देवघरः द्वादश ज्योतिर्लिंगों में सर्वश्रेष्ठ कामनालिंग बाबा बैद्यनाथ की नगरी देवघर को रावणेश्वर धाम कहा जाता है. देवघर में रावण को राजा के रूप में पूजा जाता है. दैत्यराज रावण के कारण ही देवघर में मनोकामनालिंग विराजे हैं. इसलिए झारखंड की सांस्कृतिक राजधानी देवघर में रावण दहन नहीं होता (Ravan combustion does not happen in Deoghar )है.
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जानकार बताते हैं कि रावण की पहचान दो रूपों में की जाती है. एक तो राक्षसपति दशानन रावण और दूसरा वेद पुराणों का ज्ञाता, प्रकांड पंडित और विद्वान. इतना ही नहीं देवघर स्थित बाबा बैद्यनाथ के पवित्र लिंग की स्थापना भी रावण ने ही की है. यही कारण है कि देवघर में रावण को राजा के रूप में पूजा जाता है.
उसके बाद रावण ने यहां से शिवलिंग ले जाने की काफी कोशिश भी की लेकिन शिवलिंग हिला नहीं. कहा जाता है कि उसके बाद ही रावण ने क्रोधवश अपने अंगुष्ठा से शिवलिंग को दबा दिया था. उसी कारण यहां शिवलिंग धंसा हुआ है. रावण के लघुशंका से बना तालाब भी यहां के हरिलाजोरी नामक स्थान पर होने की बात कही जाती है.