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66 साल के हुए बाबूलाल मरांडी, शिक्षक से सीएम तक का सफर तय कर आज संभाल रहे हैं पार्टी की बड़ी जिम्मेदारी - BABULAL MARANDI BIRTHDAY

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी का जन्मदिन है. एक शिक्षक से सीएम तक का उनका सफर काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा है.

Babulal Marandi Birthday
बाबूलाल मरांडी (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jan 11, 2025, 12:57 PM IST

रांची: झारखंड आज दो बड़ी राजनीतिक हस्तियों का जन्मदिन मना रहा है. एक हैं शिबू सोरेन तो दूसरे हैं बाबूलाल मरांडी. दोनों झारखंड के बड़े ट्राइबल नेता हैं. इनकी एक और समानता है कि दोनों ने झारखंड की सीमा लांघकर राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई है. अब बाबूलाल मरांडी 66 साल के हो गए हैं. उन्हें जन्मदिन की बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है.

बाबूलाल मरांडी वर्तमान में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष हैं. इनका जन्म 11 जनवरी 1958 को गिरिडीह के कोदाईबांक गांव में हुआ था. गिरिडीह में रहकर इन्होंने स्नातक तक की पढ़ाई की. इसके बाद रांची विश्वविद्यालय में भूगोल विषय में स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की. इन्होंने शिक्षक के रूप में अपने प्रारंभिक जीवन की शुरुआत की लेकिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से प्रभावित होकर नौकरी छोड़ दी. इनको राज्य का प्रथम मुख्यमंत्री बनने का गौरव प्राप्त है. वे चार बार लोकसभा के सांसद भी रह चुके हैं.

बाबूलाल मरांडी वर्तमान में गिरिडीह के धनवार से भाजपा के विधायक हैं. ये ऐसे राजनीतिज्ञ हैं जिन्होंने झारखंड के दिग्गज ट्राइबल नेता शिबू सोरेन को लोकसभा चुनाव में मात दी थी. बाबूलाल मरांडी के नेतृत्व में ही 1998 के लोकसभा चुनाव के दौरान एकीकृत बिहार के झारखंड में पड़ने वाले 14 लोकसभा सीटों में से 12 सीटों पर भाजपा की जीत हुई थी. इस जीत ने बाबूलाल मरांडी को राष्ट्रीय स्तर पर एस्टेब्लिश किया था. उनको पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के कैबिनेट में भी जगह मिली थी.

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के पहल पर झारखंड जब अलग राज्य बना तो बाबूलाल मरांडी को राज्य की कमान सौंपी गई. लेकिन डोमिसाइल विवाद की वजह से 2003 में उनको सीएम की कुर्सी छोड़नी पड़ी. यहीं से बाबूलाल मरांडी की भाजपा से दूरी की नींव पड़ी. 2006 में उन्होंने भाजपा छोड़ दिया.

बाबूलाल मरांची ने झारखंड विकास मोर्चा नाम से पार्टी बनाई जो जेवीएम के रूप में लंबे समय तक चर्चित रही. 2006 से 2019 के चुनाव तक बाबूलाल मरांडी झारखंड की राजनीति में किंग मेकर की भूमिका में रहे, लेकिन अपने विधायकों को नहीं संभाल पाए. 2014 के चुनाव में अच्छा परिणाम हासिल करने के बावजूद उनके पांच विधायक भाजपा में शामिल हो गए. इस दौरान अक्सर चर्चा होती रही कि बाबूलाल मरांडी की भाजपा में दोबारा वापसी होगी. लेकिन ऐसा होने में करीब 14 साल लग गए.

2019 के चुनाव के बाद फरवरी 2020 में बाबूलाल मरांडी ने जेवीएम का भाजपा में विलय कर दिया. लेकिन उनकी पार्टी के विधायक प्रदीप यादव और बंधु तिर्की ने अलग राह अपना ली और मामला स्पीकर के ट्रिब्यूनल में दल बदल अधिनियम के तहत चलने लगा. नतीजा यह रहा कि भाजपा विधायक दल का नेता चुने जाने के बावजूद बाबूलाल मरांडी को सदन में नेता प्रतिपक्ष का दर्जा नहीं मिल पाया. लेकिन रोचक बात यह रही की दल बदल मामले में स्पीकर ट्रिब्यूनल द्वारा फैसला रिजर्व करने के बावजूद उनके खिलाफ फाइनल फैसला नहीं आया.

बाबूलाल मरांडी के मुख्यमंत्री वाले काल को आज भी याद किया जाता है. लेकिन अब झारखंड की राजनीति बदल गई है. 2024 के चुनाव में बाबूलाल मरांडी कोई करिश्मा नहीं दिखा पाए. ऊपर से 10 जनवरी को रघुवर दास की भाजपा में दोबारा वापसी हो चुकी है. अब देखना है कि पार्टी बाबूलाल मरांडी को कौन सी की जिम्मेदारी देती है.

