देवघरः वैश्विक महामारी कोविड -19 के देश में दस्तक देते ही प्रधानमंत्री ने इस महामारी की चेन को तोड़ने के लिए लॉकडाउन का आह्वान किया. जिसके बाद तमाम देश के छोटे-बड़े प्रतिष्ठान ठप हो गए और लोग अपने-अपने घरों में सोशल डिस्टेंस के साथ आह्वान के समर्थन में जुट गए. ऐसे में दूर दराज के जिले और राज्यों के दिहाड़ी मजदूरी करने वाले गरीब तबके के मजदूर अपने परिवार से दूर जिले में ही फंस कर रह गए.
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ऐसे में जहां सरकार की ओर से चलाए जा रहे कम्युनिटी किचन और स्वयंसेवी संस्थाओं के खिलाए जा रहे दो वक्त के भोजन से मजदूरों का पेट तो जरूर भर रहा है मगर इन भोले-भाले गरीब मजदूरों को परिवार की चिंता सता रही है. उनका कहना है कि कोरोना क्या है, कौन सी बीमारी है वो नहीं जानते उन्हें इसकी कोई जानकारी नहीं है. वहीं, इस लॉकडाउन के कारण उनका समय भी व्यर्थ ही बीत रहा है.
मजदूरों की लॉकडाउन वाली दिनचर्या
लॉकडाउन और वीरान शहर के बीच कहीं कुछ जरूरतमंद लोग देखें जा रहे हैं तो कहीं सैकड़ों की संख्या में फंसे मजदूर. इन मजदूरों को सरकारी और निजी संस्थाओं से दो वक्त का खाना तो जरूर मिल रहा है मगर कोई काम नहीं. सभी प्रतिष्ठान बंद कर दिए गए हैं. शहर में फंसे विभिन्न प्रतिष्ठानों के मजदूरों को इंतजार है तो सिर्फ लॉकडाउन के खत्म होने का.