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बीमार अस्पताल: पीएमसीएच में बच्चों की मृत्यु दर में बढ़ोत्तरी, अस्पताल में मात्र 12 वार्मर

पीएमसीएच धनबाद में जिले के अलावा गिरिडीह, देवघर, हजारीबाग, जामताड़ा आदि जिलों से इलाज कराने के लिए मरीज पहुंचते हैं. यहां पर हो रहे बच्चों की मृत्यु दर में काफी बढ़ोत्तरी हुई है. ऐसा पीएमसीएच अधीक्षक भी मानते हैं. पीएमसीएच अधीक्षक एचके सिंह का कहना है कि जिस तरीके से यहां पर प्रीमेच्योर बच्चे इलाज के लिए आते हैं वैसे में यहां वार्मर की सुविधा नहीं है.

पीएमसीएच में बच्चों की मृत्यु दर में बढ़ोत्तरी
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Published : Aug 14, 2019, 2:42 AM IST

धनबाद: कोयलांचल का सबसे बड़ा अस्पताल पीएमसीएच धनबाद इन दिनों खुद ही बीमार चल रहा है. आए दिन अस्पताल में नई-नई खामियां देखने को मिलती रहती है. पीएमसीएच अस्पताल में हर दिन 2000 से अधिक मरीज धनबाद ही नहीं बाहर के भी अन्य जिलों से इलाज कराने पहुंचते हैं. ऐसे में अस्पताल में सुविधाओं का घोर अभाव लोगों की जान ले रहा है.

देखिए स्पेशल स्टोरी


बच्चों की मृत्यु दर में बढ़ोत्तरी
बता दें कि पीएमसीएच धनबाद में जिले के अलावा गिरिडीह, देवघर, हजारीबाग, जामताड़ा आदि जिलों से इलाज कराने के लिए मरीज पहुंचते हैं. यहां पर हो रहे बच्चों की मृत्यु दर में काफी बढ़ोत्तरी हुई है. ऐसा पीएमसीएच अधीक्षक भी मानते हैं. पीएमसीएच अधीक्षक एचके सिंह का कहना है कि जिस तरीके से यहां पर प्रीमेच्योर बच्चे इलाज के लिए आते हैं वैसे में यहां वार्मर की सुविधा नहीं है. वार्मर काफी कम है और बच्चे का लोड ज्यादा है. ऐसे में वो किसी बच्चे को एडमिट लेने से मना भी नहीं कर सकते. जिस कारण वार्मर में एक बच्चे की जगह दो बच्चे को रखा जा रहा है.


संक्रमण का रहता है खतरा
वार्मर में एक बच्चे की जगह दो बच्चे को रखे जाने से एक-दूसरे से संक्रमण फैलने का भी खतरा बना रहता है. जिसके कारण जो बच्चा ठीक हो सकता वो भी बीमारी की चपेट में आ जाता है. अधीक्षक ने भी कहा कि संक्रमण का खतरा बना रहता है यह बात सही है, लेकिन मजबूरी है कि वार्मर नहीं होने के कारण दो बच्चे को उसमें रखा जाता है.


पीएमसीएच अधीक्षक एचके सिंह ने कहा कि जो भी बच्चे बाहर से आते हैं उनकी स्थिति काफी खराब रहती है. सब जगह से थक हार कर लोग पीएमसीएच आते हैं. ऐसे में यहां पर बेहतर इलाज देना उनकी प्राथमिकता है, लेकिन वार्मर की कमी के कारण वो ऐसा नहीं कर पा रहे हैं. जिसके कारण बच्चों के मृत्यु दर में भी इजाफा हो रहा है.


स्वस्थ होने के बावजूद बच्चे हो जाते हैं बीमार
पीएमसीएच में भर्ती एक बच्चे के परिजन ने बतलाया कि एडमिट करने के बाद उसके बच्चे की स्थिति में सुधार हो रहा था उसे लग रहा था कि बच्चा स्वस्थ होकर घर चला जाएगा, लेकिन इसी बीच दूसरे बच्चे को वार्मर में रखने के बाद से उसके बच्चे की भी स्थिति बिगड़ने लगी. उस बच्चे ने भी दम तोड़ दिया. उन्होंने बताया कि सरकार को इस में ध्यान देने की जरूरत है.


