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स्वास्थ्य पर हावी कुपोषण! देश में चौथे नंबर पर झारखंड का ये जिला - Chaibasa News

पश्चिम सिंहभूम को कुपोषण मुक्त बनाने के लिए अपने 2330 आंगनबाड़ी केंद्रों में किचन गार्डनिंग की शुरुआत करने जा रहा है. इससे आंगनबाड़ी केंद्रों के किचन गार्डन में उगाई जाने वाली सब्जियों और फलो को आंगनबाड़ी केंद्रों में आने वाले 1 लाख 60 हजार 818 बच्चों और गर्भवती महिलाओं के बीच बांटा जाएगा.

पश्चिम सिंहभूम में कुपोषण
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Published : Jul 17, 2019, 11:13 AM IST

चाईबासा: पश्चिम सिंहभूम जिला भारत देश में कुपोषण के मामले में चौथे स्थान पर है. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे रिपोर्ट के अनुसार, पश्चिम सिंहभूम जिले में करीब 2 लाख से ज्यादा आदिवासी बच्चे कुपोषण के शिकार हैं. जिला प्रशासन अपने जिले पर लगे इस कलंक को मिटाने के लिए तरह-तरह के प्रयास भी कर रहा है.

वीडियो में देखें पूरी खबर

इस बार जिला प्रशासन पश्चिम सिंहभूम को कुपोषण मुक्त बनाने के लिए अपने 2330 आंगनबाड़ी केंद्रों में किचन गार्डनिंग की शुरुआत करने जा रहा है. इससे आंगनबाड़ी केंद्रों के किचन गार्डन में उगाई जाने वाली सब्जियों और फलो को आंगनबाड़ी केंद्रों में आने वाले 1 लाख 60 हजार 818 बच्चों और गर्भवती महिलाओं के बीच बांटा जाएगा.

जिला मुख्यालय स्थित सदर प्रखंड कार्यालय परिसर में विभाग द्वारा किचन गार्डन के मॉडल को तैयार किया गया है. प्राथमिकता के तौर पर जिले के सर्वाधिक कुपोषित बच्चों वाले प्रखंडों का चयन किया जाएगा. इसमें सदर चाईबासा, जगन्नाथपुर, मझगांव, चक्रधरपुर एवं मनोहरपुर आदि प्रखंड शामिल किए गए हैं. प्रथम श्रेणी में प्रत्येक प्रखंड के 10-10 आंगनबाड़ी केंद्रों में किचन गार्डनिंग की शुरुआत की जाएगी. इसके सफल होने पर जिले के अन्य आंगनबाड़ी केंद्रों में किचन गार्डनिंग पर काम किया जाएगा.

किचन गार्डनिंग पर 4 से 6 हजार रुपये खर्च होंगे
जिला प्रशासन ने प्रत्येक आंगनबाड़ी केंद्रों के किचन गार्डनिंग के लिए 4 से 6000 रुपए खर्च करने का फैसला लिया है.

किचन गार्डनिंग शुरू करने से पूर्व होगी स्थान की तलाश
इससे पहले जिला प्रशासन सेविकाओं की मदद से किचन गार्डनिंग के लिए पर्याप्त जगह की तलाश करेगा. जिले में वर्तमान समय में आंगनबाड़ी केंद्र किसी ना किसी घर या प्रशासनिक भवन में संचालित है. उनके पास आंगनबाड़ी संचालित करने को लेकर अपने भवन नहीं है, जिस कारण जिला प्रशासन को गार्डनिंग के लिए पर्याप्त स्थान नहीं मिल पा रहा है.

इंटर्न करने पहुंचे विद्यार्थी निभा रहे अहम भूमिका
जिले में रांची और धनबाद बीआईटी मिसरा आदि जगहों से इंटर्न करने पहुंचे विद्यार्थी मुख्य रूप से किचन गार्डन को मूर्त रूप देकर धरातल पर उतारने में अहम भूमिका निभा रहे हैं.

