ETV Bharat / briefs

वसंत पंचमी स्पेशल: रद्दी पेपरों से इस मूर्तिकार ने मां सरस्वती की प्रतिमा को दिया आकार

जमशेदपुर के टेल्को में रहने वाले पंकज भगत और उनका पूरा परिवार पुराने रद्दी पेपर से मां सरस्वती की मूर्ति बनाने में व्यस्त है. यह परिवार कोई शिल्पकार नहीं है और ना ही मूर्ति बनाने की कहीं से ट्रेनिंग ली है. फिर भी इनके द्वारा बनाई जा रही मां सरस्वती की मूर्ति आकर्षण का केंद्र बना हुआ है.

वसंत पंचमी स्पेशल
author img

By

Published : Feb 8, 2019, 5:34 PM IST

जमशेदपुर: कहते हैं कला किसी परिचय की मोहताज नहीं होती है. कुछ ऐसा ही अनोखा काम जमशेदपुर के रहने वाले एक परिवार ने कर दिखाया है. जो आज ना सिर्फ स्वच्छता का संदेश देने के प्रयास में लगे हुए हैं बल्कि अपने हुनर का लोहा भी मनवा रहे हैं.


आमतौर पर घरों में अखबार को पढ़ने के बाद लोग उसका इस्तेमाल नहीं करते हैं. लेकिन आज वहीं पुराना अखबार को जमशेदपुर के टेल्को क्षेत्र में रहने वाले पंकज भगत ने एक नया रूप दे दिया है और इस नए रूप के जरिए वो देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिए गए स्वच्छता अभियान के संदेश को सफल करते नजर आ रहे हैं.


न्यूज पेपर से बन रही मां सरस्वती की मूर्ति
जमशेदपुर के टेल्को में रहने वाले पंकज भगत और उनका पूरा परिवार पुराने रद्दी पेपर से मां सरस्वती की मूर्ति बनाने में व्यस्त है. यह परिवार कोई शिल्पकार नहीं है और ना ही मूर्ति बनाने की कहीं से ट्रेनिंग ली है. फिर भी इनके द्वारा बनाई जा रही मां सरस्वती की मूर्ति आकर्षण का केंद्र बना हुआ है.

undefined


रद्दी पेपर से मूर्ति बनाने वाले पंकज भगत अपनी इस नई अनोखी कला के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि स्वच्छ भारत अभियान से प्रेरित होकर उनके जहन में यह ख्याल आया कुछ ऐसा करें, जिससे पर्यावरण पर कोई असर ना पड़े और एक नया मिसाल बने. उन्होंने बताया कि अपने घर के अलावा अपने साथियों के घरों से सारे रद्दी पेपर को जमा कर विद्या की देवी मां सरस्वती की मूर्ति बनाने का निर्णय लेकर मूर्ति बनाना शुरू किया.


जानिए कैसे बन रही पेपर से मां की मूर्ति
मूर्ति बनाने में उनके पास कोई सांचा नहीं है, सिर्फ रद्दी पेपर के टुकड़ों को खुद से बनाए गए केमिकल रहित लेई से परत दर परत चिपका कर मां का रूप बनाते हैं. उन्होंने बताया कि उनके इस काम में उन की दोनों बेटियां और उनकी पत्नी का भी साथ मिला है. पेपर से मां की मूर्ति बनाने के बाद उन्हें रंगीन कागजों से सजाते हैं और मां के हाथ और गले का जेवर, माथे पर सजने वाला मुकुट को उनकी पत्नी बनाती है. जेवर और मुकुट को भी रद्दी पेपर से बनाया जा रहा है.

