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नक्सल प्रभावित इलाकों में विकास के प्रति सरकार उदासीन, 12 वर्षों से दुमका में निर्माणाधीन है सरकारी अस्पताल

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Published : Jan 27, 2020, 9:04 PM IST

दुमका के नक्सल प्रभावित इलाके गोपीकंदर प्रखंड में  कई सालों से सरकारी अस्पताल का निर्माण कार्य अधूरा है. इससे लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. वहीं, इस मामले पर दुमका सांसद सुनील सोरेन ने निर्माण कार्य में बरती जा रही लापरवाही को लेकर जांच कराने और इसे जल्द पूरा करवाने की बात कही है.

Construction of government hospital in Gopikander block of Dumka incomplete
निर्माणाधीन सरकारी अस्पताल

दुमका: सरकार नक्सल प्रभावित इलाकों में विशेष कार्य योजना बनाकर विकास करने का दावा करती है लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है. जिला मुख्यालय से 50 किलोमीटर दूर दुमका-पाकुड़ जिला सीमा पर स्थित अतिनक्सल प्रभावित गोपीकंदर प्रखंड में एक सरकारी अस्पताल का निर्माण कार्य बारह वर्षों से अधूरा है. इस अस्पताल की लागत साढ़े तीन करोड़ रुपये थी पर समय पर पूरा नहीं होने की वजह से लगभग एक करोड़ की राशि बढ़ गई.

देखें पूरी खबर

ये भी पढ़ें- आय से अधिक संपत्ति मामले में बंधु तिर्की सीबीआई कोर्ट में हुए पेश, 30 जनवरी से शुरु हो सकती है गवाही

वहीं, इस मामले पर संज्ञान लेते हुए दुमका सांसद सुनील सोरेन ने इस पर गंभीरता दिखाई है. निर्माण कार्य में बरती जा रही लापरवाही पर उन्होंने कहा कि इतने लंबे समय से निर्माण होने से गुणवत्ता प्रभावित होती है. इसकी जांच कराने की बात कहते हुए सांसद ने इसे जल्द पूरा करवाने की बात कही है.

क्या कहते हैं सांसद

इस संबंध में दुमका सांसद सुनील सोरेन ने कहा कि निश्चित रूप से यह काफी बड़ी लापरवाही कही जा सकती है. उन्होंने कहा कि जंगली इलाके में जहां स्वास्थ्य व्यवस्था पिछड़ी हुई है वहां इस अस्पताल का पूर्ण न होना काफी गंभीर मामला है. उनका कहना है कि वह इसकी जांच करवाएंगे कि आखिरकार कहां चूक हुई है.

स्थानीय लोगों को हो रही है परेशानी

इस संबंध में ईटीवी भारत की टीम ने स्थानीय लोगों से बातचीत की. लोगों ने निराशा से कहा कि बरसों से वो लोग देख रहे हैं कि यह अस्पताल बन रहा है लेकिन आज तक पूरा नहीं हुआ. उनका कहना है कि ग्रामीणों को काफी परेशानी होती है. मरीज की स्थिति अगर थोड़ी सी गंभीर हो जाती है तो सीधा उन्हें 50 किलोमीटर दूर दुमका जिला मुख्यालय और कभी पश्चिम बंगाल ले जाना पड़ता है.

सरकारी चिकित्सक भी हैं परेशान

इस अस्पताल के बनने का काम शुरू तो हुआ पर आज तक पूरा नहीं हुआ. गोपीकांदर प्रखंड की लगभग एक लाख जनता इलाज के लिए अभी एक छोटे से छह बेड वाले सीएचसी पर निर्भर है. इस प्रखंड के चिकित्सा प्रभारी डॉ विकास कुमार कहते हैं कि अभी जिस अस्पताल में इलाज किया जा रहा है उसकी हालत भी जर्जर है. उन्होंने कहा कि अगर निर्माणाधीन अस्पताल का काम पूरा हो जाता तो चिकित्सकों सहित आम लोगों को भी काफी सहूलियत होगी.

दुमका: सरकार नक्सल प्रभावित इलाकों में विशेष कार्य योजना बनाकर विकास करने का दावा करती है लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है. जिला मुख्यालय से 50 किलोमीटर दूर दुमका-पाकुड़ जिला सीमा पर स्थित अतिनक्सल प्रभावित गोपीकंदर प्रखंड में एक सरकारी अस्पताल का निर्माण कार्य बारह वर्षों से अधूरा है. इस अस्पताल की लागत साढ़े तीन करोड़ रुपये थी पर समय पर पूरा नहीं होने की वजह से लगभग एक करोड़ की राशि बढ़ गई.

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वहीं, इस मामले पर संज्ञान लेते हुए दुमका सांसद सुनील सोरेन ने इस पर गंभीरता दिखाई है. निर्माण कार्य में बरती जा रही लापरवाही पर उन्होंने कहा कि इतने लंबे समय से निर्माण होने से गुणवत्ता प्रभावित होती है. इसकी जांच कराने की बात कहते हुए सांसद ने इसे जल्द पूरा करवाने की बात कही है.

क्या कहते हैं सांसद

इस संबंध में दुमका सांसद सुनील सोरेन ने कहा कि निश्चित रूप से यह काफी बड़ी लापरवाही कही जा सकती है. उन्होंने कहा कि जंगली इलाके में जहां स्वास्थ्य व्यवस्था पिछड़ी हुई है वहां इस अस्पताल का पूर्ण न होना काफी गंभीर मामला है. उनका कहना है कि वह इसकी जांच करवाएंगे कि आखिरकार कहां चूक हुई है.

