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इस विद्यालय में छात्राओं ने आज तक नहीं रखा कदम, जानें क्या है कारण

करोड़ों रुपये की लागत से बना नवनिर्मित कस्तूरबा गांधी विद्यालय हजारीबाग में आज तक शिक्षा का दीया नहीं जल सका है, जबकि भवन निर्माण के बाद श्रेय लेने का दावा कई लोगों ने किया. स्कूल बनकर तैयार हो जाने के बाद भी इसका न तो उद्घाटन हुआ और न ही एक भी छात्रा ने यहां कदम रखा है. आलम यह है कि भवन पूरी तरह से वीरान पड़ा है.

kasturba gandhi school not running due to road in hazaribag
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Published : Dec 30, 2020, 2:13 PM IST

Updated : Dec 30, 2020, 4:11 PM IST

हजारीबाग: जिले के इचाक प्रखंड में कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय करोड़ों रुपये की लागत से बनाया गया है. बड़ी-बड़ी चारदीवारी और आकर्षक भवन इसकी पहचान है, लेकिन इसने अपनी पहचान शिक्षा के क्षेत्र में नहीं बना पाई. आज तक किसी भी छात्रा ने इस परिसर में अपना कदम तक नहीं रखा है. दरअसल स्कूल पहुंचने के लिए यहां एप्रोच रोड नहीं है. इसे अत्यंत सुनसान क्षेत्र में बनाया गया है, जिस कारण इसका उद्घाटन नहीं हो पाया है.

देखें स्पेशल खबर

स्कूल जाने के लिए नहीं है पक्की सड़क

जिला शिक्षा पदाधिकारी लूदी कुमारी बताती हैं कि सड़क के कारण लोग स्कूल का उपयोग नहीं कर पाए और स्कूल सुदूरवर्ती क्षेत्र में बना दिया गया है. उनका यह भी कहना है कि सड़क निर्माण के लिए विभाग को लिखा गया है. जैसे ही सड़क निर्माण होगा यहां पढ़ाई शुरू करवा दी जाएगी. कस्तूरबा स्कूल पहुंचने के लिए नदी, जंगल का रास्ता और ग्रामीणों की जमीन से होकर गुजरना पड़ता है. इसके साथ ही यहां सुरक्षा को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं.

प्रशासनिक उदासीनता के कारण नहीं शुरू हुई पढ़ाई
इसे लेकर समाजसेवी बटेश्वर मेहता ने सरकार का ध्यान भी आकृष्ट कराया है. मुख्यमंत्री जनशिकायत में शिकायत भी दर्ज कराई है, लेकिन एक कदम भी सरकार आगे नहीं बढ़ी है. रघुवर सरकार के समय इस पर चर्चा भी की गई थी. अब लोग बच्चियों की पढ़ाई को लेकर जन आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं. उनका कहना है कि इचाक बाजार में कस्तूरबा स्कूल है, जहां सुविधा नहीं हैं. बच्चियों को इस नवनिर्मित स्कूल में पढ़ना था, लेकिन प्रशासनिक उदासीनता के कारण पढ़ाई शुरू नहीं हो पाई.


2006 में योजना की शुरुआत
केंद्र सरकार ने सर्व शिक्षा अभियान को बढ़ावा देने के लिए कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय योजना की शुरुआत की थी. इस योजना का शुभारंभ साल 2006-07 में किया गया था. विद्यालयों में कम से कम 75% सीट अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक वर्गों की बालिकाओं के लिए आरक्षित हैं. वहीं 25% गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले परिवार की बालिकाओं के लिए रहती हैं. बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ को सार्थक बनाने के लिए कस्तूरबा गांधी विद्यालय आवासीय विद्यालय में अब 12वीं तक पढ़ाई हो रही है.

ये भी पढ़े- RIMS ने निजी एजेंसी को मरीजों की सेवा करने की दी अनुमति, पढ़े पूरी रिपोर्ट

कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय के मुख्य उद्देश्य

  • कस्तूरबा गांधी विद्यालय का मुख्य उद्देश्य विषम परिस्थितियों में जीवन यापन करने वाली बालिकाओं को आवासीय विद्यालय के माध्यम से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना.
  • अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक वर्ग के अभिभावकों को बालिकाओं को स्कूल भेजने के लिए प्रेरित करना.
  • विशेषकर एक स्थान से दूसरे स्थान घूमने वाली जाति या समुदाय की बालिकाओं पर विशेष ध्यान केंद्रित करना है.
  • अनुसूचित जाति, जनजाति, अत्यंत पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक समुदाय की बालिकाओं और 25% गरीब रेखा से नीचे रहने वाले परिवार की बच्चियों को शिक्षा के क्षेत्र में लाना है.