अस्पताल में मात्र 12 वार्मर
पीएमसीएच धनबाद कोयलांचल का सबसे बड़ा अस्पताल है और इतने बड़े अस्पताल में मात्र 12 वार्मर है. ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर करोड़ों रुपए की योजनाएं जो इन अस्पतालों के लिए सरकार द्वारा लाई जाती है वह आखिर जाती कहां है. पीएमसीएच के अधीक्षक एचके सिंह ने बताया कि इन सारी समस्याओं के बारे में वह अवगत हैं और उन्होंने इस मामले से सरकार को भी अवगत करा दिया गया है. सरकार को वार्मर बढ़ाने के लिए लिखा गया है जल्द ही इस पर कोई कार्रवाई होगी.

धनबाद: कोयलांचल का सबसे बड़ा अस्पताल पीएमसीएच धनबाद इन दिनों खुद ही बीमार चल रहा है. आए दिन अस्पताल में नई-नई खामियां देखने को मिलती रहती है. पीएमसीएच अस्पताल में हर दिन 2000 से अधिक मरीज धनबाद ही नहीं बाहर के भी अन्य जिलों से इलाज कराने पहुंचते हैं. ऐसे में अस्पताल में सुविधाओं का घोर अभाव लोगों की जान ले रहा है.

देखिए स्पेशल स्टोरी


बच्चों की मृत्यु दर में बढ़ोत्तरी
बता दें कि पीएमसीएच धनबाद में जिले के अलावा गिरिडीह, देवघर, हजारीबाग, जामताड़ा आदि जिलों से इलाज कराने के लिए मरीज पहुंचते हैं. यहां पर हो रहे बच्चों की मृत्यु दर में काफी बढ़ोत्तरी हुई है. ऐसा पीएमसीएच अधीक्षक भी मानते हैं. पीएमसीएच अधीक्षक एचके सिंह का कहना है कि जिस तरीके से यहां पर प्रीमेच्योर बच्चे इलाज के लिए आते हैं वैसे में यहां वार्मर की सुविधा नहीं है. वार्मर काफी कम है और बच्चे का लोड ज्यादा है. ऐसे में वो किसी बच्चे को एडमिट लेने से मना भी नहीं कर सकते. जिस कारण वार्मर में एक बच्चे की जगह दो बच्चे को रखा जा रहा है.


संक्रमण का रहता है खतरा
वार्मर में एक बच्चे की जगह दो बच्चे को रखे जाने से एक-दूसरे से संक्रमण फैलने का भी खतरा बना रहता है. जिसके कारण जो बच्चा ठीक हो सकता वो भी बीमारी की चपेट में आ जाता है. अधीक्षक ने भी कहा कि संक्रमण का खतरा बना रहता है यह बात सही है, लेकिन मजबूरी है कि वार्मर नहीं होने के कारण दो बच्चे को उसमें रखा जाता है.


पीएमसीएच अधीक्षक एचके सिंह ने कहा कि जो भी बच्चे बाहर से आते हैं उनकी स्थिति काफी खराब रहती है. सब जगह से थक हार कर लोग पीएमसीएच आते हैं. ऐसे में यहां पर बेहतर इलाज देना उनकी प्राथमिकता है, लेकिन वार्मर की कमी के कारण वो ऐसा नहीं कर पा रहे हैं. जिसके कारण बच्चों के मृत्यु दर में भी इजाफा हो रहा है.


स्वस्थ होने के बावजूद बच्चे हो जाते हैं बीमार
पीएमसीएच में भर्ती एक बच्चे के परिजन ने बतलाया कि एडमिट करने के बाद उसके बच्चे की स्थिति में सुधार हो रहा था उसे लग रहा था कि बच्चा स्वस्थ होकर घर चला जाएगा, लेकिन इसी बीच दूसरे बच्चे को वार्मर में रखने के बाद से उसके बच्चे की भी स्थिति बिगड़ने लगी. उस बच्चे ने भी दम तोड़ दिया. उन्होंने बताया कि सरकार को इस में ध्यान देने की जरूरत है.


अस्पताल में मात्र 12 वार्मर
पीएमसीएच धनबाद कोयलांचल का सबसे बड़ा अस्पताल है और इतने बड़े अस्पताल में मात्र 12 वार्मर है. ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर करोड़ों रुपए की योजनाएं जो इन अस्पतालों के लिए सरकार द्वारा लाई जाती है वह आखिर जाती कहां है. पीएमसीएच के अधीक्षक एचके सिंह ने बताया कि इन सारी समस्याओं के बारे में वह अवगत हैं और उन्होंने इस मामले से सरकार को भी अवगत करा दिया गया है. सरकार को वार्मर बढ़ाने के लिए लिखा गया है जल्द ही इस पर कोई कार्रवाई होगी.