किचन गार्डन का क्या है उद्देश्य
उन्होंने बताया कि प्रत्येक सब्जियों के अपने-अपने गुण होते हैं. किसी में प्रोटीन तो किसी में विटामिन, कार्बोहाइड्रेट, मिनरल्स, ज्यादा मात्रा में पाए जाते हैं. आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों को दी जाने वाली खिचड़ी में प्रतिदिन सेविका एक सब्जी को किचन गार्डन से तोड़कर खिचड़ी में मिश्रण कर बच्चों को दी जाए. इससे बच्चों को पोषण के मामले में काफी फायदा मिलेगा. इसी उद्देश्य के साथ जिले के आंगनबाड़ी केंद्रों में किचन गार्डन बनाने का निर्णय लिया गया है.

कुपोषण जिलों में गिनती होना दुर्भाग्य की बात
जिले के डीडीसी आदित्य रंजन ने कहा कि चाईबासा जिला पिछड़ा हुआ है. हमारे लिए दुर्भाग्य की बात है कि इस जिले की कुपोषण जिलों में गिनती की जा रही है. हालांकि जिला उपायुक्त के निर्देशानुसार जिले के सभी मॉडल आंगनबाड़ी केंद्रों में किचन गार्डन बनाने का निर्णय लिया है. अभी तक हमने उदाहरण स्वरूप सदर प्रखंड परिसर में मॉडल किचन गार्डन बनाया है.

चाईबासा: पश्चिम सिंहभूम जिला भारत देश में कुपोषण के मामले में चौथे स्थान पर है. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे रिपोर्ट के अनुसार, पश्चिम सिंहभूम जिले में करीब 2 लाख से ज्यादा आदिवासी बच्चे कुपोषण के शिकार हैं. जिला प्रशासन अपने जिले पर लगे इस कलंक को मिटाने के लिए तरह-तरह के प्रयास भी कर रहा है.

वीडियो में देखें पूरी खबर

इस बार जिला प्रशासन पश्चिम सिंहभूम को कुपोषण मुक्त बनाने के लिए अपने 2330 आंगनबाड़ी केंद्रों में किचन गार्डनिंग की शुरुआत करने जा रहा है. इससे आंगनबाड़ी केंद्रों के किचन गार्डन में उगाई जाने वाली सब्जियों और फलो को आंगनबाड़ी केंद्रों में आने वाले 1 लाख 60 हजार 818 बच्चों और गर्भवती महिलाओं के बीच बांटा जाएगा.

जिला मुख्यालय स्थित सदर प्रखंड कार्यालय परिसर में विभाग द्वारा किचन गार्डन के मॉडल को तैयार किया गया है. प्राथमिकता के तौर पर जिले के सर्वाधिक कुपोषित बच्चों वाले प्रखंडों का चयन किया जाएगा. इसमें सदर चाईबासा, जगन्नाथपुर, मझगांव, चक्रधरपुर एवं मनोहरपुर आदि प्रखंड शामिल किए गए हैं. प्रथम श्रेणी में प्रत्येक प्रखंड के 10-10 आंगनबाड़ी केंद्रों में किचन गार्डनिंग की शुरुआत की जाएगी. इसके सफल होने पर जिले के अन्य आंगनबाड़ी केंद्रों में किचन गार्डनिंग पर काम किया जाएगा.

किचन गार्डनिंग पर 4 से 6 हजार रुपये खर्च होंगे
जिला प्रशासन ने प्रत्येक आंगनबाड़ी केंद्रों के किचन गार्डनिंग के लिए 4 से 6000 रुपए खर्च करने का फैसला लिया है.

किचन गार्डनिंग शुरू करने से पूर्व होगी स्थान की तलाश
इससे पहले जिला प्रशासन सेविकाओं की मदद से किचन गार्डनिंग के लिए पर्याप्त जगह की तलाश करेगा. जिले में वर्तमान समय में आंगनबाड़ी केंद्र किसी ना किसी घर या प्रशासनिक भवन में संचालित है. उनके पास आंगनबाड़ी संचालित करने को लेकर अपने भवन नहीं है, जिस कारण जिला प्रशासन को गार्डनिंग के लिए पर्याप्त स्थान नहीं मिल पा रहा है.

