दुमकाः झारखंड राज्य के संथाल परगना प्रमंडल के पर्यटन स्थल बैद्यनाथ धाम, बासुकीनाथ, मंदिरों का गांव मलूटी और मसानजोर डैम सभी को डेवलप करने की योजना बनी. इन पर्यटन क्षेत्रों में सुविधा बढ़ाने के लिए लगभग दो दशक से इन सबों को जोड़कर एक टूरिस्ट सर्किट बनाने की योजना चल रही है. लेकिन आज तक किसी भी सरकार ने इस दिशा में ठोस पहल नहीं की. 20 साल से इस टूरिस्ट सर्किट के तार किसी सरकार ने नहीं जोड़े.
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झारखंड गठन के बाद से बन रही टूरिस्ट सर्किट बनाने की योजना
वर्ष 2000 में जब झारखंड राज्य का गठन हुआ उसके बाद से ही संथाल परगना प्रमंडल के टूरिस्ट प्वाइंट्स को जोड़कर एक टूरिस्ट सर्किट बनाने की योजना बनी. इसमें बैद्यनाथधाम, बासुकीनाथ, मंदिरों का गांव मलूटी और मसानजोर डैम के साथ-साथ अगल-बगल के कई अन्य धार्मिक और अन्य पर्यटन स्थल को जोड़ने की बात थी. इन पर्यटन केंद्रों पर अतिरिक्त फंड देकर विकास योजनाओं को विकसित करना और पर्यटकों को ज्यादा सुविधा प्रदान करना था. राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी के समय से ही इसकी कवायद शुरू हुई. उसके बाद कई सरकारें आई और गयीं. लेकिन पर्यटन सर्किट के रूप में यह डेवलप नहीं हुई.
सरकारी रवैया रहा उदासीन, पर्यटन विभाग का कार्यालय तक नहीं
भले ही यह पर्यटन स्थल स्थलों पर काफी लोग आते हैं पर इसके प्रति सरकार का रवैया उदासीन रहा. आपको जानकर यह हैरानी होगी कि सरकारी स्तर पर पर्यटन विभाग का एक कार्यालय तक यहां मौजूद नहीं है. आमतौर पर दूसरे राज्यों में पर्यटन केंद्रों को एक दूसरे को जोड़ते हुए सरकारी वाहनों की व्यवस्था होती है पर यहां एक भी वाहन नहीं चलते. लगभग एक दशक पहले दुमका से मसानजोर और मलूटी के लिए सरकारी बस सेवा शुरू की गयी थी जो कुछ ही दिनों में बंद हो गयी.
क्या कहते हैं स्थानीय
यहां टूरिस्ट सर्किट का निर्माण निश्चित रूप से काफी फायदेमंद रहता. यहां आने वाले पर्यटकों को सुविधा मिलती और इलाके के लोगों को रोजगार मिलता. इस संबंध में दुमका के वरिष्ठ पत्रकार शिवशंकर चौधरी बताते हैं कि झारखंड के प्रथम मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी के समय में ही यह कवायद शुरू की गयी थी लेकिन योजना खटाई में पड़ गयी. उसके बाद से सरकारें आती-जाती रहीं पर किसी ने इस पर कोई ठोस पहल नहीं की. बासुकीनाथ क्षेत्र से पंचायत प्रतिनिधि जिला परिषद सदस्य जयप्रकाश मंडल कहते हैं कि टूरिस्ट सर्किट निश्चित रूप से काफी सकारात्मक पहल रहता. वो कहते हैं कि झारखंड सरकार को इस पर आवश्यक पहल करनी चाहिए. जिससे दुमका में पर्यटन का मार्ग प्रशस्त हो.
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दिल्ली तक मांग करूंगा- विधायक रणधीर सिंह
संथाल परगना के सारठ विधानसभा के विधायक रणधीर सिंह ने जानकारी देते हुए कहा कि जब रघुवर सरकार थी उस वक्त भी यहां के टूरिस्ट सेंटर को एक सर्किट में जोड़कर विकसित करने की योजना बनी थी पर कुछ कारणवश यह हो नहीं पाया. रणधीर सिंह कहते हैं कि यह काफी आवश्यक है और इसकी आवाज में झारखंड विधानसभा में उठाएंगे, इतना ही नहीं इस मांग को वो दिल्ली तक ले जाएंगे.
दुमका सांसद सुनील सोरेन भी केंद्रीय पर्यटन मंत्री से कर चुके हैं मांग
इस दिशा में बड़ी पहल यह भी हुई है कि दुमका के सांसद सुनील सोरेन ने इसी वर्ष अप्रैल माह में केंद्रीय पर्यटन मंत्री को लिखित आवेदन देकर इसकी मांग की. उन्होंने कहा कि उनके लोकसभा क्षेत्र और आसपास में जो पर्यटन स्थल है सभी को विकसित करने के लिए एक बड़ी योजना बने पर शायद उनकी मांग पर अब तक विचार नहीं हुआ है.
सरकार को पहल करने की आवश्यकता
आज हम देखते हैं कि काशी विश्वनाथ कॉरिडोर ने बनारस को बेहद खास बना दिया है. काशी विश्वनाथ की तरह देवघर में भी ज्योतिर्लिंग है इसके साथ बासुकीनाथ, मसानजोर डैम और मंदिरों का गांव मलूटी को मिलाकर एक पर्यटन सर्किट के तौर पर डेवेलप करने की मांग अब तक अधर में है. अगर केंद्र और राज्य दोनों सरकार इस पर ध्यान दें तो निश्चित रूप से संथाल परगना ही नहीं पूरे झारखंड में पर्यटन के लिए काफी महत्वपूर्ण साबित होगा.