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दुमका में उम्मीदों का पुल, मयूराक्षी नदी पर जल्द पूरा होगा निर्माण, बढ़ेगा शिक्षा और रोजगार का अवसर - Engineer Vinod Kumar Sinha

दुमका में मयूराक्षी नदी पर बन रहे पुल का निर्माण कार्य जल्द पूरा होगा. पुल बनने से हजारों विस्थापितों को फायदा मिलेगा. पुल निर्माण के जल्द पूरा होने पर स्थानीय लोगों ने खुशी जताई है.

bridge will be completed in Dumka,
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Published : May 9, 2022, 2:34 PM IST

दुमका: जिले के मयूराक्षी नदी पर पुल का निर्माण कराया जा रहा है जो जल्द पूरा होने वाला है. इससे हज़ारों विस्थापितों को लाभ मिलेगा. वे सीधे तौर पर दुमका मुख्यालय से जुड़ जाएंगे. 1950 के दशक मसानजोर डैम के निर्माण के बाद मसलिया प्रखंड के दो दर्जन से अधिक गांवों के हजारों लोगों का सीधा संपर्क जिला मुख्यालय से टूट गया था .

ये भी पढ़ें:- एक पुल बनने से 30 हजार लोगों को होगा फायदा, लेकिन सरकार है कि समझती नहीं!


क्या है पूरा मामला: 1950 के दशक में दुमका में मसानजोर डैम का जब निर्माण हुआ तो उस वक्त लगभग 144 मौज़ा के लोग विस्थापित हुए थे. इस दौरान लगभग सभी विस्थापितों को परेशानी हुई थी. उनके खेती योग्य जमीन डैम में समा गये थे पर ज्यादा परेशानी जिले के मसलिया प्रखंड के लगभग दो दर्जन से अधिक गांवों के हजारों विस्थापित को हुआ था. जमीन तो गई साथ ही उनका जिला मुख्यालय से सीधा संपर्क भी टूट गया. दरअसल मयूराक्षी नदी का पानी डैम बनने से रुक गया और जहां सड़के थी मैदान था वह जलमग्न हो गया. 1950 के दशक से अब तक मसलिया प्रखंड के गांव में 2 दर्जन से अधिक गांव जिसमें मकरमपुर , कठलिया , राजवाड़ा , डीमुडीह , कुमगढ़ा कोलाबदर, आसनपानी, धर्मपुर, पलन , बसमत्ता , डिमरिया सीतासाल , कोलारकोंदा , चीरापाथर, रांगामटिया सिंगारी , तालडंगाल जैसे कई गांव के लोगों को जिला मुख्यालय जाने के लिए 15 किलोमीटर की जगह 30 से 35 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ रही है. इस परेशानी ने विस्थापितों का दर्द और बढ़ा दिया.

देखें पूरी खबर
विस्थापितों को होगा फायदा: मसलिया प्रखंड के हजारों विस्थापितों के चेहरे पर जल्द खुशी आने वाली है. मकरमपुर गांव से कुमड़ाबाद गांव के बीच लगभग 200 करोड़ की लागत से एक पुल का निर्माण हो रहा है , जो जल्द पूरा हो जाएगा. इस पुल के चालू होने के बाद दर्जनों गांव के हजारों लोगों को लाभ पहुंचेगा. जिला मुख्यालय तक पहुंचने की दूरी जो 30 से 35 किलोमीटर हो चुकी है वह मात्र 15 किलोमीटर रह जाएगी. इन विस्थापितों को रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य सभी क्षेत्र में लाभ पहुंचेगा. इनके चेहरे पर खुशी साफ देखी जा सकती है.

ये भी पढे़ं: - कोरोना ने लगाया झारखंड के सबसे लंबे पुल निर्माण कार्य पर ब्रेक, लोगों को करना होगा इंतजार

मसानजोर डैम के विस्थापितों में खुशी: मकरमपुर- कुमड़ाबाद पुल के निर्माण कार्य को देख विस्थापित काफी खुश हैं. इलाके में रहने वाले मछुआरे की मानें तो उन्हें अब मछली की सही कीमत मिलेगी, साथ ही हमारे गांव के छात्र छात्राओं को उच्च शिक्षा प्राप्त करने में आसानी होगी. वहीं कठलिया गांव के निवास मंडल कहते हैं कि हमने विस्थापन का दर्द झेला है । आज भी जिला मुख्यालय में आने में काफ़ी परेशानी है लेकिन अब वह दूर होने वाली है. निश्चित रूप से यह काफी खुशी की बात है. इधर कुमड़ाबाद गांव के उत्तम दास कहते हैं कि बरसों से हमने तकलीफ सहा है लेकिन अब दोनों ओर के लोगों को काफी लाभ पहुंचेगा.

