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मकर संक्रांति को लेकर सजा तिलकुट बाजार, गया के तिलकुट को मात दे रहा हजारीबाग का तिलकुट - हजारीबाग का खास तिलकुट

हजारीबाग में इन दिनों तिलकुट का बाजार सजकर तैयार हो चुका है. हर चौक-चौराहें पर तिलकुट बेची जा रही है लेकिन हजारीबाग तिलकुट का स्वाद गया के तिलकुट को भी मात दे रहा है. वहीं, बाहर से आए कारीगर तिलकुट बना रहे हैं और अपना जीवन यापन कर रहे हैं.

Tilkut market decorated on Makar Sankranti
तिलकुट बनाते हुए कारीगर
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Published : Jan 13, 2020, 1:48 PM IST

हजारीबाग: मकर संक्रांति के अवसर पर तिलकुट का खास महत्व होता है. हिंदू धर्म में इस दिन तिल का सेवन कर नए साल का भी स्वागत करते है. इस अवसर पर हजारीबाग में भी तिलकुट का बाजार सज चुका है लेकिन इस बाजार की खासियत यह है कि दूसरे जिले के कारीगर आकर तिलकुट बना रहे हैं. चतरा, टंडवा, बालूमाथ, गया के कारीगर यहां तिलकुट बना रहे हैं. हजारीबाग के कॉल टैक्स चौक जिसे खाजा चौक के नाम से जानते हैं यहां कई दशकों से तिलकुट की बिक्री की जाती रही है.

देखें पूरी खबर

कई जगहों पर सज चुका है तिलकुट की दुकान
इसके अलावा भी मेन रोड, इंद्रपुरी, झंडा चौक, बंसीलाल चौक सहित दर्जनों स्थानों पर तिलकुट के दुकान पर तिलकुट बिक रहा है. तिलकुट के व्यवसाई कहते हैं कि तिलकुट पूरे बाजार को नहीं खिला पाते हैं. इसे देखते हुए दूसरे शहर से तिलकुट बनाने वाले को यहां बुलाते हैं जो इसे बनाने में निपुण भी है ताकि तिलकुट का स्वाद में कोई कमी न रह जाए. इस कारण लोग अच्छे कारीगर को बुलाकर यह विशेष पकवान बनाते हैं.

वहीं, कारीगरों का कहना है कि पारंपरिक तरीका से तिलकुट बनाते हैं ताकि तिलकुट की क्वालिटी बरकरार रहें. तिलकुट की क्वालिटी उसके कुरकुरे पन पर निर्भर करता है. जिसमें गर्म पानी, चीनी, तिल और नींबू डालना होता है. अगर थोड़ा सा भी सम्मान में ऊपर नीचे हुआ तो स्वाद ही खराब हो जाता है. ऐसे में विशेष रूप से ध्यान रखा जाता है.

तीन महीने तक ही कर पाते है तिलकुट का व्यापार
उनका कहना है कि साल में 3 महीने तिलकुट का व्यापार होता है. इसके बाद इसका व्यापार खत्म हो जाता है. साल भर इंतजार करते हैं कि जल्द मकर संक्रांति का पर्व आए और अपना व्यवसाय कर सके ताकि अपना परिवार का भरण पोषण भी कर सकें.

बाजार में कई तरह के तिलकुट हैं उपलब्ध
बाजार में इन दिनों कई तरह के तिलकुट भी उपलब्ध हैं. जिसमें खोए का तिलकुट 400 रुपए प्रति किलो, स्पेशल तिलकुट 240 रुपए प्रति किलो, चीनी और गुड़ का तिलकुट 200 रुपए प्रति किलो, कटकटवा तिलकुट 100 रुपए किलो के दर से बिक रहा है.