हजारीबाग: जिले के इचाक प्रखंड में कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय करोड़ों रुपये की लागत से बनाया गया है. बड़ी-बड़ी चारदीवारी और आकर्षक भवन इसकी पहचान है, लेकिन इसने अपनी पहचान शिक्षा के क्षेत्र में नहीं बना पाई. आज तक किसी भी छात्रा ने इस परिसर में अपना कदम तक नहीं रखा है. दरअसल स्कूल पहुंचने के लिए यहां एप्रोच रोड नहीं है. इसे अत्यंत सुनसान क्षेत्र में बनाया गया है, जिस कारण इसका उद्घाटन नहीं हो पाया है.

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स्कूल जाने के लिए नहीं है पक्की सड़क

जिला शिक्षा पदाधिकारी लूदी कुमारी बताती हैं कि सड़क के कारण लोग स्कूल का उपयोग नहीं कर पाए और स्कूल सुदूरवर्ती क्षेत्र में बना दिया गया है. उनका यह भी कहना है कि सड़क निर्माण के लिए विभाग को लिखा गया है. जैसे ही सड़क निर्माण होगा यहां पढ़ाई शुरू करवा दी जाएगी. कस्तूरबा स्कूल पहुंचने के लिए नदी, जंगल का रास्ता और ग्रामीणों की जमीन से होकर गुजरना पड़ता है. इसके साथ ही यहां सुरक्षा को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं.

प्रशासनिक उदासीनता के कारण नहीं शुरू हुई पढ़ाई
इसे लेकर समाजसेवी बटेश्वर मेहता ने सरकार का ध्यान भी आकृष्ट कराया है. मुख्यमंत्री जनशिकायत में शिकायत भी दर्ज कराई है, लेकिन एक कदम भी सरकार आगे नहीं बढ़ी है. रघुवर सरकार के समय इस पर चर्चा भी की गई थी. अब लोग बच्चियों की पढ़ाई को लेकर जन आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं. उनका कहना है कि इचाक बाजार में कस्तूरबा स्कूल है, जहां सुविधा नहीं हैं. बच्चियों को इस नवनिर्मित स्कूल में पढ़ना था, लेकिन प्रशासनिक उदासीनता के कारण पढ़ाई शुरू नहीं हो पाई.


2006 में योजना की शुरुआत
केंद्र सरकार ने सर्व शिक्षा अभियान को बढ़ावा देने के लिए कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय योजना की शुरुआत की थी. इस योजना का शुभारंभ साल 2006-07 में किया गया था. विद्यालयों में कम से कम 75% सीट अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक वर्गों की बालिकाओं के लिए आरक्षित हैं. वहीं 25% गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले परिवार की बालिकाओं के लिए रहती हैं. बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ को सार्थक बनाने के लिए कस्तूरबा गांधी विद्यालय आवासीय विद्यालय में अब 12वीं तक पढ़ाई हो रही है.

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कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय के मुख्य उद्देश्य

  • कस्तूरबा गांधी विद्यालय का मुख्य उद्देश्य विषम परिस्थितियों में जीवन यापन करने वाली बालिकाओं को आवासीय विद्यालय के माध्यम से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना.
  • अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक वर्ग के अभिभावकों को बालिकाओं को स्कूल भेजने के लिए प्रेरित करना.
  • विशेषकर एक स्थान से दूसरे स्थान घूमने वाली जाति या समुदाय की बालिकाओं पर विशेष ध्यान केंद्रित करना है.
  • अनुसूचित जाति, जनजाति, अत्यंत पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक समुदाय की बालिकाओं और 25% गरीब रेखा से नीचे रहने वाले परिवार की बच्चियों को शिक्षा के क्षेत्र में लाना है.
Last Updated : Dec 30, 2020, 4:11 PM IST
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