जल्द पूरा होगा निर्माण: इस पुल का निर्माण करा रहे अभियंता विनोद कुमार सिन्हा कहते हैं कि कोरोना महामारी की वजह से इस पुल के निर्माण कार्य में थोड़ी रुकावट आई लेकिन जल्द ही इसे पूरा कर जनता को सौंपने जा रहे हैं. वे कहते हैं कि इसके निर्माण से हजारों लोगों को लाभ मिलने वाला है. बता दें कि इस पुल का शिलान्यास मुख्यमंत्री रघुवर दास 2018 में किया था. पुल 3 वर्ष में बन जाना था लेकिन बीच में कोविड-19 की वजह से लंबे समय तक काम बंद रहा लेकिन अब निर्माण की गति तेज हुई है और जल्द यह पूरा होगा. जिससे लोगों को काफी राहत मिलेगी.

दुमका: जिले के मयूराक्षी नदी पर पुल का निर्माण कराया जा रहा है जो जल्द पूरा होने वाला है. इससे हज़ारों विस्थापितों को लाभ मिलेगा. वे सीधे तौर पर दुमका मुख्यालय से जुड़ जाएंगे. 1950 के दशक मसानजोर डैम के निर्माण के बाद मसलिया प्रखंड के दो दर्जन से अधिक गांवों के हजारों लोगों का सीधा संपर्क जिला मुख्यालय से टूट गया था .

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क्या है पूरा मामला: 1950 के दशक में दुमका में मसानजोर डैम का जब निर्माण हुआ तो उस वक्त लगभग 144 मौज़ा के लोग विस्थापित हुए थे. इस दौरान लगभग सभी विस्थापितों को परेशानी हुई थी. उनके खेती योग्य जमीन डैम में समा गये थे पर ज्यादा परेशानी जिले के मसलिया प्रखंड के लगभग दो दर्जन से अधिक गांवों के हजारों विस्थापित को हुआ था. जमीन तो गई साथ ही उनका जिला मुख्यालय से सीधा संपर्क भी टूट गया. दरअसल मयूराक्षी नदी का पानी डैम बनने से रुक गया और जहां सड़के थी मैदान था वह जलमग्न हो गया. 1950 के दशक से अब तक मसलिया प्रखंड के गांव में 2 दर्जन से अधिक गांव जिसमें मकरमपुर , कठलिया , राजवाड़ा , डीमुडीह , कुमगढ़ा कोलाबदर, आसनपानी, धर्मपुर, पलन , बसमत्ता , डिमरिया सीतासाल , कोलारकोंदा , चीरापाथर, रांगामटिया सिंगारी , तालडंगाल जैसे कई गांव के लोगों को जिला मुख्यालय जाने के लिए 15 किलोमीटर की जगह 30 से 35 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ रही है. इस परेशानी ने विस्थापितों का दर्द और बढ़ा दिया.

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विस्थापितों को होगा फायदा: मसलिया प्रखंड के हजारों विस्थापितों के चेहरे पर जल्द खुशी आने वाली है. मकरमपुर गांव से कुमड़ाबाद गांव के बीच लगभग 200 करोड़ की लागत से एक पुल का निर्माण हो रहा है , जो जल्द पूरा हो जाएगा. इस पुल के चालू होने के बाद दर्जनों गांव के हजारों लोगों को लाभ पहुंचेगा. जिला मुख्यालय तक पहुंचने की दूरी जो 30 से 35 किलोमीटर हो चुकी है वह मात्र 15 किलोमीटर रह जाएगी. इन विस्थापितों को रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य सभी क्षेत्र में लाभ पहुंचेगा. इनके चेहरे पर खुशी साफ देखी जा सकती है.

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मसानजोर डैम के विस्थापितों में खुशी: मकरमपुर- कुमड़ाबाद पुल के निर्माण कार्य को देख विस्थापित काफी खुश हैं. इलाके में रहने वाले मछुआरे की मानें तो उन्हें अब मछली की सही कीमत मिलेगी, साथ ही हमारे गांव के छात्र छात्राओं को उच्च शिक्षा प्राप्त करने में आसानी होगी. वहीं कठलिया गांव के निवास मंडल कहते हैं कि हमने विस्थापन का दर्द झेला है । आज भी जिला मुख्यालय में आने में काफ़ी परेशानी है लेकिन अब वह दूर होने वाली है. निश्चित रूप से यह काफी खुशी की बात है. इधर कुमड़ाबाद गांव के उत्तम दास कहते हैं कि बरसों से हमने तकलीफ सहा है लेकिन अब दोनों ओर के लोगों को काफी लाभ पहुंचेगा.

जल्द पूरा होगा निर्माण: इस पुल का निर्माण करा रहे अभियंता विनोद कुमार सिन्हा कहते हैं कि कोरोना महामारी की वजह से इस पुल के निर्माण कार्य में थोड़ी रुकावट आई लेकिन जल्द ही इसे पूरा कर जनता को सौंपने जा रहे हैं. वे कहते हैं कि इसके निर्माण से हजारों लोगों को लाभ मिलने वाला है. बता दें कि इस पुल का शिलान्यास मुख्यमंत्री रघुवर दास 2018 में किया था. पुल 3 वर्ष में बन जाना था लेकिन बीच में कोविड-19 की वजह से लंबे समय तक काम बंद रहा लेकिन अब निर्माण की गति तेज हुई है और जल्द यह पूरा होगा. जिससे लोगों को काफी राहत मिलेगी.

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