दुमकाः दुमका पठारी इलाका है. इसलिए गर्मी शुरू होते ही जिले में पीने के पानी की समस्या गहराने लगती है. इस समस्या की स्थानी निदान को लेकर पिछले दो वर्षों में दर्जनों गांव में सोलर वाटर प्लांट की व्यवस्था की, ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को पीने के पानी की समस्या से जूझना नहीं पड़े. लेकिन अधिकतर सोलर वाटर प्लांट खराब है और लोग पीने के पानी की समस्या से परेशान हैं.
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राज्य सरकार ने पिछले 2 वर्षों में दर्जनों गांव में सोलर वाटर प्लांट लगाए हैं. एक सोलर वाटर प्लांट को लगाने में ढाई लाख रुपए खर्च किए गए. इसमें डीप बोरिंग, एक पानी टंकी और टंकी के नीचे नल लगाया गया, ताकि लोगों को 24 घंटे और सातों दिन पीने के पानी मिलता रहे. लेकिन वर्तमान में लगभग एक दर्जन से अधिक गांव में लगे सोलर वाटर प्लांट खराब हो चुके हैं. यह स्थिति एक या दो गांव की नहीं हैं, बल्कि मोरटंगा, हरनाकुंडी, बेदिया, कोदोखींचा, मंझियाड़ा आदि गांव में लगे वाटर प्लांट की है.
ग्रामीणों ने बताया कि वाटर प्लांट लगा तो शुरुआती दिनों में आसानी से पीने का पानी मिलने लगा था. लेकिन कुछ ही महीनों सोलर वाटर प्लांट खराब हो गया, जो आज तक बना नहीं. ग्रामीणों ने इसकी शिकायत संबंधित अधिकारियों से की. लेकिन समस्या का समाधान नहीं किया गया. स्थिति यह है कि चिलचिलाती गर्मी में पीने के पानी का संकट झेलने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. दुमका के पेयजल विभाग के कार्यपालक अभियंता गंगाराम ठाकुर कहते हैं कि खराब सोलर वाटर प्लांट की जैसे ही सूचना मिलती है, वैसे ही दुरुस्त करवाते है. उन्होंने कहा कि जहां-जहां वाटर प्लांट खराब है, उसी शीघ्र दुरुस्त करवाएंगे.