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जल संरक्षण योजना की हकीकत, हजारों लीटर पानी हर दिन हो रहे बर्बाद

दुमका के लखीकुंडी गांव में कई आर्टिजन वेल हैं. जिससे पिछले दो दशक से लगातार हजारों लीटर पानी हर दिन बह रहे हैं और बर्बाद हो रहे. पर इसे देखने वाला कोई नहीं. वहीं इस संबंध में दुमका की उपायुक्त राजेश्वरी बी ने कहा कि जल संरक्षण योजना में इसे जोड़कर संरक्षित कर लिया जाएगा.

पानी की बर्बादी
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Published : Jul 14, 2019, 3:38 AM IST

दुमका: जल संरक्षण को लेकर सरकार की योजना चला रही है. जागरूकता कार्यक्रम चल रहे हैं. सरकार इस पर काफी गंभीर दिख रही है, लेकिन इस गंभीरता की जमीनी हकीकत दुमका में सिफर नजर आ रही.

पानी की बर्बादी

दिन रात यह पानी बर्बाद हो रहा
दरअसल, दुमका के लखीकुंडी गांव में कई आर्टिजन वेल हैं. जिससे पिछले दो दशक से लगातार हजारों लीटर पानी हर दिन बह रहे हैं. आज तक सरकार ने इस पानी को संरक्षित कर उसके सदुपयोग का प्रयास नहीं किया. यह पानी लगातार बहता जा रहा है. स्थानीय लोग उसने स्नान वगैरह करते हैं, लेकिन दिन रात यह पानी बर्बाद हो रहा है.


क्या कहते हैं स्थानीय
इस बहते पानी को रोकने के लिए आज तक कोई सार्थक पहल नहीं किया गया. इससे स्थानीय लोग काफी दुखी हैं. वे कहते हैं अगर इस पानी को स्टोर कर लोगों को सप्लाई किया जाता तो हजारों लोगों की प्यास बुझती. उनका कहना है कि किसानों को ही यह पानी दे दिया जाता तो एक बड़े भूभाग में खेती होती.

ये भी पढ़ें- 90 दशक की मशहूर गायिका पूर्णिमा श्रेष्ठ ने गोड्डा में बांधा समा, देर रात तक झूमते रहे लोग

क्या कहती हैं दुमका की उपायुक्त
बता दें कि 2010 में इस बहते पानी को रोकने के लिए एक प्लांट बनाया गया था, जो देखरेख के अभाव में बेकार हो गया. इस संबंध में दुमका की उपायुक्त राजेश्वरी बी से बात की तो उन्होंने बताया कि अभी एक अच्छा मौका है, जब जल संरक्षण को लेकर कार्य चल रहा है. इसी योजना के तहत इस बहते पानी को संरक्षित करने की योजना इनक्लूड कर लिया जाएगा.

दुमका: जल संरक्षण को लेकर सरकार की योजना चला रही है. जागरूकता कार्यक्रम चल रहे हैं. सरकार इस पर काफी गंभीर दिख रही है, लेकिन इस गंभीरता की जमीनी हकीकत दुमका में सिफर नजर आ रही.

पानी की बर्बादी

दिन रात यह पानी बर्बाद हो रहा
दरअसल, दुमका के लखीकुंडी गांव में कई आर्टिजन वेल हैं. जिससे पिछले दो दशक से लगातार हजारों लीटर पानी हर दिन बह रहे हैं. आज तक सरकार ने इस पानी को संरक्षित कर उसके सदुपयोग का प्रयास नहीं किया. यह पानी लगातार बहता जा रहा है. स्थानीय लोग उसने स्नान वगैरह करते हैं, लेकिन दिन रात यह पानी बर्बाद हो रहा है.


क्या कहते हैं स्थानीय
इस बहते पानी को रोकने के लिए आज तक कोई सार्थक पहल नहीं किया गया. इससे स्थानीय लोग काफी दुखी हैं. वे कहते हैं अगर इस पानी को स्टोर कर लोगों को सप्लाई किया जाता तो हजारों लोगों की प्यास बुझती. उनका कहना है कि किसानों को ही यह पानी दे दिया जाता तो एक बड़े भूभाग में खेती होती.

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क्या कहती हैं दुमका की उपायुक्त
बता दें कि 2010 में इस बहते पानी को रोकने के लिए एक प्लांट बनाया गया था, जो देखरेख के अभाव में बेकार हो गया. इस संबंध में दुमका की उपायुक्त राजेश्वरी बी से बात की तो उन्होंने बताया कि अभी एक अच्छा मौका है, जब जल संरक्षण को लेकर कार्य चल रहा है. इसी योजना के तहत इस बहते पानी को संरक्षित करने की योजना इनक्लूड कर लिया जाएगा.

Intro:दुमका-
आज जल संरक्षण को लेकर सरकार के योजना चला रही है । जागरूकता कार्यक्रम चल रहे हैं । सरकार इस पर काफी गंभीर दिख रही है लेकिन इस गंभीरता की जमीनी हकीकत आप दुमका में देख सकते हैं । दुमका के लखीकुंडी गांव में कई आर्टिजन वेल है जिससे पिछले दो दशक से लगातार हजारों लीटर पानी प्रतिदिन बह रहा है । आज तक सरकार ने इस पानी को संरक्षित कर उसके सदुपयोग का प्रयास नहीं किया । यह पानी लगातार बहता जा रहा है । स्थानीय लोग उसने स्नान वगैरह करते हैं लेकिन दिन रात या पानी बर्बाद हो रहा है ।


Body:क्या कहते हैं लो स्थानीय लोग ।
इस बहते पानी को रोकने के लिए आज तक कोई सार्थक पहल नहीं किया गया । इससे स्थानीय लोग काफी दुखी है । वे कहते हैं अगर इन इस पानी को स्टोर कर लोगों को सप्लाई किया जाता तो हजारों लोगों की प्यास बुझती या फिर किसानों को ही दे दिया जाता तो एक बड़े भूभाग में खेती होती लेकिन किसी तरह का कोई पहल सरकार की ओर से नहीं किया गया ।

बाईट - पवन कुमार, स्थानीय
बाईट - संजय झा , स्थानीय


Conclusion:क्या करती हैं दुमका की उपायुक्त ।
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आपको यह बताते चलें की 2010 में इस बातें पानी को रोकने के लिए एक प्लांट बनाया गया था जो देखरेख के अभाव में बेकार हो गया । इस संबंध में जब हमने दुमका की उपायुक्त राजेश्वरी बी से बात की तो उन्होंने बताया कि अभी एक अच्छा मौका है जब जल संरक्षण को लेकर कार्य चल रहा है । इसी योजना के तहत इस बहते पानी को संरक्षित करने की योजना इनक्लूड कर लिया जायेगा ।
बाईट - राजेश्वरी बी , उपायुक्त दुमका

फाईनल वीओ -
प्रकृति के इस अनमोल उपहार को यूं ही बर्बाद किया जा रहा है । आज लोग बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं लेकिन यहां वर्षों से हजारों लीटर पानी प्रतिदिन बर्बाद हो रहा है । सरकार को चाहिए कि सिर्फ योजना ही नहीं बनाएं इस बहते पानी को रोकने के लिए कोई ठोस पहल करें ।
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