ने अपनी आंख का इलाज कराया.

ये भी पढ़ें- मेदिनीनगर में रोजाना दो लाख लीटर पानी होता है बर्बाद, टूटी पाइप लाइन की नहीं कराई गई मरम्मत


वहीं, लॉक डाउन में कॉर्निया प्रत्यारोपण के लिए एक भी मरीज नहीं आये. जबकि अस्पताल में 4 नेत्र चिकित्सक हैं, जिनमे कॉर्निया प्रत्यारोपण करने वाले 2 डॉक्टर हैं.
जमशेदपुर आई हॉस्पिटल के हेड डॉ एसपी जखनवाल ने बताया कि लॉकडाउन से पहले आंख का कॉर्निया प्रत्यारोपण किया गया, लेकिन लॉकडाउन के बाद अब तक कॉर्निया प्रत्यारोपण के एक भी मरीज नहीं आये. वो बताते हैं कि वर्तमान हालात में कॉर्निया प्रत्यारोपण के मरीज के आने पर उनका इलाज करना एक बड़ी चुनौती है. कारण बताते हुए कहा है कि कॉर्निया सेंटर दूसरे प्रदेशों में है और कॉर्निया प्रत्यारोपण के लिए कॉर्निया सेंटर से कॉर्निया को मरीज तक कम समय में पहुंचाया जाता है, जो वर्तमान में असंभव है.

उन्होंने बताया कि 2018 अप्रैल से 2020 अप्रैल तक कुल 9 मरीजों की आंख का कॉर्निया प्रत्यारोपण किया गया. उन्होंने बताया कि वर्तमान में अगर कोई मरीज आंख के कॉर्निया प्रत्यारोपण के लिए आते हैं, तो उन्हें नजदीक के कॉर्निया सेंटर जाने के लिए सलाह दी जाएगी. जमशेदपुर में आंखों के इलाज के लिये सिर्फ 5 अस्पताल हैं. जिनमें जमशेदपुर सबसे पुराना अस्पताल है. दूसरे अस्पतालों में भी कोरोना काल में कॉर्निया प्रत्यारोपण के मरीज नहीं आए, जबकि आंख की सर्जरी के लिए मरीजों की संख्या सामान्य रही.

आई हॉस्पिटल के डॉ अरुण कुमार बताते हैं कि ट्रांसपोर्टेशन के कारण आंख के मरीज कम आ रहे हैंं, आंखों में कई ऐसी परेशानियां होती हैं, जिसका इलाज तुरंत करना जरूरी है, उसे अनदेखा करने पर इलाज करने के बावजूद मरीज को परेशानी होती है. ऐसे में लॉकडाउन के कारण कई मरीज सही वक्त पर अस्पताल नहीं पहुंच पाए हैं.


इधर, जमशेदपुर आई हॉस्पिटल में कोरोना संक्रमण को देखते हुए पूरी तरह से एहतियात बरती जा रही है. कोविड-19 गाइडलाइन का पालन किया जा रहा है, जिससे आने वाले मरीजों को कोई परेशानी ना हो और डॉक्टर नर्स सभी सुरक्षित रह सकें.

अस्पताल में आंखों का इलाज कराने आए मरीजों ने बताया कि कोरोना कॉल में लॉकडाउन के दौरान उन्हें अपनी आंखों का इलाज कराने में कोई परेशानी नहीं हुई. अपनी मां की आंखों का इलाज कराने आए सोनाराम हांसदा ने बताया कि वर्तमान में कोरोना वायरस से निबटना एक बड़ी चुनौती है. अस्पताल में मां की आंख का इलाज कराने में कोई परेशानी नहीं हुई.

अपनी आंख का इलाज कराने आए किशन लाल अग्रवाल और हेमंत लॉकडाउन के बाद स्थिति सामान्य होने पर अपनी आंखों की जांच कराने आये हैं. हेमंत ने बताया कि लॉकडाउन में अस्पताल आने में परेशानी थी. अब ऑटो के चलने से अस्पताल आये हैं.

जमशेदपुर: देश में कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए किए गए लॉकडाउन में समुचित व्यवस्था का असर देखने को मिल रहा है. वहीं, इस दौरान चिकित्सा व्यवस्था भी काफी प्रभावित हुई है. कोरोना के अलावा दूसरे मरीजों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. लॉकडाउन के कारण आंखों का कॉर्निया प्रत्यारोपण करना एक बड़ी चुनौती बन गया है. जबकि आंखों की दूसरी सर्जरी पर भी असर पड़ा है.