स्थानीय लोगों को हो रही है परेशानी

इस संबंध में ईटीवी भारत की टीम ने स्थानीय लोगों से बातचीत की. लोगों ने निराशा से कहा कि बरसों से वो लोग देख रहे हैं कि यह अस्पताल बन रहा है लेकिन आज तक पूरा नहीं हुआ. उनका कहना है कि ग्रामीणों को काफी परेशानी होती है. मरीज की स्थिति अगर थोड़ी सी गंभीर हो जाती है तो सीधा उन्हें 50 किलोमीटर दूर दुमका जिला मुख्यालय और कभी पश्चिम बंगाल ले जाना पड़ता है.

सरकारी चिकित्सक भी हैं परेशान

इस अस्पताल के बनने का काम शुरू तो हुआ पर आज तक पूरा नहीं हुआ. गोपीकांदर प्रखंड की लगभग एक लाख जनता इलाज के लिए अभी एक छोटे से छह बेड वाले सीएचसी पर निर्भर है. इस प्रखंड के चिकित्सा प्रभारी डॉ विकास कुमार कहते हैं कि अभी जिस अस्पताल में इलाज किया जा रहा है उसकी हालत भी जर्जर है. उन्होंने कहा कि अगर निर्माणाधीन अस्पताल का काम पूरा हो जाता तो चिकित्सकों सहित आम लोगों को भी काफी सहूलियत होगी.

Intro:दुमका -
सरकार नक्सल प्रभावित इलाकों में विशेष कार्य योजना बनाकर विकास करने का दावा करती है लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और नजर आता है । दुमका जिला मुख्यालय से 50 किलोमीटर दूर दुमका - पाकुड़ जिला सीमा पर स्थित अतिनक्सल प्रभावित गोपीकंदर प्रखंड में एक सरकारी अस्पताल का निर्माण कार्य बारह वर्षों से अधूरा है । इस अस्पताल की लागत साढ़े तीन करोड़ रुपये थी पर समय पर पूरा नहीं होने की वजह से लगभग एक करोड़ की राशि बढ़ गई । लेकिन लगता है अब इसके दिन बहुरने वाले हैं । दुमका सांसद सुनील सोरेन ने इस पर गंभीरता दिखाई है । निर्माण कार्य में बरती जा रही लापरवाही पर उन्होंने संज्ञान लिया है उ। नका कहना है इतने लंबे समय से निर्माण होने से गुणवत्ता प्रभावित होती है । वह इसकी जांच कराएंगे साथ ही साथ सांसद ने इसे जल्द पूरा करवाने की बात कही है ।


Body:क्या कहते हैं सांसद ।
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इस संबंध में दुमका सांसद सुनील सोरेन ने कहा कि निश्चित रूप से यह काफी बड़ी लापरवाही कही जा सकती है । जंगली इलाका में जहां स्वास्थ्य व्यवस्था पिछड़ा हुआ है और इस अस्पताल का पूर्ण न होना काफी गंभीर मामला है । उनका कहना है कि वह इसकी जांच करवाएंगे कि आखिरकार कहां चूक हुई है । सांसद का कहना है कि वे इसे जल्द पूरा करवाएंगे ।

बाईंट - सुनील सोरेन , सांसद , दुमका लोकसभा

स्थानीय लोगों को हो रही है परेशानी ।
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इस संबंध में ईटीवी भारत की टीम ने स्थानीय लोगों से बातचीत की । उन्होंने इस पर उन्होंने काफी बुझे मन से कहा कि बरसों से हम लोग देख रहे हैं कि यह अस्पताल बन रहा है लेकिन आज तक पूरा नहीं हुआ । उनका कहना है कि हमलोगों को काफी परेशानी होती है । मरीज की अगर स्थिति थोड़ी सी गंभीर हो जाती है तो सीधा हमें 50 किलोमीटर दूर दुमका जिला मुख्यालय या फिर पश्चिम बंगाल ले जाना पड़ता है । वे चाहते हैं कि इस अस्पताल का काम जल्द पूरा हो और अस्पताल चालू हो ।

बाईट - अगस्टिन बास्की , स्थानीय
बाईंट - अशोक कुमार , स्थानीय
बाईंट - मीना देवी , स्थानीय


Conclusion:सरकारी चिकित्सक भी है परेशान ।
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इस अस्पताल के बनने का काम शुरू तो हुआ पर आज तक पूरा नहीं हुआ । गोपीकान्दर प्रखण्ड की लगभग एक लाख जनता ईलाज के लिए अभी एक छोटे से छह बेड वाले सीएचसी पर निर्भर है । इस प्रखण्ड के चिकित्सा प्रभारी डॉ विकास कुमार कहते हैं कि अभी जूस अस्पताल में हम ईलाज कर रहे हैं यह जर्जर हो गया है , हमें काफी परेशानी होती है । अगर इस निर्माणाधीन अस्पताल का काम पूरा हो जाता तो हमें काफी सहूलियत होती ।

बाईंट - डॉ , विकास कुमार , प्रखण्ड चिकित्सा प्रभारी , गोपीकांदर

फाइनल वीओ -
12 वर्षों में एक अस्पताल का पूर्ण निर्माण कार्य पूर्ण होना बड़ी लापरवाही कही जा सकती है । अब देखना दिलचस्प होगा सांसद सुनील सोरेन ने इसे जो जल्द पूरा कराने की बात कही है वह कब तक हो पाता है ।

मनोज केशरी
ईटीवी भारत
दुमका
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