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Vinoba Bhave University: ट्राइबल संस्कृति की पढ़ाई कराने वाला देश का दूसरा सेंटर बनेगा हजारीबाग

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Published : Dec 20, 2021, 5:20 PM IST

Updated : Dec 20, 2021, 9:18 PM IST

हजारीबाग का विनोबा भावे विश्वविद्यालय ट्राइबल सभ्यता संस्कृति की पढ़ाई कराने वाला देश का दूसरा सेंटर बनेगा. विश्वविद्यालय में Center for Tribal Studies के लिए बहुउद्देशीय भवन बनाने की तैयारी जोर शोर से चल रही है.

vinoba-bhave-university-of-hazaribag-will-become-second-center-in-country-to-study-tribal-culture
हजारीबाग का विनोबा भावे विश्वविद्यालय

हजारीबागः पिछला 2 साल बहुत ही चुनौती भरा रहा. कोरोना संक्रमण के कारण कई कार्यों में अवरोध भी उत्पन्न हुए. लेकिन अब धीरे-धीरे समय बदल रहा है. स्थिति सामान्य होने से कई कार्यो में तेजी भी आ रही है. हजारीबाग के विनोबा भावे विश्वविद्यालय परिसर में Center for Tribal Studies के लिए बहुउद्देशीय भवन बनना है. लेकिन संक्रमण ने इसके रफ्तार को कम कर दिया. अब यह उम्मीद लगाई जा रही है कि निर्माण कार्य में तेजी आएगी और बहुत जल्द यह सेंटर डिवेलप करेगा.

इसे भी पढ़ें- 7 जनजातीय मुद्दों पर रिसर्च करेगी डॉ. रामदयाल मुंडा जनजातीय कल्याण शोध संस्थान, 1 साल का होगा अध्ययन समय

झारखंड के प्रतिष्ठित Vinoba Bhave University में सेंटर फॉर ट्राइबल स्टडीज के लिए बहुउद्देशीय भवन बनाने की तैयारी चल रही है. पिछले 2 सालों से भवन बनाने की गति में शिथिलता आ गयी थी. लेकिन एक बार फिर से भवन बनाने के लिए पूरी ताकत लगा दी गयी है. प्रथम चरण में 6 से 8 करोड़ रुपए में भवन का निर्माण होगा.

देखें पूरी खबर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हजारीबाग में इस सेंटर का ऑनलाइन शिलान्यास भी किया था. हजारीबाग के वर्तमान सांसद जयंत सिन्हा जब केंद्रीय राज्य मंत्री थे तो उन्होंने यह प्रोजेक्ट को जल्द से जल्द पूरा करने के लिए जोर लगाया था. लेकिन भवन के मॉडल के साथ छेड़छाड़ करने के कारण उन्होंने आपत्ति दर्ज की थी. फिर से उसी मॉडल को तैयार करने को कहा. अब जयंत सिन्हा का कहना है कि सेंटर फॉर ट्राइबल स्टडीज एक बहुत ही महत्वपूर्ण धरोहर हजारीबाग के लिए बनने जा रहा है. इस धरोहर को जल्द से जल्द धरातल पर उतारने का प्रयास किया जा रहा है.

विनोबा भावे विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर मुकुल नारायण देव भी सेंटर फॉर ट्राइबल स्टडीज के भवन निर्माण को लेकर उत्साहित हैं. उनका कहना है कि इस के सेंटर बनने के बाद छात्रों को शिक्षा का एक नया आयाम मिलेगा. आदिवासियों यानी ट्राइबल की संस्कृति, संस्कार और जीवन का अध्ययन मानवशास्त्र से जुड़े अध्येताओं के लिए सदियों से काफी रुचिकर रहा है. ब्रिटेन सहित यूरोपीय देशों में जहां उनके जीवन के रहस्यों को लेकर काफी अध्ययन हुए हैं, वहीं भारत के युवाओं में इस ओर दिलचस्पी बढ़ी है.

इसे भी पढ़ें- प्रधानमंत्री को दिखाया गया DPR बदला, अधिकारियों को जानकारी नहीं, जिम्मेवार कौन?

हजारीबाग विनोबा भावे विश्वविद्यालय में सेंटर फॉर स्टडीज बन जाने के बाद छात्रों को जनजातीय सभ्यता और संस्कृति के बारे में अध्ययन करने में काफी मददगार साबित होगा. साथ ही साथ रोजगार के मौके भी सामने आएंगे. इस कारण सेंटर का महत्व भविष्य में दिखेगा. आदिवासी अध्ययन आज के दौर में युवाओं को काफी आकर्षित कर रहा है. छात्र दूर पहाड़ और जंगल में जाकर आदिवासी समाज के सभ्यता, संस्कृति, आचार, व्यवहार को जानने में दिलचस्पी भी दिखा रहे हैं. ऐसे में आने वाले समय में विनोबा भावे विश्वविद्यालय में सेंटर फॉर ट्राइबल स्टडीज मील का पत्थर साबित होगा.

