जमेशदपुर: पूर्वी सिंहभूम के 12 अस्पताल आयुष्मान भारत योजना से जुड़े हुए हैं. एमजीएम में आयुष्मान भारत योजना की कार्यशैली में तकनीकी खराबी की वजह से योजना को लागू करने में बाधा आ रही है. यहां आयुष्मान भारत योजना के दफ्तर में ताले लटके हैं. कई मरीजों को योजना से जुड़ने के बाद भी आयुष्मान भारत योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है.
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पूर्वी सिंहभूम के एमजीएम अस्पताल में मार्च महीने में 2407 मरीजों की संख्या दर्ज की गई है. जिनमें गंभीर मरीजों की संख्या 12 सौ से ऊपर है. परसुडीह स्थित सदर अस्पताल में मार्च महीने में 1456 मरीज आए जिनमें भर्ती के लिए मरीजों की संख्या 412 दर्ज की गई है. वहीं, एमजीएम अस्पताल में आयुष्मान योजना का लाभ लेने वाले मरीजों की संख्या 31 बताई गई है. सदर अस्पताल में गोल्डन कार्ड बनाने वाले मरीजों की संख्या 324 बताई गई है.
पिछले तीन महीनों से अरुण कुमार नाम का युवक एमजीएम अस्पताल में भर्ती है. अरुण के पास गोल्डन कार्ड भी है लेकिन इससे अरुण को कोई लाभ मिलता नजर नहीं आ रहा है. 14 वर्षीय अरुण ने बताया गोल्डन कार्ड से भी उसका इलाज नहीं हो पा रहा है. पैर में जख्म होने के बाद किसी भी अस्पताल ने इसकी सुध नहीं ली उसके बाद डॉक्टरों ने उसे इलाज के लिए बिहार जाने के लिए कह दिया. वहीं, अस्पताल के चक्कर काट रही अरुण की मां ने बताया कि उन्हें आयुष्मान कार्ड से कोई फायदा नहीं मिला है. यहां पर उनके बेटे का इलाज नहीं हो रहा.
एमजीएम अस्पताल उपाधीक्षक ने बताया कि अस्पताल में काम करने वाले कंप्यूटर ऑपरेटर भी आयुष्मान योजना में काम कर रहे थे. हाल के दिनों में आउटसोर्सिंग कर्मचारी को हटाने के बाद से ऑपरेटरों की भारी कमी है. जिसके कारण आयुष्मान योजना में ताला बंद रहता है. सुविधानुसार कुछ समय के लिए खोला जाता है.
ऐसे में सवाल ये है कि गरीब मरीज जाएं तो जाएं कहां. सरकार योजना तो ले आती है लेकिन सही से लागू नहीं कर पाती. इसका खामियाजा लोगों को उठाना पडता है. अब देखना ये होगा कि प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी योजना आयुष्मान भारत से जुड़े सवालों पर क्या जनता अपनी मुहर लगाएगी.