undefined


मां की मूर्ति मोहल्ले के पंडाल में स्थापित होगी
पंकज भगत ने बताया कि रद्दी पेपर से वो 25 फीट ऊंची मूर्ति बना सकते हैं. फिलहाल 5 फीट की मूर्तियां को बना रहे हैं. उन्होंने बताया कि उनके द्वारा केमिकल रहित बनाए गए लेई कुछ खास है, जिससे मूर्ति को आकार देने में उन्हें मदद मिल रही है और सजावट में वाटर कलर का इस्तेमाल कर रहे हैं. जिससे पर्यावरण पर कोई असर नहीं होगा. नदी में मूर्ति विसर्जन करने के बाद पेपर खुल जाएगा और रंग भी पानी में मिल जाएगा लेकिन पानी प्रदूषित नहीं होगा. उनके द्वारा बनाई गई मूर्ति मोहल्ले में स्थापित होगी. जिसकी पूजा 10 फरवरी को (सरस्वती पूजा) की जाएगी.

वसंत पंचमी स्पेशल
undefined


बता दें कि मूर्ति के साथ-साथ पंकज भगत ने 15 फीट ऊंची पंडाल भी पेपरों के सहारे बनाया है. उन्होंने बताया कि पंडाल बनाने में भी किसी प्रकार का धातु का प्रयोग नहीं किया गया है और ना ही लकड़ी का प्रयोग किया गया है.


वहीं, पंकज भगत की बेटी कंचन भी अपने पिता के इस नई कला से प्रभावित होकर मूर्ति बनाने में जुट गई है. कंचन ने बताया कि वह अपने पापा के इस नई कला से काफी प्रभावित हुई है क्योंकि विद्या की देवी मां सरस्वती की मूर्ति भी विद्या से ही बनाई जा रही है और यह मूर्ति एक संदेश भी दे रही है.साथ ही कागजों से मां के गहने और मुकुट बनाने वाली पंकज भगत की पत्नी उषा रानी बताती है कि उन्हें अपने पति के इस नई कला पर गर्व है.


वैसे तो कई कलाकार की कलाकृति पूरे देश भर में चर्चित है. साथ ही अब तक मिट्टी या किसी अन्य धातुओं से बनाई गई मूर्तियों की पूजा होती रही है. लेकिन इस बार रद्दी पेपर से बनने वाली 5 फीट की मां सरस्वती की मूर्ति पूरे शहर में चर्चा का विषय बना हुआ है. जो कि अपने आप में एक मिसाल है.

undefined

जमशेदपुर: कहते हैं कला किसी परिचय की मोहताज नहीं होती है. कुछ ऐसा ही अनोखा काम जमशेदपुर के रहने वाले एक परिवार ने कर दिखाया है. जो आज ना सिर्फ स्वच्छता का संदेश देने के प्रयास में लगे हुए हैं बल्कि अपने हुनर का लोहा भी मनवा रहे हैं.


आमतौर पर घरों में अखबार को पढ़ने के बाद लोग उसका इस्तेमाल नहीं करते हैं. लेकिन आज वहीं पुराना अखबार को जमशेदपुर के टेल्को क्षेत्र में रहने वाले पंकज भगत ने एक नया रूप दे दिया है और इस नए रूप के जरिए वो देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिए गए स्वच्छता अभियान के संदेश को सफल करते नजर आ रहे हैं.


न्यूज पेपर से बन रही मां सरस्वती की मूर्ति
जमशेदपुर के टेल्को में रहने वाले पंकज भगत और उनका पूरा परिवार पुराने रद्दी पेपर से मां सरस्वती की मूर्ति बनाने में व्यस्त है. यह परिवार कोई शिल्पकार नहीं है और ना ही मूर्ति बनाने की कहीं से ट्रेनिंग ली है. फिर भी इनके द्वारा बनाई जा रही मां सरस्वती की मूर्ति आकर्षण का केंद्र बना हुआ है.

undefined


रद्दी पेपर से मूर्ति बनाने वाले पंकज भगत अपनी इस नई अनोखी कला के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि स्वच्छ भारत अभियान से प्रेरित होकर उनके जहन में यह ख्याल आया कुछ ऐसा करें, जिससे पर्यावरण पर कोई असर ना पड़े और एक नया मिसाल बने. उन्होंने बताया कि अपने घर के अलावा अपने साथियों के घरों से सारे रद्दी पेपर को जमा कर विद्या की देवी मां सरस्वती की मूर्ति बनाने का निर्णय लेकर मूर्ति बनाना शुरू किया.


