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मंदिर के पास से मिले प्राचीन अवशेष, पुरातत्व विभाग से खुदाई की मांग

हजारीबाग के चौपारंण प्रखंड के ग्राम दैहर स्थित कमला माता मंदिर के प्रांगण में प्राचीन अवशेष मिले हैं. समाजसेवी और रामीणों का कहना है कि पुरातात्विक विभाग के लोग यहां बहुत बार आए, लेकिन इसे कभी बौद्धकाल तो कभी इसे छठी शताब्दी से जोड़ देते हैं. पूर्ण जानकारी नहीं है.

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प्राचीन अवशेष
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Published : Aug 29, 2020, 7:22 PM IST

हजारीबाग: जिले के चौपारंण प्रखंड के ग्राम दैहर स्थित कमला माता मंदिर के प्रांगण में प्राचीन अवशेष मिले हैं. स्थानीय लोगों ने मंदिर के प्राचीन इतिहास के बारे में बताया कि 1950 में यह इलाका खंडहर हुआ करता था. उस समय के तत्कालीन मुखिया ने ग्रामीणों के सहयोग से यहां खुदाई करवाई थी, जिसमें दो कूप मिले थे. उस कूप से सैकड़ों अवशेष मिले थे.

देखें पूरी खबर

कई प्रतिमा मिले थे

उस दौरान खंडित मूर्तियों को बाहर रख दिया गया, जबकि अच्छी मुर्तियों को मंदिर में विराजमान कर दिया गया. तब से लेकर पूरे ग्रामीणों के लिए एक यह मंदिर आस्था का केंद्र बना हुआ है. कोई भी शुभकार्य में जाने से पहले यहां लोग नतमस्तक होते हैं.

ये भी पढ़ें- साप्ताहिक अवकाश के दिन पुलिसकर्मियों के बाहर जाने पर रोक, CID मुख्यालय ने जारी किया निर्देश

फिर से खनन कराने की मांग

ग्रामीणों का कहना है कि पुरातात्विक विभाग के लोग यहां बहुत बार आए, लेकिन इसे कभी बौद्धकाल तो कभी इसे छठी शताब्दी से जोड़ देते हैं. अभी तक इस प्राचीन अवशेष के बारे में पूर्ण जानकारी नहीं है. ग्रामीणों और समाजसेवी ने सरकार से गुहार लगाते हुए इसे फिर पुरातात्विक विभाग से खनन और जांच कराने की मांग की है.

हजारीबाग: जिले के चौपारंण प्रखंड के ग्राम दैहर स्थित कमला माता मंदिर के प्रांगण में प्राचीन अवशेष मिले हैं. स्थानीय लोगों ने मंदिर के प्राचीन इतिहास के बारे में बताया कि 1950 में यह इलाका खंडहर हुआ करता था. उस समय के तत्कालीन मुखिया ने ग्रामीणों के सहयोग से यहां खुदाई करवाई थी, जिसमें दो कूप मिले थे. उस कूप से सैकड़ों अवशेष मिले थे.

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कई प्रतिमा मिले थे

उस दौरान खंडित मूर्तियों को बाहर रख दिया गया, जबकि अच्छी मुर्तियों को मंदिर में विराजमान कर दिया गया. तब से लेकर पूरे ग्रामीणों के लिए एक यह मंदिर आस्था का केंद्र बना हुआ है. कोई भी शुभकार्य में जाने से पहले यहां लोग नतमस्तक होते हैं.

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फिर से खनन कराने की मांग

ग्रामीणों का कहना है कि पुरातात्विक विभाग के लोग यहां बहुत बार आए, लेकिन इसे कभी बौद्धकाल तो कभी इसे छठी शताब्दी से जोड़ देते हैं. अभी तक इस प्राचीन अवशेष के बारे में पूर्ण जानकारी नहीं है. ग्रामीणों और समाजसेवी ने सरकार से गुहार लगाते हुए इसे फिर पुरातात्विक विभाग से खनन और जांच कराने की मांग की है.

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