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शहर के प्रमुख नेत्र अस्पतालों में सामान्य दिनों की अपेक्षा कम संख्या में आंख के मरीजों ने अपनी आंख का इलाज कराया. शहर का सबसे पुराना 1961 से स्थापित जमशेदपुर आई हॉस्पिटल में लॉकडाउन से पहले और लॉकडाउन में आंखों कि सर्जरी कराने वाले मरीजों की संख्या में काफी अंतर देखने को मिला. कोरोना काल से पहले आई हॉस्पिटल में प्रति माह आंख के मरीजों कि संख्या 250-300 के लगभग रही, जबकि कोरोना काल मे प्रतिमाह 125 के लगभग मरीजों ने अपनी आंख का इलाज कराया.

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वहीं, लॉक डाउन में कॉर्निया प्रत्यारोपण के लिए एक भी मरीज नहीं आये. जबकि अस्पताल में 4 नेत्र चिकित्सक हैं, जिनमे कॉर्निया प्रत्यारोपण करने वाले 2 डॉक्टर हैं.
जमशेदपुर आई हॉस्पिटल के हेड डॉ एसपी जखनवाल ने बताया कि लॉकडाउन से पहले आंख का कॉर्निया प्रत्यारोपण किया गया, लेकिन लॉकडाउन के बाद अब तक कॉर्निया प्रत्यारोपण के एक भी मरीज नहीं आये. वो बताते हैं कि वर्तमान हालात में कॉर्निया प्रत्यारोपण के मरीज के आने पर उनका इलाज करना एक बड़ी चुनौती है. कारण बताते हुए कहा है कि कॉर्निया सेंटर दूसरे प्रदेशों में है और कॉर्निया प्रत्यारोपण के लिए कॉर्निया सेंटर से कॉर्निया को मरीज तक कम समय में पहुंचाया जाता है, जो वर्तमान में असंभव है.

उन्होंने बताया कि 2018 अप्रैल से 2020 अप्रैल तक कुल 9 मरीजों की आंख का कॉर्निया प्रत्यारोपण किया गया. उन्होंने बताया कि वर्तमान में अगर कोई मरीज आंख के कॉर्निया प्रत्यारोपण के लिए आते हैं, तो उन्हें नजदीक के कॉर्निया सेंटर जाने के लिए सलाह दी जाएगी. जमशेदपुर में आंखों के इलाज के लिये सिर्फ 5 अस्पताल हैं. जिनमें जमशेदपुर सबसे पुराना अस्पताल है. दूसरे अस्पतालों में भी कोरोना काल में कॉर्निया प्रत्यारोपण के मरीज नहीं आए, जबकि आंख की सर्जरी के लिए मरीजों की संख्या सामान्य रही.

आई हॉस्पिटल के डॉ अरुण कुमार बताते हैं कि ट्रांसपोर्टेशन के कारण आंख के मरीज कम आ रहे हैंं, आंखों में कई ऐसी परेशानियां होती हैं, जिसका इलाज तुरंत करना जरूरी है, उसे अनदेखा करने पर इलाज करने के बावजूद मरीज को परेशानी होती है. ऐसे में लॉकडाउन के कारण कई मरीज सही वक्त पर अस्पताल नहीं पहुंच पाए हैं.


इधर, जमशेदपुर आई हॉस्पिटल में कोरोना संक्रमण को देखते हुए पूरी तरह से एहतियात बरती जा रही है. कोविड-19 गाइडलाइन का पालन किया जा रहा है, जिससे आने वाले मरीजों को कोई परेशानी ना हो और डॉक्टर नर्स सभी सुरक्षित रह सकें.

अस्पताल में आंखों का इलाज कराने आए मरीजों ने बताया कि कोरोना कॉल में लॉकडाउन के दौरान उन्हें अपनी आंखों का इलाज कराने में कोई परेशानी नहीं हुई. अपनी मां की आंखों का इलाज कराने आए सोनाराम हांसदा ने बताया कि वर्तमान में कोरोना वायरस से निबटना एक बड़ी चुनौती है. अस्पताल में मां की आंख का इलाज कराने में कोई परेशानी नहीं हुई.

अपनी आंख का इलाज कराने आए किशन लाल अग्रवाल और हेमंत लॉकडाउन के बाद स्थिति सामान्य होने पर अपनी आंखों की जांच कराने आये हैं. हेमंत ने बताया कि लॉकडाउन में अस्पताल आने में परेशानी थी. अब ऑटो के चलने से अस्पताल आये हैं.

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