Vinoba Bhave University of Hazaribag will become second center in country to study tribal culture
बहुउद्देशीय भवन का निर्माण

कैसा है कोर्स
ट्राइबल स्टडीज को लेकर भारत सहित कई देशों में अलग अलग संस्थान और विश्वविद्यालय में कई तरह के कोर्स उपलब्ध हैं. इसमें कहीं सर्टिफिकेट, पीजी डिप्लोमा या फिर मास्टर डिग्री है. इसके अलावा एमफिल और पीएचडी के कोर्स भी संचालित किए जाते हैं. इन कोर्स का मकसद है ट्राइबल के बीच युवाओं की भागीदारी, नेतृत्व, संस्कृति आदान-प्रदान और सेवा से जुड़े मौकों से अवगत कराना है. छात्रों को फील्ड रिसर्च करने का मौका मिलता है और वो उनके सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक विकास से रूबरू होते हैं. उनकी संस्कृति को अच्छे से समझने के लिए उनके साहित्य का अध्ययन भी करते हैं.

विकास से कोसों दूर इन आदिवासियों की जीवन शैली को उत्कृष्ट बनाने के लिए एक और सरकार कार्य कर रही है. वहीं कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां फंडिंग दे रही हैं. ऐसे में सरकारी और गैर-सरकारी संस्थाओं को किसी भी योजना को धरातल पर उतारने के लिए रिसर्च की आवश्यकता पड़ती है. इसके लिए ट्राइबल स्टडीज से जुड़े लोगों पर निर्भर होते हैं. यही कारण है कि भारत के कई संस्थाओं और विश्वविद्यालयों में ट्राइबल स्टडीज से संबंधित कोर्स संचालित किए जा रहे हैं.

इसे भी पढ़ें- वेद-उपनिषद का ज्ञान फैला रही गुजरात की संस्था, विदेशी भी दिखा रहे रुचि

टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस मुंबई में मास्टर ऑफ आर्ट्स इन सोशल वर्क (दलित एंड ट्राइबल स्टडीज एंड एक्शन) नामक कोर्स संचालित किया जा रहा है. वहीं अरुणाचल प्रदेश स्थित राजीव गांधी यूनिवर्सिटी स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ ट्राइबल स्टडीज एंड रिसर्च में सर्टिफिकेट कोर्स उपलब्ध है. हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में इंस्टीट्यूट ऑफ ट्राइबल स्टडीज एंड रिसर्च में काफी शोध हो रहा है. हजारीबाग के विनोबा भावे विश्वविद्यालय परिसर में सेंटर फॉर ट्राइबल स्टडीज के लिए भवन बन जाने से ये देश और झारखंड के साथ साथ जिला के लिए भी गर्व की बात होगी.

हजारीबागः पिछला 2 साल बहुत ही चुनौती भरा रहा. कोरोना संक्रमण के कारण कई कार्यों में अवरोध भी उत्पन्न हुए. लेकिन अब धीरे-धीरे समय बदल रहा है. स्थिति सामान्य होने से कई कार्यो में तेजी भी आ रही है. हजारीबाग के विनोबा भावे विश्वविद्यालय परिसर में Center for Tribal Studies के लिए बहुउद्देशीय भवन बनना है. लेकिन संक्रमण ने इसके रफ्तार को कम कर दिया. अब यह उम्मीद लगाई जा रही है कि निर्माण कार्य में तेजी आएगी और बहुत जल्द यह सेंटर डिवेलप करेगा.

इसे भी पढ़ें- 7 जनजातीय मुद्दों पर रिसर्च करेगी डॉ. रामदयाल मुंडा जनजातीय कल्याण शोध संस्थान, 1 साल का होगा अध्ययन समय

झारखंड के प्रतिष्ठित Vinoba Bhave University में सेंटर फॉर ट्राइबल स्टडीज के लिए बहुउद्देशीय भवन बनाने की तैयारी चल रही है. पिछले 2 सालों से भवन बनाने की गति में शिथिलता आ गयी थी. लेकिन एक बार फिर से भवन बनाने के लिए पूरी ताकत लगा दी गयी है. प्रथम चरण में 6 से 8 करोड़ रुपए में भवन का निर्माण होगा.

देखें पूरी खबर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हजारीबाग में इस सेंटर का ऑनलाइन शिलान्यास भी किया था. हजारीबाग के वर्तमान सांसद जयंत सिन्हा जब केंद्रीय राज्य मंत्री थे तो उन्होंने यह प्रोजेक्ट को जल्द से जल्द पूरा करने के लिए जोर लगाया था. लेकिन भवन के मॉडल के साथ छेड़छाड़ करने के कारण उन्होंने आपत्ति दर्ज की थी. फिर से उसी मॉडल को तैयार करने को कहा. अब जयंत सिन्हा का कहना है कि सेंटर फॉर ट्राइबल स्टडीज एक बहुत ही महत्वपूर्ण धरोहर हजारीबाग के लिए बनने जा रहा है. इस धरोहर को जल्द से जल्द धरातल पर उतारने का प्रयास किया जा रहा है.

