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ग्रामीण क्षेत्रों में नहीं पहुंच रही सरकारी योजनाएं, भुखमरी के कगार पर लोग

हजारीबाग के दारू प्रखंड के मगरपट्टा पंचायत के सलैया गांव की स्थिति काफी चिंताजनक है. यहां सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाएं ग्रामीणों तक पहुंच नहीं पा रही है. जिसके कारण ग्रामीणों को जीवनयापन करने में काफी परेशानियां उठानी पड़ रही है.

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Published : Jun 23, 2019, 2:14 PM IST

सूप टोकरी बनाती महिलाएं

हजारीबाग: सरकार द्वारा चल रहे जनहित कार्य समाज के अंतिम पायदान तक पहुंचे इसके लिए कई योजनाएं चलाती है. लेकिन जिले के दारू प्रखंड के कई ऐसे गांव हैं, जहां विकास की किरण अब तक नहीं पहुंची है. लोग सुविधा के नाम पर तरस रहे हैं. ऐसा ही एक गांव है दारू प्रखंड के मगरपट्टा पंचायत के सलैया गांव की.

देखें पूरी खबर

सरकार ने विधवा के लिए विधवा पेंशन की व्यवस्था की है. इसके साथ ही उन्हें राशन कार्ड भी मुहैया कराया गया है ताकि वो अपना जीवनयापन कर सकें. लेकिन गांव की विधवा महिलाओं को सुविधा नहीं मिल रही है. वो जीवनयापन के लिए सूप टोकरी बनाकर बेच रही है. महिलाओं का कहना है कि गांव में दलाल आते हैं और कम मूल्य देकर सामान भी ले जाते हैं जो हजारीबाग में जाकर दोगुने दाम में बेचते हैं.

ये भी पढ़ें-राजधानी के सबसे बड़े मॉल में हादसा, एक किशोर की दर्दनाक मौत

गांव की स्थिति ऐसी है कि यहां सड़क भी नहीं है. पगडंडी के सहारे आना-जाना करते हैं. अगर बीमार हो गए तो ऊपर वाले के सिवा दूसरा कोई उपाय भी नहीं है. यहां तक की पेयजल की भी समस्या से लोग जूझ रहे हैं. गांव की महिलाएं बताती हैं कि अब सूप और टोकरी की मांग घटती जा रही है. उन्होंने ये भी बताया कि राशन कार्ड भी नहीं है और ना ही अन्य सुविधा ऐसे में भुखमरी के अलावा दूसरा कोई उपाय नहीं है.

हजारीबाग की कई ऐसे गांव में जहां सुविधा कोसों दूर है. जरूरत है जमीनी स्तर पर जाकर काम करने की ताकि सरकार जो योजना गरीबों के लिए चला रही है, उनका लाभ मिल सके.

हजारीबाग: सरकार द्वारा चल रहे जनहित कार्य समाज के अंतिम पायदान तक पहुंचे इसके लिए कई योजनाएं चलाती है. लेकिन जिले के दारू प्रखंड के कई ऐसे गांव हैं, जहां विकास की किरण अब तक नहीं पहुंची है. लोग सुविधा के नाम पर तरस रहे हैं. ऐसा ही एक गांव है दारू प्रखंड के मगरपट्टा पंचायत के सलैया गांव की.

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सरकार ने विधवा के लिए विधवा पेंशन की व्यवस्था की है. इसके साथ ही उन्हें राशन कार्ड भी मुहैया कराया गया है ताकि वो अपना जीवनयापन कर सकें. लेकिन गांव की विधवा महिलाओं को सुविधा नहीं मिल रही है. वो जीवनयापन के लिए सूप टोकरी बनाकर बेच रही है. महिलाओं का कहना है कि गांव में दलाल आते हैं और कम मूल्य देकर सामान भी ले जाते हैं जो हजारीबाग में जाकर दोगुने दाम में बेचते हैं.

