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क्या है होलाष्टक का महत्व और कैसे करें होलिका दहन, देखें शुभ मुहूर्त

देवघर के बाबा मंदिर के पुरोहित ने ईटीवी भारत के साथ बात की. जिसमें उन्होंने होली के धार्मिक महत्व की जानकारी दी. उन्होंने होलिका दहन सही मुहूर्त बताया और बताया कि किन राशि वाले लोगों को होलिका दहन में किस सामग्री की आहूति करनी चाहिए.

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Published : Mar 8, 2020, 10:24 PM IST

Holi is a festival celebrated on the victory of good over evil
होलिका दहन

देवघर: बुराई पर अच्छाई की जीत पर मनाया जाने वाला पर्व है होली. ऐसे में होलाष्टक का क्या है महत्व आइए जानते हैं. इसके बारे में जानकार बताते है कि सनातन धर्म में मनाए जाने वाला महान रंगों का पर्व होली है. जिसमें लोग सभी बुराई को भूल एक दूसरे को रंग-गुलाल लगाकर हर्षोल्लास के त्योहार मनाते हैं.

जानकारी देते पुरोहित

होली का धार्मिक महत्व भी है. होली के दिन ही होलिका-प्रह्लाद को लेकर आग में बैठी थी, जो हिरण्यकश्यप के पुत्र थे. हिरण्यकश्यप अपने बेटे प्रह्लाद को भगवान विष्णु की की भक्ति से रोकते थे. जब होलिका प्रह्लाद को लेकर आग में बैठी तो भक्त प्रह्लाद का बाल भी नहीं बांक हुआ लेकिन होलिका जल गई. होलिका के जलने से आठ दिन पहले से ही भक्त प्रह्लाद को शारीरिक मानसिक जैसे यातनाएं दी जा रही थी. जो आठ दिन होलाष्टक कहलाता है. इन आठ दिनों में किसी भी प्रकार के मांगलिक कार्य जैसे शादी, जनेऊ, मुंडन संस्कार अनुष्ठान नहीं किया जाता है. होलिका दहन के साथ नकारात्मक शक्तियां समाप्त होती हैं. जिसके बाद ही सभी मांगलिक कार्य किये जाते हैं. जिसे होलाष्टक के रूप में मनाया जाता है.

जानकारी देते पुरोहित

ये भी पढ़ें- देवघर में हर्बल गुलाल की डिमांड, अब लोग खेलेंगे इको फ्रेंडली होली

बहरहाल, होली और होलिका दहन का क्या है शुभ मुहूर्त और किस राशि के लोगों को कैसे मनाना चाहिए होलिका दहन आइए जानते हैं. जानकारों की माने तो होलिका दहन फाल्गुन पूर्णिमा को मनाया जाता है. इस बार सोमवार यानी 9 मार्च को मनाया जाएगा. सुबह 03:03 मिनट से लेकर देर रात 11:17 मिनट तक पूर्णिमा काल है. इस दिन भद्रा नक्षत्र भी है, जिसके कारण होलिका दहन नहीं मनाया जाता है. ऐसे में भद्रा नक्षत्र सोमवार 9 मार्च को शाम में समाप्त हो जाएगा. जिसके बाद शाम 06:26 मिनट से 08:52 मिनट तक शुभ मुहूर्त है. जब होलिका दहन किया जाएगा जिसे श्रेष्ठ माना गया है. इसके बाद ही होली की शुरुआत होगी. जहां लोग 10 मार्च को होली खेलेंगे.

किस राशि के लोग कैसे देंगे होलिका दहन में आहूति

  1. मेष- गुड़
  2. वृषभ- चीनी
  3. मिथुन-कपूर
  4. कन्या-कपूर
  5. कर्क- लोहबान
  6. सिंह- गुड़
  7. वृश्चिक- गुड़
  8. तुला- कपूर
  9. धनु- जौ और चना
  10. मीन- जौ और चना
  11. मकर- तिल
  12. कुम्भ- तिल

देवघर: बुराई पर अच्छाई की जीत पर मनाया जाने वाला पर्व है होली. ऐसे में होलाष्टक का क्या है महत्व आइए जानते हैं. इसके बारे में जानकार बताते है कि सनातन धर्म में मनाए जाने वाला महान रंगों का पर्व होली है. जिसमें लोग सभी बुराई को भूल एक दूसरे को रंग-गुलाल लगाकर हर्षोल्लास के त्योहार मनाते हैं.

जानकारी देते पुरोहित

होली का धार्मिक महत्व भी है. होली के दिन ही होलिका-प्रह्लाद को लेकर आग में बैठी थी, जो हिरण्यकश्यप के पुत्र थे. हिरण्यकश्यप अपने बेटे प्रह्लाद को भगवान विष्णु की की भक्ति से रोकते थे. जब होलिका प्रह्लाद को लेकर आग में बैठी तो भक्त प्रह्लाद का बाल भी नहीं बांक हुआ लेकिन होलिका जल गई. होलिका के जलने से आठ दिन पहले से ही भक्त प्रह्लाद को शारीरिक मानसिक जैसे यातनाएं दी जा रही थी. जो आठ दिन होलाष्टक कहलाता है. इन आठ दिनों में किसी भी प्रकार के मांगलिक कार्य जैसे शादी, जनेऊ, मुंडन संस्कार अनुष्ठान नहीं किया जाता है. होलिका दहन के साथ नकारात्मक शक्तियां समाप्त होती हैं. जिसके बाद ही सभी मांगलिक कार्य किये जाते हैं. जिसे होलाष्टक के रूप में मनाया जाता है.

जानकारी देते पुरोहित

ये भी पढ़ें- देवघर में हर्बल गुलाल की डिमांड, अब लोग खेलेंगे इको फ्रेंडली होली

बहरहाल, होली और होलिका दहन का क्या है शुभ मुहूर्त और किस राशि के लोगों को कैसे मनाना चाहिए होलिका दहन आइए जानते हैं. जानकारों की माने तो होलिका दहन फाल्गुन पूर्णिमा को मनाया जाता है. इस बार सोमवार यानी 9 मार्च को मनाया जाएगा. सुबह 03:03 मिनट से लेकर देर रात 11:17 मिनट तक पूर्णिमा काल है. इस दिन भद्रा नक्षत्र भी है, जिसके कारण होलिका दहन नहीं मनाया जाता है. ऐसे में भद्रा नक्षत्र सोमवार 9 मार्च को शाम में समाप्त हो जाएगा. जिसके बाद शाम 06:26 मिनट से 08:52 मिनट तक शुभ मुहूर्त है. जब होलिका दहन किया जाएगा जिसे श्रेष्ठ माना गया है. इसके बाद ही होली की शुरुआत होगी. जहां लोग 10 मार्च को होली खेलेंगे.

किस राशि के लोग कैसे देंगे होलिका दहन में आहूति

  1. मेष- गुड़
  2. वृषभ- चीनी
  3. मिथुन-कपूर
  4. कन्या-कपूर
  5. कर्क- लोहबान
  6. सिंह- गुड़
  7. वृश्चिक- गुड़
  8. तुला- कपूर
  9. धनु- जौ और चना
  10. मीन- जौ और चना
  11. मकर- तिल
  12. कुम्भ- तिल
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