इंटर्न करने पहुंचे विद्यार्थी निभा रहे अहम भूमिका
जिले में रांची और धनबाद बीआईटी मिसरा आदि जगहों से इंटर्न करने पहुंचे विद्यार्थी मुख्य रूप से किचन गार्डन को मूर्त रूप देकर धरातल पर उतारने में अहम भूमिका निभा रहे हैं.

किचन गार्डन का क्या है उद्देश्य
उन्होंने बताया कि प्रत्येक सब्जियों के अपने-अपने गुण होते हैं. किसी में प्रोटीन तो किसी में विटामिन, कार्बोहाइड्रेट, मिनरल्स, ज्यादा मात्रा में पाए जाते हैं. आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों को दी जाने वाली खिचड़ी में प्रतिदिन सेविका एक सब्जी को किचन गार्डन से तोड़कर खिचड़ी में मिश्रण कर बच्चों को दी जाए. इससे बच्चों को पोषण के मामले में काफी फायदा मिलेगा. इसी उद्देश्य के साथ जिले के आंगनबाड़ी केंद्रों में किचन गार्डन बनाने का निर्णय लिया गया है.

कुपोषण जिलों में गिनती होना दुर्भाग्य की बात
जिले के डीडीसी आदित्य रंजन ने कहा कि चाईबासा जिला पिछड़ा हुआ है. हमारे लिए दुर्भाग्य की बात है कि इस जिले की कुपोषण जिलों में गिनती की जा रही है. हालांकि जिला उपायुक्त के निर्देशानुसार जिले के सभी मॉडल आंगनबाड़ी केंद्रों में किचन गार्डन बनाने का निर्णय लिया है. अभी तक हमने उदाहरण स्वरूप सदर प्रखंड परिसर में मॉडल किचन गार्डन बनाया है.

Intro:चाईबासा। पश्चिम सिंहभूम जिला भारत देश में कुपोषण के मामले में चौथे स्थान पर है यह चौंकाने वाले आंकड़े नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे रिपोर्ट के अनुसार पश्चिम सिंहभूम जिले में करीब दो लाख से ज्यादा आदिवासी बच्चे कुपोषण के शिकार हुए हैं। जिला प्रशासन अपने जिले पर लगे इस कलंक को मिटाने के लिए तरह-तरह के प्रयास भी करती रही है। इस बार पश्चिम सिंहभूम जिला प्रशासन जिले को कुपोषण मुक्त बनाने को लेकर अपने 2330 आंगनबाड़ी केंद्रों में किचन गार्डनिंग की शुरुआत करने जा रही है। जिससे आंगनबाड़ी के केंद्रों के परिसर के किचन गार्डन में उगाई जाने वाली सब्जियों एवं फलो को आंगनबाड़ी केंद्रों में आने वाली 1 लाख 60 हजार 818 बच्चों और गर्भवती महिलाओं के बीच बांटा जाएगा।




Body:जिला मुख्यालय स्थित सदर प्रखंड कार्यालय परिसर में विभाग द्वारा किचन गार्डन का मॉडल को तैयार किया गया है। प्राथमिकता के तौर पर जिले के सर्वाधिक कुपोषित बच्चों वाले प्रखंडों का चयन किया जाएगा। जिसमें सदर चाईबासा, जगन्नाथपुर, मझगांव, चक्रधरपुर एवं मनोहरपुर आदि प्रखंड शामिल किए गए हैं। प्रथम श्रेणी में प्रत्येक प्रखंड के 10 -10 आंगनबाड़ी केंद्रों में किचन गार्डनिंग की शुरुआत की जाएगी। इसके सफल होने पर जिले के अन्य आंगनबाड़ी केंद्रों में किचन गार्डनिंग पर काम किया जाएगा।

किचन गार्डनिंग पर 4 से 6000 रुपये खर्च होगी-
जिला प्रशासन प्रत्येक आंगनबाड़ी केंद्रों के किचन गार्डनिंग के लिए 4 से 6000 रुपए खर्च करने का फैसला लिया है।