जानिए कैसे बन रही पेपर से मां की मूर्ति
मूर्ति बनाने में उनके पास कोई सांचा नहीं है, सिर्फ रद्दी पेपर के टुकड़ों को खुद से बनाए गए केमिकल रहित लेई से परत दर परत चिपका कर मां का रूप बनाते हैं. उन्होंने बताया कि उनके इस काम में उन की दोनों बेटियां और उनकी पत्नी का भी साथ मिला है. पेपर से मां की मूर्ति बनाने के बाद उन्हें रंगीन कागजों से सजाते हैं और मां के हाथ और गले का जेवर, माथे पर सजने वाला मुकुट को उनकी पत्नी बनाती है. जेवर और मुकुट को भी रद्दी पेपर से बनाया जा रहा है.

undefined


मां की मूर्ति मोहल्ले के पंडाल में स्थापित होगी
पंकज भगत ने बताया कि रद्दी पेपर से वो 25 फीट ऊंची मूर्ति बना सकते हैं. फिलहाल 5 फीट की मूर्तियां को बना रहे हैं. उन्होंने बताया कि उनके द्वारा केमिकल रहित बनाए गए लेई कुछ खास है, जिससे मूर्ति को आकार देने में उन्हें मदद मिल रही है और सजावट में वाटर कलर का इस्तेमाल कर रहे हैं. जिससे पर्यावरण पर कोई असर नहीं होगा. नदी में मूर्ति विसर्जन करने के बाद पेपर खुल जाएगा और रंग भी पानी में मिल जाएगा लेकिन पानी प्रदूषित नहीं होगा. उनके द्वारा बनाई गई मूर्ति मोहल्ले में स्थापित होगी. जिसकी पूजा 10 फरवरी को (सरस्वती पूजा) की जाएगी.

वसंत पंचमी स्पेशल
undefined


बता दें कि मूर्ति के साथ-साथ पंकज भगत ने 15 फीट ऊंची पंडाल भी पेपरों के सहारे बनाया है. उन्होंने बताया कि पंडाल बनाने में भी किसी प्रकार का धातु का प्रयोग नहीं किया गया है और ना ही लकड़ी का प्रयोग किया गया है.


वहीं, पंकज भगत की बेटी कंचन भी अपने पिता के इस नई कला से प्रभावित होकर मूर्ति बनाने में जुट गई है. कंचन ने बताया कि वह अपने पापा के इस नई कला से काफी प्रभावित हुई है क्योंकि विद्या की देवी मां सरस्वती की मूर्ति भी विद्या से ही बनाई जा रही है और यह मूर्ति एक संदेश भी दे रही है.साथ ही कागजों से मां के गहने और मुकुट बनाने वाली पंकज भगत की पत्नी उषा रानी बताती है कि उन्हें अपने पति के इस नई कला पर गर्व है.


वैसे तो कई कलाकार की कलाकृति पूरे देश भर में चर्चित है. साथ ही अब तक मिट्टी या किसी अन्य धातुओं से बनाई गई मूर्तियों की पूजा होती रही है. लेकिन इस बार रद्दी पेपर से बनने वाली 5 फीट की मां सरस्वती की मूर्ति पूरे शहर में चर्चा का विषय बना हुआ है. जो कि अपने आप में एक मिसाल है.

