दुमकाः झारखंड सरकार की विकास योजनाओं में किस कदर दूरदर्शिता की कमी है. इसका नमूना दुमका में दिखता है. जामा प्रखंड को मसलिया प्रखंड को जोड़ने वाले क्षेत्र में 9 साल पहले 32 करोड़ की लागत से दो पुलों का निर्माण कराया गया. यह पुल मयूराक्षी और भामरी नदी पर है. लेकिन दोनों पुलों का एप्रोच रोड आज तक नहीं बन पाया हैं. स्थिति यह है कि लगभग डेढ़ दर्जन गांवों के पचास हजार से अधिक लोगों को आने-जाने में परेशानी हो रही है.
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जामा प्रखंड के नोनीहथवारी गांव में लोगों के लंबे संघर्ष के बाद मयूराक्षी नदी पर लगभग 22 करोड़ की लागत से एक पुल का निर्माण हुआ था. साथ ही 8 वर्ष पहले जरकाही और नोनी गांव के बीच भामरी नदी पर लगभग 10 करोड़ रुपये की लागत से पुल बना. दोनों पुल बनने के बाद लोगों को लगा अब हमलोग जिला मुख्यालय से जुड़ जायेंगे. लेकिन कच्ची से पक्की सड़क का यह सपना आज भी अधूरा है.
जिस सड़क के पक्कीकरण का लोग इंतजार कर रहे हैं, वह तीन प्रखंडों को जोड़ने वाला है. ये सदर प्रखंड, जामा प्रखंड और मसलियां प्रखंड हैं. इन तीनों प्रखंडों के नोनिहथवारी, सकरीगली, बाघाकोल, चरकाडीह, गणेशडीह, घाघरा, बेलूडाबर, बज़रमारा, सुग्गापहाड़ी, गोविंदपुर बरमसिया, ऊपर बहाल, पलाश बनी, शीतपहाड़ी सहित कई गांव शामिल हैं. इन गांवों के लोगों को कच्ची सड़क होने से काफी परेशानी होती है. खासकर बारिश के दिनों में तो चलना मुश्किल हो जाता है.
ईटीवी भारत की टीम जब इस क्षेत्र में पहुंची तो वहां के लोगों ने अपनी तकलीफें बतायी. स्थानीय लोगों ने कहा कि आवागमन में काफी परेशानी होती है. उन्होंने कहा कि जिला मुख्यालय को जोड़ने वाली सड़कों में प्रमुख सड़क है. इस सड़क से रोजाना हजारों की संख्या में लोगों का आना-जाना होता है. बालकिशन ने बताया कि इस सड़क को बनाने को लेकर स्थानीय प्रशासन से लेकर सीएम कार्यालय तक ट्वीट किया और अपनी समस्या बताया. लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है.
उपायुक्त रविशंकर शुक्ला ने बताया कि किस स्तर पर काम रूका है. इसकी जानकारी लेकर शीघ्र सड़क बनाने की प्रक्रिया शुरू करायेंगे. बता दें कि पथ निर्माण विभाग ने डीपीआर बनवाया था. इसके साथ ही अधिकारियों की ओर से स्थल निरीक्षण किया गया. लेकिन सड़क बनाने की प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ी.