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दुमका में फिर उठी 1932 के खतियान और नियोजन नीति लागू करने की मांग, आंदोलनकारी छात्रों ने कहा- हमारा भविष्य सुरक्षित नहीं

दुमका में 1932 के खतियान (Khatian of 1932) के आधार पर स्थानीयता नीति लागू करने की मांग को लेकर रैली निकाली गई. इस रैली में शामिल सैड़कों छात्रों ने कहा कि हमारा हक और अधिकार नहीं मिल रहा है. बाहरी लोग इसका लाभ उठा रहे हैं.

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दुमका में फिर उठी 1932 के खतियान और नियोजन नीति लागू करने की मांग
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Published : Aug 10, 2022, 9:32 AM IST

दुमकाः विश्व आदिवासी दिवस (World Tribal Day) पर फिर 1932 के खतियान (Khatian of 1932) और नियोजन नीति (Employment Policy) की मांग उठी है. इस मांग को लेकर सैकड़ों की संख्या में छात्र और आदिवासी समाज रैली निकाली. आंदोलनकारी छात्रों ने कहा कि हमारे भविष्य के साथ खिलवाड किया जा रहा है. हमारा जो हक और अधिकार मिलना चाहिए. इसको लेकर लगातार आंदोलन करते रहेंगे.

यह भी पढ़ेंः स्थानीय नीति की समीक्षा के लिए मंत्रिमंडल उपसमिति बनाने का सरकार का निर्णय, ये महज आई वाश है- सीपी सिंह

विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर उप राजधानी दुमका में विभिन्न आदिवासी संगठनों ने मिलकर रैली आयोजित की. यह रैली बिरसा मुंडा चौक से निकलकर संथालपरगना महाविद्यालय परिसर पहुंची. इस रैली में शामिल लोग 1932 के खतियान के आधार पर स्थानीय नीति और नियोजन नीति लागू करने की मांग कर रहे थे.

देखें पूरी खबर


छात्र नेता श्यामलाल हेंब्रम ने कहा कि हम आदिवासी हैं. लेकिन हमारा हक और अधिकार बाहरी लोग लूट रहे हैं. उन्होंने कहा कि 1932 के खतियान के आधार पर स्थानीयता और नियोजन नीति लागू होता है तो हमारा भविष्य ज्यादा सुरक्षित होगा. लेकिन झारखंड सरकार अभी तक इस पर कोई ध्यान नहीं दे रही है. उन्होंने कहा कि स्थानीयता गंभीर विषय है. उन्होंने कहा कि हमारी मांगों पर शीघ्र विचार नहीं किया गया तो आने वाले दिनों में हम उलगुलान को विवश होंगे.

दुमकाः विश्व आदिवासी दिवस (World Tribal Day) पर फिर 1932 के खतियान (Khatian of 1932) और नियोजन नीति (Employment Policy) की मांग उठी है. इस मांग को लेकर सैकड़ों की संख्या में छात्र और आदिवासी समाज रैली निकाली. आंदोलनकारी छात्रों ने कहा कि हमारे भविष्य के साथ खिलवाड किया जा रहा है. हमारा जो हक और अधिकार मिलना चाहिए. इसको लेकर लगातार आंदोलन करते रहेंगे.

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छात्र नेता श्यामलाल हेंब्रम ने कहा कि हम आदिवासी हैं. लेकिन हमारा हक और अधिकार बाहरी लोग लूट रहे हैं. उन्होंने कहा कि 1932 के खतियान के आधार पर स्थानीयता और नियोजन नीति लागू होता है तो हमारा भविष्य ज्यादा सुरक्षित होगा. लेकिन झारखंड सरकार अभी तक इस पर कोई ध्यान नहीं दे रही है. उन्होंने कहा कि स्थानीयता गंभीर विषय है. उन्होंने कहा कि हमारी मांगों पर शीघ्र विचार नहीं किया गया तो आने वाले दिनों में हम उलगुलान को विवश होंगे.

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