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रांची: झारखंड आज दो बड़ी राजनीतिक हस्तियों का जन्मदिन मना रहा है. एक हैं शिबू सोरेन तो दूसरे हैं बाबूलाल मरांडी. दोनों झारखंड के बड़े ट्राइबल नेता हैं. इनकी एक और समानता है कि दोनों ने झारखंड की सीमा लांघकर राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई है. अब बाबूलाल मरांडी 66 साल के हो गए हैं. उन्हें जन्मदिन की बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है.

बाबूलाल मरांडी वर्तमान में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष हैं. इनका जन्म 11 जनवरी 1958 को गिरिडीह के कोदाईबांक गांव में हुआ था. गिरिडीह में रहकर इन्होंने स्नातक तक की पढ़ाई की. इसके बाद रांची विश्वविद्यालय में भूगोल विषय में स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की. इन्होंने शिक्षक के रूप में अपने प्रारंभिक जीवन की शुरुआत की लेकिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से प्रभावित होकर नौकरी छोड़ दी. इनको राज्य का प्रथम मुख्यमंत्री बनने का गौरव प्राप्त है. वे चार बार लोकसभा के सांसद भी रह चुके हैं.

बाबूलाल मरांडी वर्तमान में गिरिडीह के धनवार से भाजपा के विधायक हैं. ये ऐसे राजनीतिज्ञ हैं जिन्होंने झारखंड के दिग्गज ट्राइबल नेता शिबू सोरेन को लोकसभा चुनाव में मात दी थी. बाबूलाल मरांडी के नेतृत्व में ही 1998 के लोकसभा चुनाव के दौरान एकीकृत बिहार के झारखंड में पड़ने वाले 14 लोकसभा सीटों में से 12 सीटों पर भाजपा की जीत हुई थी. इस जीत ने बाबूलाल मरांडी को राष्ट्रीय स्तर पर एस्टेब्लिश किया था. उनको पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के कैबिनेट में भी जगह मिली थी.

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के पहल पर झारखंड जब अलग राज्य बना तो बाबूलाल मरांडी को राज्य की कमान सौंपी गई. लेकिन डोमिसाइल विवाद की वजह से 2003 में उनको सीएम की कुर्सी छोड़नी पड़ी. यहीं से बाबूलाल मरांडी की भाजपा से दूरी की नींव पड़ी. 2006 में उन्होंने भाजपा छोड़ दिया.

बाबूलाल मरांची ने झारखंड विकास मोर्चा नाम से पार्टी बनाई जो जेवीएम के रूप में लंबे समय तक चर्चित रही. 2006 से 2019 के चुनाव तक बाबूलाल मरांडी झारखंड की राजनीति में किंग मेकर की भूमिका में रहे, लेकिन अपने विधायकों को नहीं संभाल पाए. 2014 के चुनाव में अच्छा परिणाम हासिल करने के बावजूद उनके पांच विधायक भाजपा में शामिल हो गए. इस दौरान अक्सर चर्चा होती रही कि बाबूलाल मरांडी की भाजपा में दोबारा वापसी होगी. लेकिन ऐसा होने में करीब 14 साल लग गए.

2019 के चुनाव के बाद फरवरी 2020 में बाबूलाल मरांडी ने जेवीएम का भाजपा में विलय कर दिया. लेकिन उनकी पार्टी के विधायक प्रदीप यादव और बंधु तिर्की ने अलग राह अपना ली और मामला स्पीकर के ट्रिब्यूनल में दल बदल अधिनियम के तहत चलने लगा. नतीजा यह रहा कि भाजपा विधायक दल का नेता चुने जाने के बावजूद बाबूलाल मरांडी को सदन में नेता प्रतिपक्ष का दर्जा नहीं मिल पाया. लेकिन रोचक बात यह रही की दल बदल मामले में स्पीकर ट्रिब्यूनल द्वारा फैसला रिजर्व करने के बावजूद उनके खिलाफ फाइनल फैसला नहीं आया.

बाबूलाल मरांडी के मुख्यमंत्री वाले काल को आज भी याद किया जाता है. लेकिन अब झारखंड की राजनीति बदल गई है. 2024 के चुनाव में बाबूलाल मरांडी कोई करिश्मा नहीं दिखा पाए. ऊपर से 10 जनवरी को रघुवर दास की भाजपा में दोबारा वापसी हो चुकी है. अब देखना है कि पार्टी बाबूलाल मरांडी को कौन सी की जिम्मेदारी देती है.

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