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आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहे आधी आबादी के मजबूत कदम, बांस से बनाती हैं अदभुत सामान

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Published : Aug 24, 2021, 12:40 PM IST

Updated : Aug 24, 2021, 1:49 PM IST

झारखंड की महिलाएं अब स्वावलंबी हो रही है. हजारीबाग के हरला गांव की महिलाएं बांस के रोजगार से जुड़कर अच्छे पैसे कमा रही हैं और अपने परिवार का पालन-पोषण भी कर रही है.

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आत्मनिर्भर महिलाएं

हजारीबाग: कोरोना और लॉकडाउन की वजह से हर तरफ बेरोजगारी और बेकारी ने लोगों का जीना दुश्वार कर दिया है. ऐसे में आत्मनिर्भर बनना भी बड़ी चुनौती है. इस चुनौती को बरही प्रखंड के हरला गांव की महिलाओं ने स्वीकार किया है, जो पहले बांस के दौरी, पंखा, टोकरी, झुनझुना बनाती थी. वह आज चार कदम आगे बढ़कर फैंसी आइटम बना कर अपना जीवन यापन कर रही हैं. इसके साथ ही पूरे गांव को एक अलग पहचान दी है. 12 महिलाओं से शुरू हुए इस समूह में आज कई महिलाएं काम कर रही हैं और अपनी पहचान पूरे जिले में बना रही हैं.

ये भी पढ़ें- बिरहोर का अपना बैंकः बचत का 10 रुपया विपदा में आता है काम

बांस से बना रही फैंसी आइटम

आधुनिकता के दौर में हाथ से बनाए जाने वाली सजावटी वस्तुओं की मांग इन दिनों बढ़ी है. बांस से बने सजावटी सामान ने वक्त के साथ अपनी उपयोगिता को बरकरार रखा है. ऐसे में हजारीबाग के बरही प्रखंड के सुदूरवर्ती हरला गांव की महिलाएं इन दिनों बांस से जुड़े फैंसी आइटम बना कर अपना जीवन यापन कर रही हैं. आलम यह है कि पहले जहां इक्का-दुक्का महिलाएं बांस का सामान बनाया करती थी. आज कई महिलाएं एक साथ एक कमरे में बैठकर तरह-तरह के सामान बना रही हैं और व्यवसाय भी कर रही हैं.

देखें स्पेशल स्टोरी


महिलाओं को रूर्बन मिशन से जोड़ा

महिलाओं को श्यामा प्रसाद मुखर्जी रूर्बन मिशन (Shyama Prasad Mukherjee Rurban Mission) से जोड़ा गया. इस मिशन की शुरुआत 21 फरवरी 2016 को हुई थी. केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के द्वारा शुरू किए गए श्यामा प्रसाद मुखर्जी रूर्बन मिशन का उद्देश्य स्थानीय स्तर पर आर्थिक विकास को नई गति प्रदान करना है. ऐसे में इस मिशन के उद्देश्य को बरही प्रखंड की हरला गांव की महिलाएं पूरा कर रही हैं.

women becoming self-dependent by making goods from bamboo in hazaribag
महिलाएं

महिलाएं हो रही आत्मनिर्भर

महिलाएं बताती हैं कि पहले सभी लोगों को 15 दिनों की ट्रेनिंग दी गई. ट्रेनिंग करने के बाद सभी लोगों को सामान मुहैया कराया गया. जिसके बाद धीरे-धीरे महिलाएं बांस से कई तरह के सामान बनाने लगीं. महिलाओं ने कहा कि जब मेला लगता है तब हमारी बिक्री काफी अच्छी होती है. बाजार में दुकान वाले भी हमें बनाने का ऑर्डर देते हैं. जिससे हम महिलाएं अपने पैरों पर खड़े हो रहे हैं.

women becoming self-dependent by making goods from bamboo in hazaribag
बांस से बनाती हुई फैंसी आइटम

बच्चों को दे रही अच्छी परवरिश

महिलाएं बताती हैं कि पहले हम लोग हर काम या पैसे के लिए अपने परिवार पर निर्भर हुआ करते थे लेकिन अब खुद से पैसा कमा रहे हैं और ऊंची उड़ान लेने का सपना भी देख रहे हैं. अब महिलाएं गाड़ी चलाती हैं और मन मुताबिक सामान भी अपने लिए खरीदती हैं. यही नहीं अपने बच्चों को अच्छी परवरिश भी दे रही हैं.

women becoming self-dependent by making goods from bamboo in hazaribag
बांस से बना फैंसी आइटम

महिलाएं बढ़-चढ़कर ले रही योजना का लाभ

ब्लॉक प्रोग्रामिंग मैनेजर दीपक भी बताते हैं कि योजनाएं तो कई आती हैं लेकिन सबसे महत्वपूर्ण यह है कि जिसके लिए योजना बनाई गई है वह लाभ ले सके. इस गांव की महिलाएं बढ़-चढ़कर योजना का लाभ ले रही हैं. उत्पाद भी बना रही हैं, जिसका लाभ अब दिख रहा है.