ये भी देखें- केंद्र का सपना पूरा करेने में जुटी आदिवासी महिला किसान, खेती की ले रहीं प्रशिक्षण

यह पर्व आपसी एकता का प्रतीक है. हर पर्व की अपनी खासियत होती है. पर्व मनाने के लिए जो पकवान तैयार किया जाता है वह एक दूसरे को अलग पहचान भी देती है. ऐसे में मकर संक्रांति तिलकुट के लिए जाना जाता है. जिसमें दूसरे जिले के कारीगर भी हजारीबाग में तिलकुट बनाकर लोगों का दिल जीतने का कोशिश कर रहे हैं.

हजारीबाग: मकर संक्रांति के अवसर पर तिलकुट का खास महत्व होता है. हिंदू धर्म में इस दिन तिल का सेवन कर नए साल का भी स्वागत करते है. इस अवसर पर हजारीबाग में भी तिलकुट का बाजार सज चुका है लेकिन इस बाजार की खासियत यह है कि दूसरे जिले के कारीगर आकर तिलकुट बना रहे हैं. चतरा, टंडवा, बालूमाथ, गया के कारीगर यहां तिलकुट बना रहे हैं. हजारीबाग के कॉल टैक्स चौक जिसे खाजा चौक के नाम से जानते हैं यहां कई दशकों से तिलकुट की बिक्री की जाती रही है.

देखें पूरी खबर

कई जगहों पर सज चुका है तिलकुट की दुकान
इसके अलावा भी मेन रोड, इंद्रपुरी, झंडा चौक, बंसीलाल चौक सहित दर्जनों स्थानों पर तिलकुट के दुकान पर तिलकुट बिक रहा है. तिलकुट के व्यवसाई कहते हैं कि तिलकुट पूरे बाजार को नहीं खिला पाते हैं. इसे देखते हुए दूसरे शहर से तिलकुट बनाने वाले को यहां बुलाते हैं जो इसे बनाने में निपुण भी है ताकि तिलकुट का स्वाद में कोई कमी न रह जाए. इस कारण लोग अच्छे कारीगर को बुलाकर यह विशेष पकवान बनाते हैं.

वहीं, कारीगरों का कहना है कि पारंपरिक तरीका से तिलकुट बनाते हैं ताकि तिलकुट की क्वालिटी बरकरार रहें. तिलकुट की क्वालिटी उसके कुरकुरे पन पर निर्भर करता है. जिसमें गर्म पानी, चीनी, तिल और नींबू डालना होता है. अगर थोड़ा सा भी सम्मान में ऊपर नीचे हुआ तो स्वाद ही खराब हो जाता है. ऐसे में विशेष रूप से ध्यान रखा जाता है.

तीन महीने तक ही कर पाते है तिलकुट का व्यापार
उनका कहना है कि साल में 3 महीने तिलकुट का व्यापार होता है. इसके बाद इसका व्यापार खत्म हो जाता है. साल भर इंतजार करते हैं कि जल्द मकर संक्रांति का पर्व आए और अपना व्यवसाय कर सके ताकि अपना परिवार का भरण पोषण भी कर सकें.

बाजार में कई तरह के तिलकुट हैं उपलब्ध
बाजार में इन दिनों कई तरह के तिलकुट भी उपलब्ध हैं. जिसमें खोए का तिलकुट 400 रुपए प्रति किलो, स्पेशल तिलकुट 240 रुपए प्रति किलो, चीनी और गुड़ का तिलकुट 200 रुपए प्रति किलो, कटकटवा तिलकुट 100 रुपए किलो के दर से बिक रहा है.

ये भी देखें- केंद्र का सपना पूरा करेने में जुटी आदिवासी महिला किसान, खेती की ले रहीं प्रशिक्षण

यह पर्व आपसी एकता का प्रतीक है. हर पर्व की अपनी खासियत होती है. पर्व मनाने के लिए जो पकवान तैयार किया जाता है वह एक दूसरे को अलग पहचान भी देती है. ऐसे में मकर संक्रांति तिलकुट के लिए जाना जाता है. जिसमें दूसरे जिले के कारीगर भी हजारीबाग में तिलकुट बनाकर लोगों का दिल जीतने का कोशिश कर रहे हैं.

