दुमका: जल संरक्षण को लेकर सरकार की योजना चला रही है. जागरूकता कार्यक्रम चल रहे हैं. सरकार इस पर काफी गंभीर दिख रही है, लेकिन इस गंभीरता की जमीनी हकीकत दुमका में सिफर नजर आ रही.
दिन रात यह पानी बर्बाद हो रहा
दरअसल, दुमका के लखीकुंडी गांव में कई आर्टिजन वेल हैं. जिससे पिछले दो दशक से लगातार हजारों लीटर पानी हर दिन बह रहे हैं. आज तक सरकार ने इस पानी को संरक्षित कर उसके सदुपयोग का प्रयास नहीं किया. यह पानी लगातार बहता जा रहा है. स्थानीय लोग उसने स्नान वगैरह करते हैं, लेकिन दिन रात यह पानी बर्बाद हो रहा है.
क्या कहते हैं स्थानीय
इस बहते पानी को रोकने के लिए आज तक कोई सार्थक पहल नहीं किया गया. इससे स्थानीय लोग काफी दुखी हैं. वे कहते हैं अगर इस पानी को स्टोर कर लोगों को सप्लाई किया जाता तो हजारों लोगों की प्यास बुझती. उनका कहना है कि किसानों को ही यह पानी दे दिया जाता तो एक बड़े भूभाग में खेती होती.
ये भी पढ़ें- 90 दशक की मशहूर गायिका पूर्णिमा श्रेष्ठ ने गोड्डा में बांधा समा, देर रात तक झूमते रहे लोग
क्या कहती हैं दुमका की उपायुक्त
बता दें कि 2010 में इस बहते पानी को रोकने के लिए एक प्लांट बनाया गया था, जो देखरेख के अभाव में बेकार हो गया. इस संबंध में दुमका की उपायुक्त राजेश्वरी बी से बात की तो उन्होंने बताया कि अभी एक अच्छा मौका है, जब जल संरक्षण को लेकर कार्य चल रहा है. इसी योजना के तहत इस बहते पानी को संरक्षित करने की योजना इनक्लूड कर लिया जाएगा.