हजारीबागः हौसले बुलंद कर रास्तों पर चल, तुझे तेरा मुकाम मिल जाएगा, बढ़कर अकेले तू पहल कर, तुमको देखकर काफिला खुद बन जाएगा, यह पंक्तियां रश्मि बिरहोर पर सटीक बैठता है. जिसने इस बार इंटर की परीक्षा में दूसरा स्थान लाकर अपने बिरहोर टोला का नाम रोशन किया है.
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रामगढ़ जिला के मांडू प्रखंड अंतर्गत कंसार बिरहोर टोला की रहने वाली यह पहली छात्रा है, जिसने इंटर की परीक्षा में दूसरा स्थान लाकर यह मुकाम हासिल किया है. अब रश्मि बिरहोर इंजीनियरिंग में डिप्लोमा की पढ़ाई के लिए जमशेदपुर जाने की तैयारी में जुट गई है.
बिरहोर एक आदिम जनजाति है, जिसे झारखंड में संरक्षित किया गया है. जंगलों में निवास करने वाले बिरहोर अब जंगल के आसपास सरकार की ओर से बनाए गए टांडा में रहते हैं. सरकार की ओर से इन्हें संरक्षित और विकसित करने के लिए कई योजना चलाई जा रही हैं, फिर भी ये विकसित नहीं हो रहे हैं. लेकिन इनमें से कुछ बिरहोर ऐसे भी हैं जो शिक्षा के प्रति जागरूक हुए हैं, वो समझ रहे हैं कि हमारे लिए पढ़ाई कितना महत्वपूर्ण है.
रामगढ़ जिला के मांडू प्रखंड अंतर्गत वेस्ट बोकारो के कंसार बिरहोर टोला की रहने वाली रश्मि बिरहोर ने इस बार इंटर की परीक्षा में दूसरा स्थान लाकर पूरे बिरहोर समाज का नाम रोशन किया है. रश्मि बिरहोर हजारीबाग के संत रॉबर्ट प्लस टू हाई स्कूल में इंटर की परीक्षा में 274 अंक लाकर द्वितीय स्थान पाया है. शिक्षा के प्रति इनकी परिवार की भी जागरुकता दिखती है. माता-पिता ने रश्मि को हजारीबाग में हॉस्टल में रहकर पढ़ाया.
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इंजीनियरिंग करना चाहती हैं रश्मि
जिसका नतीजा परीक्षा के परिणाम में सामने आया है कि आज रश्मि ने इंटर पास कर अपने परिवार के साथ-साथ बिरहोर समाज का भी नाम रोशन किया है. अब वह डिप्लोमा इन इंजीनियरिंग कोर्स करने जमशेदपुर जाने वाली है. जिसके लिए उसने ऑनलाइन फॉर्म भी भर दिया है.
रश्मि कहती हैं कि पढ़ाई में मैंने खूब मेहनत किया, मेरे माता-पिता का मेरे करियर को लेकर बहुत अधिक योगदान है, शिक्षकों का भी मुझे भरपूर सहयोग मिला, जिस कारण मुझे द्वितीय स्थान मिला है. आदिम जनजाति के पिछड़ेपन को लेकर रश्मि का कहना है कि बिरहोर जनजाति में अभी-भी शिक्षा से लोग बहुत दूर हैं, नशे में अधिकतर परिवार रहते हैं, जिस कारण बच्चों का विकास नहीं हो पाता है और वह पढ़ाई से वंचित रह जाते हैं.
मेरी इच्छा है कि मैं अपने समाज के लोगों को जागरूक करूं और उन्हें पढ़ाई भी करवाऊं ताकि मेरे जैसे और बिरहोर शिक्षा प्राप्त कर अपना जीवनस्तर ऊंचा कर सके. उसका यह भी कहना है कि अशिक्षा और अज्ञानता के कारण सरकार की जो योजना चलती है उसका लाभ भी बिरहोर जनजाति के लोग नहीं उठा पाते हैं.
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रश्मि के माता-पिता भी हैं शिक्षित
रश्मि बिरहोर की मां सेतेन बिरहोर भी शिक्षित हैं. जिन्होंने 2008 में मैट्रिक पास किया और 2010 में स्नातक द्वितीय वर्ष तक पढ़ाई किया. पैसे की कमी के कारण वह पढ़ाई पूरा नहीं कर पाईं. आज वह घर पर ही सिलाई का काम करती हैं. रश्मि के पिता भी मैट्रिक पास हैं, उनका भी कहना है कि सरकार तो कई योजना चलाती हैं, पर उनका लाभ हम लोगों को नहीं मिलता है. अगर नौकरी की बात की जाए तो मुझे और मेरी पत्नी को भी नौकरी मिलनी चाहिए थी, पर समय खत्म हो गया और हमें नौकरी नहीं मिल पाई.
रश्मि के पिता ने बताया कि अब मैं मजदूरी करता हूं और मेरी पत्नी सिलाई का काम करती है. हम दोनों मिलकर अपनी बेटी को पढ़ा रहे हैं ताकि ये बड़ी अधिकारी बने और हम लोगों के समाज का नाम ऊंचा करें. उन्होंने बताया कि टाटा स्टील रूलर डेवलपमेंट सोसाइटी रश्मि बिरहोर की पढ़ाई के लिए मदद कर रही.
स्कूल के प्राचार्य कहते हैं कि रश्मि पहले पढ़ाई में बहुत कमजोर थी, पर उसने बहुत मेहनत किया और यह मुकाम हासिल किया है, आज वह इंटर पास की है. इस खुशी के अवसर पर हम लोगों ने उसे सम्मानित भी किया है ताकि उसका हौसला बढ़े और वह और भी अधिक मेहनत से पढ़ाई करे. बिरहोर समाज में शिक्षा कमी को लेकर उन्होंने चिंता जताते हुए कि बिरहोर समाज के लिए सरकार कई योजनाएं चला रही हैं, पर जो परिणाम आना चाहिए वह नहीं आ पा रहा है यह दुख की बात है.