Intro:हजारीबाग शहर इन दिनों तिलकुट की सौंधी धमक से धमधमा रहा है। हर चौक चौराहे पर तिलकुट का बाजार सज चुका है। लेकिन हजारीबाग तिलकुट का स्वाद गया के तिलकुट को भी मात दे रहा है। बाहर से आए कारीगर तिलकुट बना रहे हैं और अपना जीवन यापन कर रहे हैं।


Body:मकर संक्रांति के अवसर पर तिलकुट का खास महत्व होता है। हिंदू धर्म में इस दिन तिल का सेवन कर नए साल का भी स्वागत करते है। मकर सक्रांति के दिन सूर्य पृथ्वी की परिक्रमा करने की दिशा बदलते हुए थोड़ा उत्तर की ओर ढल जाता है ।इसलिए इस काल को उत्तरायण कहते हैं। वेद और पुराणों में भी इस दिन का विशेष उल्लेख मिलता है।

इस अवसर पर हजारीबाग में भी तिलकुट का बाजार सज चुका है। लेकिन इस बाजार की खासियत यह है कि दूसरे जिले के कारीगर आकर तिलकुट बना रहे हैं। चतरा, टंडवा, बालूमाथ, गया के कारीगर यहा तिलकुट बना रहे हैं। हजारीबाग के कॉल टैक्स चौक जिसे खाजा चौक के नाम से जानते हैं यहां कई दशकों से तिलकुट की बिक्री की जाती रही है। इसके अलावा भी मेन रोड, इंद्रपुरी, झंडा चौक, बंसीलाल चौक सहित दर्जनों स्थानों पर तिलकुट के दुकान पर तिलकुट बिक रहा है। तिलकुट के व्यवसाई भी कहते हैं कि हम तिलकुट पूरे बाजार को नहीं खिला पाते हैं। इसे देखते हुए दूसरे शहर से तिलकुट बनाने वाले को यहां बुलाते हैं। जो इसे बनाने में निपुण भी है ।ताकि तिलकुट का स्वाद में कोई कमी न रह जाए। इस कारण हम लोग अच्छे कारीगर को बुलाकर यह विशेष पकवान बनाते हैं।

तिलकुट बनाने वाले कहते हैं कि हम पारंपरिक तरीका से तिलकुट बनाते हैं। तिलकुट की क्वालिटी उसके कुरकुरे पन पर निर्भर करता है। जिसमें गर्म पानी, चीनी, तिल और नींबू डालना होता है। अगर थोड़ा सा भी सम्मान में ऊपर नीचे हुआ तो स्वाद ही खराब हो जाता है। ऐसे में विशेष रूप से ध्यान रखा जाता है। उनका कहना भी है कि साल में 3 महीने तिलकुट का व्यापार होता है। इसके बाद इसका व्यापार खत्म हो जाता है ।हम साल भर इंतजार करते हैं कि जल्द मकर संक्रांति का पर्व आए और हम अपना व्यवसाय कर सके ताकि अपना परिवार का भरण पोषण भी कर सकें।

बाजार में इन दिनों कई तरह के तिलकुट भी उपलब्ध हैं। जिसमें खोए का तिलकुट ₹400 प्रति किलो, स्पेशल तिलकुट ₹240 प्रति किलो, चीनी एवं गुड़ का तिलकुट ₹200 प्रति किलो, कटकटवा तिलकुट ₹100 किलो के दर से बिक रहा है।

byte.... राहुल कुमार ,दुकानदार
byte.... बालेसर, दूसरे जिला से आया कारीगर


Conclusion:पर्व आपसी एकता का प्रतीक है। हर पर्व की अपनी खासियत होती है। पर्व मनाने के लिए जो पकवान तैयार किया जाता है वह एक दूसरे को अलग पहचान भी देती है। ऐसे में मकर संक्रांति तिलकुट के लिए जाना जाता है। जिसमें दूसरे जिले के कारीगर भी हजारीबाग में तिलकुट बनाकर लोगों का दिल जीतने का कोशिश कर रहे हैं।

गौरव प्रकाश ईटीवी भारत हजारीबाग
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