हजारीबाग: जिले के कटकमसांडी प्रखंड के लुपुंग गांव में राजकीय बुनियादी विद्यालय (Rajkiy Buniyadi Vidyalay) इन दिनों सुर्खियों में है. सुदूरवर्ती इलाके के इस विद्यालय में ग्रामीणों ने गौशाला बना दिया था, जहां कई जानवर बांधे जाते थे. यह खबर पूरे जिले में इस तरह से फैली की जिला प्रशासन को संज्ञान लेना पड़ा. शिक्षा विभाग के पदाधिकारियों ने स्कूल पहुंचकर मामले की जांच की है.
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हजारीबाग और रामगढ़ जिले में कुल आठ बुनियादी विद्यालय हैं. बुनियादी विद्यालय उसे कहा जाता है जहां छात्रों को पढ़ाई के साथ-साथ रोजगार की भी जानकारी दी जाती है, जिसमें खेती, बुनाई, लकड़ी के सामान बनाने की जानकारी समेत अन्य बातों की जानकारी दी जाती थी. विद्यालयों में इन सब विषयों की पढ़ाई एकीकृत झारखंड-बिहार में शुरू की गई थी. झारखंड बनने के बाद कुछ सालों तक तो पढ़ाई चली, लेकिन बाद में यह बुनियादी पढ़ाई ही बंद कर दी गई. अब बुनियादी विद्यालयों में बड़े-बड़े चारदीवारी तो जरूर देखेंगे, लेकिन रोजगार की पढ़ाई नहीं होती है.
लुपुंग बुनियादी विद्यालय में 85 छात्र
हजारीबाग के लुपुंग में भी बुनियादी विद्यालय है, जिसमें लगभग 85 छात्र पढ़ाई करते हैं. वहीं विद्यालय में 8 शिक्षक हैं. विद्यालय में लगभग 10 छात्रों पर एक शिक्षक हैं. ऐसे में कहा जा सकता है कि इस विद्यालय का उद्देश्य की पूर्ति नहीं हो रही है. लॉकडाउन होने के कारण पिछले डेढ़ साल से स्कूल भी बंद था. गांव के लोगों ने स्कूल के परिसर को ही गौशाला बना दिया. अपने-अपने गोवंश और अन्य जानवरों को परिसर में ही रखा जाने लगा. विद्यालय को गौशाला बनाने की खबर जब सोशल मीडिया में फैल गई तो जिला प्रशासन ने संज्ञान लिया.
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पदाधिकारियों ने की जांच
शिक्षा विभाग के पदाधिकारियों ने बुनियादी विद्यालय की जांच की है. जांच करने के बाद पदाधिकारी ने बताया कि विद्यालय में जानवर तो नहीं मिला, लेकिन स्थिति देखकर पता चलता है कि यहां जानवर रखा जाता था. उन्होंने कहा कि स्कूल प्रबंधन को इस मामले की जानकारी शिक्षा विभाग को देना चाहिए था, लेकिन उन्होंने जानकारी नहीं दी. पूरे मामले की रिपोर्ट बनाई जा रही है, 3 दिनों के अंदर स्थिति सुधर जाएगी.