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'आयुष्मान भारत' के बारे में सरकार कर रही है बड़े-बड़े दावे, सच्चाई जान हैरान रह जाएंगे आप - jharkhand news

कोल्हान के सबसे बड़े अस्पताल एमजीएम में आयुष्मान भारत योजना की कार्यशैली में तकनीकी खराबी की वजह से योजना को लागू करने में बाधा आ रही है. यहां आयुष्मान भारत योजना के आफिस में ताले लटके हैं. जिससे मरीजों को परेशानियों का सामना कर पड़ रहा है.

एमजीएम अस्पताल
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Published : Apr 12, 2019, 11:05 AM IST

जमेशदपुर: पूर्वी सिंहभूम के 12 अस्पताल आयुष्मान भारत योजना से जुड़े हुए हैं. एमजीएम में आयुष्मान भारत योजना की कार्यशैली में तकनीकी खराबी की वजह से योजना को लागू करने में बाधा आ रही है. यहां आयुष्मान भारत योजना के दफ्तर में ताले लटके हैं. कई मरीजों को योजना से जुड़ने के बाद भी आयुष्मान भारत योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है.

देखिए स्पेशल स्टोरी

ये भी पढ़ें-महागठबंधन के नेताओं ने की बैठक, कहा- BJP को हराना हमारा मकसद

पूर्वी सिंहभूम के एमजीएम अस्पताल में मार्च महीने में 2407 मरीजों की संख्या दर्ज की गई है. जिनमें गंभीर मरीजों की संख्या 12 सौ से ऊपर है. परसुडीह स्थित सदर अस्पताल में मार्च महीने में 1456 मरीज आए जिनमें भर्ती के लिए मरीजों की संख्या 412 दर्ज की गई है. वहीं, एमजीएम अस्पताल में आयुष्मान योजना का लाभ लेने वाले मरीजों की संख्या 31 बताई गई है. सदर अस्पताल में गोल्डन कार्ड बनाने वाले मरीजों की संख्या 324 बताई गई है.

पिछले तीन महीनों से अरुण कुमार नाम का युवक एमजीएम अस्पताल में भर्ती है. अरुण के पास गोल्डन कार्ड भी है लेकिन इससे अरुण को कोई लाभ मिलता नजर नहीं आ रहा है. 14 वर्षीय अरुण ने बताया गोल्डन कार्ड से भी उसका इलाज नहीं हो पा रहा है. पैर में जख्म होने के बाद किसी भी अस्पताल ने इसकी सुध नहीं ली उसके बाद डॉक्टरों ने उसे इलाज के लिए बिहार जाने के लिए कह दिया. वहीं, अस्पताल के चक्कर काट रही अरुण की मां ने बताया कि उन्हें आयुष्मान कार्ड से कोई फायदा नहीं मिला है. यहां पर उनके बेटे का इलाज नहीं हो रहा.

एमजीएम अस्पताल उपाधीक्षक ने बताया कि अस्पताल में काम करने वाले कंप्यूटर ऑपरेटर भी आयुष्मान योजना में काम कर रहे थे. हाल के दिनों में आउटसोर्सिंग कर्मचारी को हटाने के बाद से ऑपरेटरों की भारी कमी है. जिसके कारण आयुष्मान योजना में ताला बंद रहता है. सुविधानुसार कुछ समय के लिए खोला जाता है.

ऐसे में सवाल ये है कि गरीब मरीज जाएं तो जाएं कहां. सरकार योजना तो ले आती है लेकिन सही से लागू नहीं कर पाती. इसका खामियाजा लोगों को उठाना पडता है. अब देखना ये होगा कि प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी योजना आयुष्मान भारत से जुड़े सवालों पर क्या जनता अपनी मुहर लगाएगी.

जमेशदपुर: पूर्वी सिंहभूम के 12 अस्पताल आयुष्मान भारत योजना से जुड़े हुए हैं. एमजीएम में आयुष्मान भारत योजना की कार्यशैली में तकनीकी खराबी की वजह से योजना को लागू करने में बाधा आ रही है. यहां आयुष्मान भारत योजना के दफ्तर में ताले लटके हैं. कई मरीजों को योजना से जुड़ने के बाद भी आयुष्मान भारत योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है.

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पूर्वी सिंहभूम के एमजीएम अस्पताल में मार्च महीने में 2407 मरीजों की संख्या दर्ज की गई है. जिनमें गंभीर मरीजों की संख्या 12 सौ से ऊपर है. परसुडीह स्थित सदर अस्पताल में मार्च महीने में 1456 मरीज आए जिनमें भर्ती के लिए मरीजों की संख्या 412 दर्ज की गई है. वहीं, एमजीएम अस्पताल में आयुष्मान योजना का लाभ लेने वाले मरीजों की संख्या 31 बताई गई है. सदर अस्पताल में गोल्डन कार्ड बनाने वाले मरीजों की संख्या 324 बताई गई है.