विनोबा भावे विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर मुकुल नारायण देव भी सेंटर फॉर ट्राइबल स्टडीज के भवन निर्माण को लेकर उत्साहित हैं. उनका कहना है कि इस के सेंटर बनने के बाद छात्रों को शिक्षा का एक नया आयाम मिलेगा. आदिवासियों यानी ट्राइबल की संस्कृति, संस्कार और जीवन का अध्ययन मानवशास्त्र से जुड़े अध्येताओं के लिए सदियों से काफी रुचिकर रहा है. ब्रिटेन सहित यूरोपीय देशों में जहां उनके जीवन के रहस्यों को लेकर काफी अध्ययन हुए हैं, वहीं भारत के युवाओं में इस ओर दिलचस्पी बढ़ी है.

इसे भी पढ़ें- प्रधानमंत्री को दिखाया गया DPR बदला, अधिकारियों को जानकारी नहीं, जिम्मेवार कौन?

हजारीबाग विनोबा भावे विश्वविद्यालय में सेंटर फॉर स्टडीज बन जाने के बाद छात्रों को जनजातीय सभ्यता और संस्कृति के बारे में अध्ययन करने में काफी मददगार साबित होगा. साथ ही साथ रोजगार के मौके भी सामने आएंगे. इस कारण सेंटर का महत्व भविष्य में दिखेगा. आदिवासी अध्ययन आज के दौर में युवाओं को काफी आकर्षित कर रहा है. छात्र दूर पहाड़ और जंगल में जाकर आदिवासी समाज के सभ्यता, संस्कृति, आचार, व्यवहार को जानने में दिलचस्पी भी दिखा रहे हैं. ऐसे में आने वाले समय में विनोबा भावे विश्वविद्यालय में सेंटर फॉर ट्राइबल स्टडीज मील का पत्थर साबित होगा.

Vinoba Bhave University of Hazaribag will become second center in country to study tribal culture
बहुउद्देशीय भवन का निर्माण

कैसा है कोर्स
ट्राइबल स्टडीज को लेकर भारत सहित कई देशों में अलग अलग संस्थान और विश्वविद्यालय में कई तरह के कोर्स उपलब्ध हैं. इसमें कहीं सर्टिफिकेट, पीजी डिप्लोमा या फिर मास्टर डिग्री है. इसके अलावा एमफिल और पीएचडी के कोर्स भी संचालित किए जाते हैं. इन कोर्स का मकसद है ट्राइबल के बीच युवाओं की भागीदारी, नेतृत्व, संस्कृति आदान-प्रदान और सेवा से जुड़े मौकों से अवगत कराना है. छात्रों को फील्ड रिसर्च करने का मौका मिलता है और वो उनके सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक विकास से रूबरू होते हैं. उनकी संस्कृति को अच्छे से समझने के लिए उनके साहित्य का अध्ययन भी करते हैं.

विकास से कोसों दूर इन आदिवासियों की जीवन शैली को उत्कृष्ट बनाने के लिए एक और सरकार कार्य कर रही है. वहीं कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां फंडिंग दे रही हैं. ऐसे में सरकारी और गैर-सरकारी संस्थाओं को किसी भी योजना को धरातल पर उतारने के लिए रिसर्च की आवश्यकता पड़ती है. इसके लिए ट्राइबल स्टडीज से जुड़े लोगों पर निर्भर होते हैं. यही कारण है कि भारत के कई संस्थाओं और विश्वविद्यालयों में ट्राइबल स्टडीज से संबंधित कोर्स संचालित किए जा रहे हैं.

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टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस मुंबई में मास्टर ऑफ आर्ट्स इन सोशल वर्क (दलित एंड ट्राइबल स्टडीज एंड एक्शन) नामक कोर्स संचालित किया जा रहा है. वहीं अरुणाचल प्रदेश स्थित राजीव गांधी यूनिवर्सिटी स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ ट्राइबल स्टडीज एंड रिसर्च में सर्टिफिकेट कोर्स उपलब्ध है. हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में इंस्टीट्यूट ऑफ ट्राइबल स्टडीज एंड रिसर्च में काफी शोध हो रहा है. हजारीबाग के विनोबा भावे विश्वविद्यालय परिसर में सेंटर फॉर ट्राइबल स्टडीज के लिए भवन बन जाने से ये देश और झारखंड के साथ साथ जिला के लिए भी गर्व की बात होगी.

Last Updated : Dec 20, 2021, 9:18 PM IST
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