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गांव की स्थिति ऐसी है कि यहां सड़क भी नहीं है. पगडंडी के सहारे आना-जाना करते हैं. अगर बीमार हो गए तो ऊपर वाले के सिवा दूसरा कोई उपाय भी नहीं है. यहां तक की पेयजल की भी समस्या से लोग जूझ रहे हैं. गांव की महिलाएं बताती हैं कि अब सूप और टोकरी की मांग घटती जा रही है. उन्होंने ये भी बताया कि राशन कार्ड भी नहीं है और ना ही अन्य सुविधा ऐसे में भुखमरी के अलावा दूसरा कोई उपाय नहीं है.

हजारीबाग की कई ऐसे गांव में जहां सुविधा कोसों दूर है. जरूरत है जमीनी स्तर पर जाकर काम करने की ताकि सरकार जो योजना गरीबों के लिए चला रही है, उनका लाभ मिल सके.

Intro:सरकार के द्वारा चल रहे जनहित कार्य समाज के अंतिम पायदान तक पहुंचे इसके लिए कई मिशनरी काम करती है। लेकिन गांव की स्थिति चिंताजनक है ।जहां मिशनरी फेल होती नजर आ रही है और ग्रामीण टकटकी नजर से सरकार की ओर देख रहे हैं। ताकि कभी तो सवेरा आएगा और उनकी तस्वीर और तकदीर बदलेगी।


Body:भारत गांवों का देश है। गांव की दशा और दिशा बदलती है तो देश की दिशा भी बदलती है। लेकिन हजारीबाग के दारू प्रखंड के कई ऐसे गांव हैं जहां विकास की किरण अब तक नहीं पहुंची है। और लोग सुविधा के नाम पर तरस रहे हैं। ऐसा ही एक गांव है दारू प्रखंड के मगरपट्टा पंचायत के सलैया गांव की।

सरकार ने विधवा के लिए विधवा पेंशन की व्यवस्था की है। साथ ही साथ उन्हें राशन कार्ड में मुहैया कराया गया है। ताकि वह अपने जीवन यापन कर सके। इसके अलावा भी सरकार के द्वारा योजना चलाई जा रही है, जिससे गरीबों का जीवन यापन करने में कोई समस्या ना हो। लेकिन गांव की विधवा महिलाओं को सुविधा नहीं मिल रही है।वे अपने जीवन यापन के लिए सूप टोकरी बनाकर बेच रही है। महिला कहती है कि गांव में दालल आते हैं और कम मूल्य देकर सामान भी ले जाते हैं। जो हजारीबाग में जाकर 3 गुने 4 गुने मूल्य में बेचते हैं।

गांव की स्थिति ऐसी है कि यहां सड़क भी नहीं है। पकडंडी के सहारे आना-जाना करते हैं। अगर बीमार हो गए तो ऊपर वाले के सिवा दूसरा कोई उपाय भी नहीं है। यहां तक कि पेयजल की भी समस्या से लोग जूझ रहे हैं। महिला भी बताती है कि अब सूप और टोकरी की मांग घटती जा रही है। साथ ही साथ बांस के सहारे जीवन चलता है वह भी काटना मना हो गया है। ऐसे में भुखमरी के अलावा दूसरा कोई उपाय नहीं है ।उनका कहना है कि राशन कार्ड भी नहीं है और ना ही अन्य सुविधा ऐसे में कैसे घर चलेगा यह बड़ी चुनौती है।

byte.... गीता देवी ग्रामीण महिला
byte.... बसंती देवी विधवा महिला


Conclusion:हजारीबाग की कई ऐसे गांव में जहां सुविधा कोसो दूर है। जरूरत है जमीनी स्तर पर जाकर काम करने की ताकि सरकार जो योजना गरीबों के लिए चला रही है उनका लाभ मिल सके।

गौरव प्रकाश ईटीवी भारत हजारीबाग
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