किचन गार्डनिंग शुरू करने से पूर्व होगी स्थान की तलाश-
इससे पूर्व जिला प्रशासन सेविकाओं की मदद से किचन गार्डनिंग के लिए पर्याप्त जगह की तलाश करेगी। क्योंकि जिले में वर्तमान समय में आंगनबाड़ी केंद्र किसी ना किसी घर या प्रशासनिक भवन में संचालित है उनके पास आंगनवाड़ी संचालित करने को लेकर अपने भवन नहीं है जिस कारण जिला प्रशासन को गार्डनिंग के लिए पर्याप्त स्थान नहीं मिल पा रहा है।

इंटर्न्स करने पहुंचे विद्यार्थी निभा रहे अहम भूमिका-
जिले में रांची और धनबाद बीआईटी मिसरा आदि जगहों से इंटर्न्स करने पहुंचे विद्यार्थी मुख्य रूप से किचन गार्डन को मूर्त रूप देकर धरातल पर उतारने में अहम भूमिका निभा रहे हैं।

यह जिला कुपोषण के जिलों में गिनती होना हमारें लिए दुर्भाग्य की बात-
जिले के डीडीसी आदित्य रंजन ने कहा कि चाईबासा जिला पिछड़ा हुआ है साथ ही यह हमारे लिए दुर्भाग्य की बात है कि यह जिला कुपोषण के जिलों में गिनती किया जाता है। परंतु जिला उपायुक्त के दिशा निर्देशानुसार जिले के सभी मॉडल आंगनवाड़ी केंद्रों में किचन गार्डन बनाने का निर्णय लिया है। अभी तक हमने उदाहरण स्वरूप सदर प्रखंड परिसर में मॉडल किचन गार्डन बनाया है। इसी के तर्ज पर जिले के अन्य मॉडल आंगनबाड़ी केंद्रों में जमीन की उपलब्धता के अनुसार किचन गार्डन बनाया जाएगा।

किचन गार्डन का क्या है उद्देश्य-
उन्होंने बताया कि प्रत्येक सब्जियों के अपने-अपने गुण होते हैं किसी में प्रोटीन तो किसी में विटामिन, कार्बोहाइड्रेट, मिनरल्स, ज्यादा मात्रा में पाए जाते हैं आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों को दिए जाने वाले खिचड़ी में प्रतिदिन सेविका एक सब्जी को किचन गार्डन से तोड़कर खिचड़ी में मिश्रण कर बच्चों को दी जाए तो बच्चों का पोषण के मामले में काफी फायदा मिलेगा। इसी उद्देश्य के साथ जिले के आंगनबाड़ी केंद्रों में किचन गार्डन बनाने का निर्णय लिया गया है।

अगले माह से बच्चों को कुपोषण मुक्त बनाने को अमरोत्तम पोषक लड्डू दिए जाएंगे-
डीडीसी आदित्य रंजन ने बताया कि जिले में अमरोत्तम न्यूट्रि मिक्स पर भी विचार किया जा रहा है जो उत्तम क्वालिटी के बादाम, चिरौंजी आदि के मिश्रण से पोषक लड्डू तैयार किया जाएगा। इस अमरोत्तम पोषक लड्डू को आने वाले महीने में भी लांच किया जा सकता है। जिसे स्वयं सहायता समूह की महिलाएं तैयार करेंगी उस पोषक लड्डू का वितरण भी उन्हीं महिलाओं के द्वारा किया जाएगा। जिससे उनके द्वारा तैयार किए गए पोषक लड्डू सप्ताह में एक या दो दिन आंगनवाड़ी केंद्रों में बच्चों को भोजन के साथ दिया जाएगा। जिसकी निगरानी खुद जिला प्रशासन करेगी और दिखेगी की कुपोषण की श्रेणी में आने वाले बच्चे कुपोषण मुक्त हो पा रहे हैं या नहीं।


Conclusion:जिला प्रशासन अपनी ओर से जिले के बच्चों को कुपोषण मुक्त बनाने के लिए भरसक प्रयास कर रहा है। परंतु यह देखने वाली बात होगी कि जिले के पदाधिकारियों का यह प्रयास कितना रंग लाता है और इस किचन गार्डन से जिले के कितने कुपोषित बच्चों को कुपोषण मुक्त बनाने में सफलता मिलती है।
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