चाईबासा: एसीसी प्रबंधन की ओर से ठेका मजदूरों की छंटनी मामले में सदर अनुमंडल पदाधिकारी शशिंद्र कुमार बड़ाइक की अध्यक्षता में एक अहम बैठक अनुमंडल पदाधिकारी कक्ष में बुलाई गई. जिसमें एसीसी प्रबंधन के अधिकारी, ठेका मजदूर, ठेकेदार के अलावा मुख्य रूप से चाईबासा विधायक दीपक बिरुआ मौजूद रहे. विधायक दीपक बिरुआ ने एसीसी कंपनी की ओर से मजदूर छंटनी मामले का विरोध किया. उन्होंने कहा कि कंपनी के इस कदम से औद्योगिक माहौल बिगड़ सकता है. कंपनी और ठेकेदार मिलकर जो भी डिफॉल्ट हैं तत्काल दूर करें.
'डिफॉल्टर है, उसे दूर करें'
इस बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लेते हुए संबंधित ठेकेदार को एक महीने के अंदर अपनी जो भी डिफॉल्टर है, उसे दूर करें. इस कार्य में एसीसी प्रबंधन को भी सहयोग करने का निर्देश दिया गया. इस संबंध में आगामी बैठक 20 नवंबर को करने का निर्णय लिया गया है.
'जनहित में काम करें'
चाईबासा विधायक दीपक बिरुआ ने कहा कि एसीसी प्रबंधन की दोहरी नीति अपना रही है. अगर मजदूरों की छंटनी हुई तो जन आंदोलन होगा. लोग बेरोजगार हुए तो कंपनी भी ठप हो जाएगी. कंपनी प्रबंधन और ठेकेदार के बीच कम्यूनिकेशन गैप के कारण यह समस्या उत्पन्न हुई है. दोनों मिलकर उसे दूर करते हुए, जनहित में काम करें.
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'बेहतर तालमेल और संबंध की जरूरत'
सदर अनुमंडल पदाधिकारी शशिंद्र कुमार बड़ाइक ने कहा कि आज जो समस्या उत्पन्न हुई है, मजदूर हित में कंपनी प्रबंधन, ठेकेदार आपस मिल कर सुलझाएं. नहीं तो प्रशासन आगे की कार्रवाई करेगी. एसडीओ ने कहा कि कोई भी कंपनी तभी सफल होती है जब मजदूरों और कंपनी प्रबंधन के बीच बेहतर तालमेल और संबंध होता है. इससे पहले बैठक में विधायक दीपक बिरुआ और सदर अनुमंडल पदाधिकारी के समक्ष एसीसी कंपनी के अधिकारियों और ठेका मजदूर प्रतिनिधियों और ठेकेदार ने अपना पक्ष रखा. इस दौरान कई बिंदुओं पर बहस भी चली और ठेकेदार, मजदूर और एसीसी पदाधिकारी एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप भी लगाते रहे. बैठक में झींकपानी अंचलाधिकारी, एसीसी प्रबंधन के पदाधिकारी डॉ. प्रणव आर्य, विल्सन समेत ठेकेदार और मजदूर उपस्थित रहे.