हजारीबाग: कोरोना और लॉकडाउन की वजह से हर तरफ बेरोजगारी और बेकारी ने लोगों का जीना दुश्वार कर दिया है. ऐसे में आत्मनिर्भर बनना भी बड़ी चुनौती है. इस चुनौती को बरही प्रखंड के हरला गांव की महिलाओं ने स्वीकार किया है, जो पहले बांस के दौरी, पंखा, टोकरी, झुनझुना बनाती थी. वह आज चार कदम आगे बढ़कर फैंसी आइटम बना कर अपना जीवन यापन कर रही हैं. इसके साथ ही पूरे गांव को एक अलग पहचान दी है. 12 महिलाओं से शुरू हुए इस समूह में आज कई महिलाएं काम कर रही हैं और अपनी पहचान पूरे जिले में बना रही हैं.

ये भी पढ़ें- बिरहोर का अपना बैंकः बचत का 10 रुपया विपदा में आता है काम

बांस से बना रही फैंसी आइटम

आधुनिकता के दौर में हाथ से बनाए जाने वाली सजावटी वस्तुओं की मांग इन दिनों बढ़ी है. बांस से बने सजावटी सामान ने वक्त के साथ अपनी उपयोगिता को बरकरार रखा है. ऐसे में हजारीबाग के बरही प्रखंड के सुदूरवर्ती हरला गांव की महिलाएं इन दिनों बांस से जुड़े फैंसी आइटम बना कर अपना जीवन यापन कर रही हैं. आलम यह है कि पहले जहां इक्का-दुक्का महिलाएं बांस का सामान बनाया करती थी. आज कई महिलाएं एक साथ एक कमरे में बैठकर तरह-तरह के सामान बना रही हैं और व्यवसाय भी कर रही हैं.

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महिलाओं को रूर्बन मिशन से जोड़ा

महिलाओं को श्यामा प्रसाद मुखर्जी रूर्बन मिशन (Shyama Prasad Mukherjee Rurban Mission) से जोड़ा गया. इस मिशन की शुरुआत 21 फरवरी 2016 को हुई थी. केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के द्वारा शुरू किए गए श्यामा प्रसाद मुखर्जी रूर्बन मिशन का उद्देश्य स्थानीय स्तर पर आर्थिक विकास को नई गति प्रदान करना है. ऐसे में इस मिशन के उद्देश्य को बरही प्रखंड की हरला गांव की महिलाएं पूरा कर रही हैं.

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महिलाएं

महिलाएं हो रही आत्मनिर्भर

महिलाएं बताती हैं कि पहले सभी लोगों को 15 दिनों की ट्रेनिंग दी गई. ट्रेनिंग करने के बाद सभी लोगों को सामान मुहैया कराया गया. जिसके बाद धीरे-धीरे महिलाएं बांस से कई तरह के सामान बनाने लगीं. महिलाओं ने कहा कि जब मेला लगता है तब हमारी बिक्री काफी अच्छी होती है. बाजार में दुकान वाले भी हमें बनाने का ऑर्डर देते हैं. जिससे हम महिलाएं अपने पैरों पर खड़े हो रहे हैं.

women becoming self-dependent by making goods from bamboo in hazaribag
बांस से बनाती हुई फैंसी आइटम

बच्चों को दे रही अच्छी परवरिश

महिलाएं बताती हैं कि पहले हम लोग हर काम या पैसे के लिए अपने परिवार पर निर्भर हुआ करते थे लेकिन अब खुद से पैसा कमा रहे हैं और ऊंची उड़ान लेने का सपना भी देख रहे हैं. अब महिलाएं गाड़ी चलाती हैं और मन मुताबिक सामान भी अपने लिए खरीदती हैं. यही नहीं अपने बच्चों को अच्छी परवरिश भी दे रही हैं.

women becoming self-dependent by making goods from bamboo in hazaribag
बांस से बना फैंसी आइटम

महिलाएं बढ़-चढ़कर ले रही योजना का लाभ

ब्लॉक प्रोग्रामिंग मैनेजर दीपक भी बताते हैं कि योजनाएं तो कई आती हैं लेकिन सबसे महत्वपूर्ण यह है कि जिसके लिए योजना बनाई गई है वह लाभ ले सके. इस गांव की महिलाएं बढ़-चढ़कर योजना का लाभ ले रही हैं. उत्पाद भी बना रही हैं, जिसका लाभ अब दिख रहा है.

Last Updated : Aug 24, 2021, 1:49 PM IST
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