पिछले तीन महीनों से अरुण कुमार नाम का युवक एमजीएम अस्पताल में भर्ती है. अरुण के पास गोल्डन कार्ड भी है लेकिन इससे अरुण को कोई लाभ मिलता नजर नहीं आ रहा है. 14 वर्षीय अरुण ने बताया गोल्डन कार्ड से भी उसका इलाज नहीं हो पा रहा है. पैर में जख्म होने के बाद किसी भी अस्पताल ने इसकी सुध नहीं ली उसके बाद डॉक्टरों ने उसे इलाज के लिए बिहार जाने के लिए कह दिया. वहीं, अस्पताल के चक्कर काट रही अरुण की मां ने बताया कि उन्हें आयुष्मान कार्ड से कोई फायदा नहीं मिला है. यहां पर उनके बेटे का इलाज नहीं हो रहा.

एमजीएम अस्पताल उपाधीक्षक ने बताया कि अस्पताल में काम करने वाले कंप्यूटर ऑपरेटर भी आयुष्मान योजना में काम कर रहे थे. हाल के दिनों में आउटसोर्सिंग कर्मचारी को हटाने के बाद से ऑपरेटरों की भारी कमी है. जिसके कारण आयुष्मान योजना में ताला बंद रहता है. सुविधानुसार कुछ समय के लिए खोला जाता है.

ऐसे में सवाल ये है कि गरीब मरीज जाएं तो जाएं कहां. सरकार योजना तो ले आती है लेकिन सही से लागू नहीं कर पाती. इसका खामियाजा लोगों को उठाना पडता है. अब देखना ये होगा कि प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी योजना आयुष्मान भारत से जुड़े सवालों पर क्या जनता अपनी मुहर लगाएगी.

Intro:एंकर-- पूर्वी सिंहभूम के 12 अस्पताल आयुष्मान भारत योजना से जुड़े हुए हैं.कोल्हान के सबसे बड़े अस्पताल एमजीएम में आयुष्मान भारत योजना की कार्यशैली में तकनीकी खराबी की वजह से योजना को लागू करने में बाधा आ रही है। यहाँ आयुष्मान भारत योजना के दफ्तर में ताले लटके हैं. कई मरीजों को योजना से जुड़ने के बाद भी आयुष्मान भारत योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है।एक रिपोर्ट


Body:वीओ1-- पूर्वी सिंहभूम के एमजीएम अस्पताल में मार्च महीने में 2407 मरीजों की संख्या दर्ज की गई है. जिनमें गंभीर मरीजों की संख्या 12 सौ से ऊपर है. परसुडीह स्थित सदर अस्पताल में मार्च महीने में 1456 मरीज आए जिनमें भर्ती के लिए मरीजों की संख्या 412 दर्ज की गई है।वहीं एमजीएम अस्पताल में आयुष्मान योजना का लाभ लेने वाले मरीजों की संख्या 31 बताई गई है.तो सदर अस्पताल में गोल्डेन कार्ड बनाने वाले मरीजों की संख्या 324 बताई गई है.आयुष्मान भारत योजना जमशेदपुर में दम तोड़ती नज़र आ रही है विगत तीन महीनों से अरुण कुमार नाम का युवक एमजीएम अस्पताल में भर्ती है.अरुण के पास गोल्डेन कार्ड भी है.पर इससे अरुण को कोई लाभ मिलता नज़र नहीं आ रहा है।14 वर्षीय अरुण ने बताया गोल्डन कार्ड से भी नहीं हो रहा है इलाज.पैर में जख्म होने के बाद किसी भी अस्पताल ने इसकी सुध नहीं ली.अरुण को वापस बिहार जाना पड़ा इन्हें अस्पताल से भगाया गया आयुष्मान कार्ड से कोई फ़ायदा नहीं है.डॉक्टर भी कुछ नहीं बोलते हैं.वहीं अस्पताल के8 चक्कर काट रही अरुण की माँ ने बताया आयुष्मान कार्ड लेकर अस्पताल गए हैं.इससे कोई फायदा नहीं मिला है।यहाँ पर इलाज नहीं हो रहा है.
बाइट--मुन्नी देवी(मरीज की माँ)
बाइट--अरुण कुमार(मरीज)
वीओ2--एमजीएम अस्पताल के उपाधीक्षक ने बताया अस्पताल में काम करने वाले कंप्यूटर ऑपरेटर भी आयुष्यामन योजना में काम कर रहे थें.हाल की दिनों में आउटसोर्सिंग कर्मचारी को हटाने के बाद से ऑपरेटरों की भारी कमी है.जिसके कारण आयुष्मान योजना में ताला बंद रहता है.सुविधानुसार कुछ समय के लिए खोला जाता है.
बाइट--नकुल चौधरी(एमजीएम उपाधीक्षक)






बाइट--अरुण कुमार(मरीज)


Conclusion:ऐसे में सवाल यह है कि गरीब मरीज जाए तो जाए कहाँ चुनाव नजदीक आते हीं सत्ता के करीबी लोग चुनाव प्रचार में जुट चुके हैं.प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी योजना आयुष्मान भारत से जुड़े सवालों पर क्या जनता अपनी मुहर लगाएगी....ये तो आने वाला वक़्त ही बताएगा.अब देखना ये है सरकारी सिस्टम में परेशानियों को लेकर क्या कोई सरकार जागेगी।
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