बोकारो: अफगानिस्तान पर तालिबान ने कब्जा जमा लिया है. वहां से सैकड़ों भारतीय नागरिकों को देश लाया गया. जबकि कई नागरिक अभी भी फंसे हुए हैं. उन्हें लाने के लिए केंद्र सरकार प्रयासरत है. अफगानिस्तान में बेरमो के गांधीनगर क्षेत्र का बबलू (Bablu) भी फंसा था, जिसे केंद्र सरकार (Central Government) की मदद से भारत लाया गया. सोमवार को वो सकुशल घर पहुंच गए हैं.
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बबलू के घर पहुंचते ही परिजनों और ग्रामीणों ने उनका गाजे-बाजे के साथ जोरदार स्वागत किया. बबलू के बेरमो आने के बाद परिजनों ने राहत की सांस ली है. बबलू का अफगानिस्तान से हिंदुस्तान पहुंचने का सफर बेहद भयावह रहा. काबुल एयरपोर्ट पर गोलियों की गूंज से उनकी घर वापसी की उम्मीदें खत्म हो गई थी, लेकिन केंद्र सरकार की पहल से उनकी घर वापसी हो गई.
बबलू ने सरकार के प्रति जताया अभार
बबलू ने सरकार के प्रति आभार जताते हुए कहा कि सरकार के सकारात्मक पहल के चलते ही आज मैं वापस अपने वतन पहुंच सका. वहीं मीडिया से बात करते हुए बबलू की पत्नी की आंसू छलक गई. उनकी खुशी देखने लायक थी.
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तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान में क्या कुछ हो रहा है ये वही बता सकते हैं, जिन्होंने इसका दंश झेला है. बड़ी ही मुश्किल से अपने वतन लौटे बोकारो के बबलू जब रांची एयरपोर्ट पर पहुंचे तो अपनी जन्मभूमि को चूम लिया. देश की धरती पर कदम रखते ही बबलू के चेहरे से खुशी के आंसू छलक पड़े.
रांची एयरपोर्ट पर उतरने के बाद उन्होंने अपनी धरती को चूमा, फिर भारत माता की जय के नारे लगाए. अफगानिस्तान की राजधानी काबुल के हालात का जिक्र करते हुए बबलू ने बताया कि उन्होने अपनी आंखों से वहां डर का माहौल देखा है, जो उनके दिल-ओ-दिमाग में अब तक कौंध रहा है.
वतन वापसी की लगाई थी गुहार
बबलू इसी साल (2021) जून महीने में काम के सिलसिले में वहां गया था. वह एक नीजि कंपनी में इलेक्ट्रिक डिपार्टमेंट में हेल्पर के रूप में काम करता था. 16 अगस्त को उसकी वापसी की टिकट थी, लेकिन काबुल हवाई अड्डे पर भारी भीड़ और अफरातफरी के कारण वो वापस नहीं लौट पाया था. बबलू अपने परिजनों से व्हाट्सएप के जरिए संपर्क में था और वहां के हालात के बारे में जानकारी दे रहा था. इधर बबलू के भाई और उसकी पत्नी ने बबलू के वतन वापसी के लिए ट्वीट कर केंद्र सरकार और सीएम हेमंत सोरेन से गुहार लगाई थी.
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काबुल हवाई अड्डे के पास रहता था बबलू
बबलू काबूल हवाई अड्डा के पास ही एक मकान में रह रहा था. उसके साथ यूपी के तीन और साथी थे. सभी डर के साए में जी रहे थे. बबलू के मुताबिक बीच-बीच में गोली की आवाज और तालिबानी लड़ाके के इलाके में आने से डर और बढ़ जाता था.