Intro:नोट-भीओ और प्लेन दोनों भेज रहे हैं सर. हमें लग रहा शायद भीओ ठीक नहीं हुआ है।देख लें।

धनबाद: कोयलांचल का सबसे बड़ा अस्पताल पीएमसीएच धनबाद इन दिनों खुद ही बीमार चल रहा है. आपको बता दें कि आए दिन अस्पताल में नई-नई खामियां देखने को मिलती रहती है. पीएमसीएच अस्पताल में प्रतिदिन 2000 से अधिक मरीज धनबाद ही नहीं बाहर के भी अन्य जिलों से इलाज कराने पहुंचते हैं. ऐसे में अस्पताल में सुविधाओं का घोर अभाव लोगों की जान ले रहा है.


Body:आपको बता दें कि पीएमसीएच धनबाद में धनबाद जिले के अलावा गिरिडीह देवघर हजारीबाग जामताड़ा आदि जिलों से इलाज कराने के लिए मरीज पहुंचते हैं.

वार्मर में एक बच्चे की जगह 2 बच्चे को रखकर होता है इलाज

अगर हम बात करें प्रीमेच्योर बच्चों के इलाज के तो धनबाद में इन दिनों यहां पर हो रहे बच्चों के मृत्यु दर में काफी बढ़ोतरी हुई है ऐसा पीएमसीएच अधीक्षक भी मानते हैं. पीएमसीएच अधीक्षक एच के सिंह का कहना है कि जिस तरीके से यहां पर प्रीमेच्योर बच्चे इलाज के लिए आते हैं वैसे में हमारे यहां वार्मर की सुविधा नहीं है वार्मर काफी कम है और बच्चे का लोड ज्यादा है. ऐसे में हम किसी बच्चे को एडमिट लेने से मना भी नहीं कर सकते. जिस कारण वार्मर में एक बच्चे की जगह दो बच्चे को रखा जा रहा है.

संक्रमण का रहता है खतरा

वर्मा में एक बच्चे की जगह दो बच्चे को रखे जाने से एक दूसरे से संक्रमण फैलने का भी खतरा बना रहता है जिसके कारण जो बच्चे ठीक हो सकता हो भी हैं उन्हें भी बीमारी हो जाती है. अधीक्षक ने भी कहा कि संक्रमण का खतरा बना रहता है यह बात सही है, लेकिन हमारी मजबूरी है कि वर्मर नहीं होने के कारण दो बच्चे को उसमें रखा जाए.

बच्चों के मृत्यु दर में भी इजाफा

पीएमसीएच अधीक्षक एच के सिंह ने इस बात को फुल कार्य किया कि जो भी बच्चे बाहर से आते हैं उसकी स्थिति काफी खराब रहती है सब जगह से थक हार कर लोग पीएमसीएच आते हैं ऐसे में यहां पर बेहतर इलाज देना उनकी प्राथमिकता है, लेकिन वार्मर की कमी के कारण हम ऐसा नहीं कर पा रहे हैं जिसके कारण हमारे यहां बच्चों के मृत्यु दर में भी इजाफा हो जाता है.

स्वस्थ होने के बावजूद बच्चे हो जाते हैं बीमार

पीएमसीएच में भर्ती एक बच्चे के परिजन ने बतलाया कि एडमिट करने के बाद उसके बच्चे की स्थिति में सुधार हो रहा था उसे लग रहा था कि हमारा बच्चा स्वस्थ होकर घर चला जाएगा लेकिन इसी बीच दूसरे बच्चे को वार्मर में रखने के बाद से उसके बच्चे के भी स्थिति बिगड़ने लगी और अंत में उस बच्चे ने भी दम तोड़ दिया उन्होंने बताया कि सरकार को इस में ध्यान देने की जरूरत है.

मात्र 12 वार्मर ही अस्पताल में

पीएमसीएच धनबाद कोयलांचल का सबसे बड़ा अस्पताल है और इतने बड़े अस्पताल में मात्र 12 वार मरही मौजूद है ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर करोड़ों रुपए की योजनाएं जो इन अस्पतालों के लिए सरकार द्वारा लाई जाती है वह आखिर जाती कहां है.



Conclusion:हालांकि पीएमसीएच के अधीक्षक एच के सिंह ने बताया कि इन सारी समस्याओं के बारे में वह अवगत हैं और उन्होंने इस मामले से सरकार को भी अवगत करा दिया गया है. सरकार को वार्मर बढ़ाने के लिए लिखा गया है जल्द ही इस पर कोई कार्रवाई होगी।

बाइट-सोनी देवी मरीज के परिजन
बाइट- एच के सिंह -पीएमसीएच अधीक्षक
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