जमशेदपुर: अटल बिहारी वाजपेयी जी यूं तो भारतीय राजनीतिक के पटल पर एक ऐसा नाम है, जिन्होंने अपने व्यक्तित्व व कृतित्व से न केवल व्यापक स्वीकार्यता और सम्मान हासिल किया, बल्कि तमाम बाधाओं को पार करते हुए 90 के दशक में भाजपा को स्थापित करने में भी अहम भूमिका निभाई. यह वाजपेयी के व्यक्तित्व का ही कमाल था कि भाजपा के साथ उस समय नए सहयोगी दल जुड़ते गए. वाजपेयी का संसदीय अनुभव पांच दशकों से भी अधिक का विस्तार लिए हुए है.
भाजपा के चार दशक तक विपक्ष में रहने के बाद वाजपेयी 1996 में पहली बार अटल जी प्रधानमंत्री बने, लेकिन संख्याबल नहीं होने से उनकी सरकार महज 13 दिन में ही गिर गई. आंकड़ों ने एक बार फिर वाजपेयी के साथ लुका-छिपी का खेल खेला और स्थिर बहुमत नहीं होने के कारण 13 महीने बाद 1999 की शुरुआत में उनके नेतृत्व वाली दूसरी सरकार भी गिर गई. लेकिन 1999 के चुनाव में वाजपेयी पिछली बार के मुकाबले एक अधिक स्थिर गठबंधन सरकार के मुखिया बने, जिसने अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा किया. गठबंधन राजनीति की मजबूरी के कारण भाजपा को अपने मूल मुद्दों को पीछे रखना पड़ा.
बिहार से अलग राज्य झारखंड बनने के दौरान कई नेताओं ने उनके साथ मंच साझा किया. अटल जी की पुण्यतिथि पर आज वो उन्हें याद कर नमन कर रहे हैं. उनका कहना है कि उन्हें गर्व है कि वो अटल जी के साथ कुछ पल रहकर भी बहुत कुछ सीखने और समझने का मौका मिला. गौरतलब है कि 1988 में अविभाजीत बिहार में जमशेदपुर के चैम्बर भवन में राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक हुई, जिसमें लाल कृष्ण आडवाणी, राजनाथ सिंह, मुरली मनोहर जोशी, राजमाता विजयराजे सिंघिया, कुशाभाऊ ठाकरे और अटल बिहारी बाजपेयी के अलावा कई नेता शामिल हुए थे. उस दौरान अटल जी ने वनांचल अलग राज्य बनाने का संकल्प लिया, जिसका नाम झारखंड रखा गया.
1999 में केंद्र में भाजपा की सरकार बनने के बाद अटल जी प्रधानमंत्री बने और 9 फरवरी 2000 में जमशेदपुर के साकची स्थित बारी मैदान में विधान सभा चुनाव के लिए आयोजित सभा को सम्बोधित किया. उसी दिन सुबह शहर के चर्चित जुबली पार्क में एक व्यवसायी की हत्या की घटना घटी थी. सभा से वापस जाकर अटल जी ने कहा था कि बिहार में जंगल राज्य चल रहा है, कोई सुरक्षित नहीं है. इसके बाद उन्होंने अलग राज्य बनाने की मुहिम तेज कर झारखंड के साथ उत्तराखंड और छत्तीसगढ़ अलग राज्य बनाने का संकल्प पूरा किया.
जमशेदपुर में अटल जी के साथ मंच साझा करने वाले देवेंद्र सिंह पुरानी तस्वीरों को देखते हुए बताते है कि 1988 में जब राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक हुई थी, वो युवा मोर्चा सिंहभूम जिला प्रभारी थे. उन दिनों अटल जी के साथ बहुत कुछ सीखने को मिला. देवेंद्र सिंह ने बताया कि 1999 में वो भाजपा जिला अध्यक्ष बने. उस दौरान बारी मैदान में सभा से पूर्व अटल जी ने उनसे व्यवसायी की हत्या की जानकारी ली थी और मजदूरों के बारे में पूछा था. तब उन्हें महसूस हुआ कि देश के प्रधानमंत्री अटल जी की सोच कितनी गहरी थी और वो सबके लिए सोचते थे और करते भी थे.
गौरतलब है कि 2000 में बारी मैदान में हुई सभा में मंच पर तत्कालीन जमशेदपुर पूर्वी के विधायक झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास जमशेदपुर सांसद आभा महतो भी मौजूद रहीं थीं. झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास युगपुरुष को नमन करते हुए बताते हैं कि अटल जी के साथ कई बार मंच साझा करने का मौका मिला. उन्हें गर्व है कि उनसे काफी कुछ सीखने को मिला. वो कर्मठ और सुविचार के धनी थे. ऐसे व्यक्तित्व विरले ही जन्म लेते हैं. झारखंड उनका सपना था, जिसे उन्होंने पूरा किया. रघुवर दास ने बताया कि पोखरण में परमाणु परीक्षण और कारगिल युध्द में भारत विजय अटल जी के शासन काल में हुआ, जो एक यादगार पल है. अटल जी को विश्व में भी सम्मान मिला है.
जमशेदपुर की पूर्व भाजपा सांसद आभा महतो अपने संसदीय काल के दौरान जमशेदपुर में सभा के दौरान अटल जी के साथ मंच पर थीं. उस दौरान अटल जी ने आभा महतो से राजनैतिक चर्चा की थी, जिसे आज भी आभा महतो याद करती हैं. वो बताती हैं कि अटल जी विराट व्यक्तित्व वाले इंसान थे.
स्व. अटल बिहारी वाजपेयी के विचारों से प्रभावित होकर झारखंड आंदोलनकारी जेएमएम नेता शैलेन्द्र महतो 1996 में रांची में भाजपा में शामिल हुए. शैलेन्द्र महतो बताते हैं कि भाजपा में शामिल होने से पहले अटल जी ने उनसे कहा था कि भाजपा में आ जाओ हम अलग राज्य देंगे और उनकी यह बातें आज भी मुझे आकर्षित करती हैं. वो बताते हैं कि 1989 में जेएमएम से सांसद बनकर लोकसभा में जाने के बाद 1991 में अटल जी से पहली मुलाकात हुई और मिलने का दौर शुरु हुआ. इस दौरान उन्होंने कहा था कि भाजपा में आ जाओ और मुझे पार्टी में शामिल कराने के लिए वो रांची आये. उनके साथ मंच साझा कर मुझे अलग अनुभति मिली.