undefined
Intro:JAMSHEDPUR
JITENDRA KUMAR
7 FEB 19

जमशेदपुर।

कहते हैं कला किसी के परिचय का मोहताज नहीं होता कुछ ऐसा ही कर दिखाया है जमशेदपुर के एक परिवार को जो आज ना सिर्फ स्वच्छता का संदेश देने के प्रयास में लगे हुए हैं बल्कि अपने हुनर का लोहा भी मनवा रहे हैं


Body:आमतौर पर घरों में अख़बार को पढ़ने के बाद लोग उसका इस्तेमाल नहीं करते हैं लेकिन आज वही पुराना अखबार को जमशेदपुर के टेल्को क्षेत्र में रहने वाले पंकज भगत में एक नया रूप दे दिया है और इस नए रूप के जरिए वो देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छता अभियान का संदेश भी दे रहे हैं।

जमशेदपुर के टेल्को में रहने वाले पंकज भगत और उनका पूरा परिवार पुराने रद्दी पेपर से मां सरस्वती की मूर्ति बनाने में व्यस्त है। यह परिवार कोई शिल्पकार नहीं है और ना ही मूर्ति बनाने की कहीं से ट्रेनिंग ली है
लेकिन इनके द्वारा बनाई जा रही मां सरस्वती की मूर्ति आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।।

रद्दी पेपर से मूर्ति बनाने वाले पंकज भगत अपनी इस नई अनोखी कला के बारे मे जानकारी देते हुए बताया कि स्वच्छ भारत अभियान से प्रेरित होकर उनके जहन में यह ख्याल आया कुछ ऐसा करें जिससे पर्यावरण पर कोई असर ना पड़े और एक नया मिसाल बने उन्होंने बताया कि अपने घर के अलावा अपने साथियों के घरों से सारे रद्दी पेपर को जमा कर विद्या की देवी मां सरस्वती की मूर्ति बनाने का निर्णय लेकर मूर्ति बनाना शुरू किया मूर्ति बनाने में उनके पास कोई सांचा नहीं है सिर्फ रद्दी पेपर के टुकड़ों को खुद के द्वारा बनाए गए केमिकल रहित लेई से परत दर परत चिपका कर मां का रूप बनाते हैं उन्होंने बताया कि उनके इस काम में उन की दोनों बेटियां और उनकी पत्नी का भी साथ मिला है रद्दी पेपर से मां की मूर्ति बनाने के बाद उन्हें रंगीन कागजों से सजाते हैं और मां के हाथ और गले का जेवर और माथे पर सजने वाला मुकुट को उनकी पत्नी बनाती है जो रद्दी पेपर से बनाया जा रहा है।
पंकज भगत ने बताया कि रद्दी पेपर से वो 25 फीट ऊंची मूर्ति बना सकते हैं फिलहाल 5 फीट की मूर्तियां को बना रहे हैं उन्होंने बताया कि उनके द्वारा केमिकल रहित बनाए गए लेई कुछ खास है जिससे मूर्ति को आकार देने में उन्हें कामयाबी मिली है और सजावट में वाटर कलर का इस्तेमाल कर रहे हैं जिससे पर्यावरण पर कोई असर नहीं होगा नदी में मूर्ति विसर्जन करने के बाद पेपर खुल जाएगा और रंग भी पानी में मिल जाएगा लेकिन पानी प्रदूषित नहीं होगा उनके द्वारा बनाई गई मूर्ति मोहल्ले में स्थापित होगी जिसकी पूजा 10 फरवरी को सरस्वती पूजा के दिन की जाएगी।
मूर्ति के साथ साथ पंकज भगत ने 15 फीट ऊंचा पंडाल भी प्रदीप पेपरों के सहारे बनाया है जिसमें रद्दी पेपर से बनी मां सरस्वती की मूर्ति विराजमान होंगी उन्होंने बताया कि पंडाल बनाने में भी किसी प्रकार का धातु का प्रयोग नहीं किया गया है ना ही लकड़ी का प्रयोग किया गया है।
बाईट पंकज भगत

अपने पिता के इस नई कला से प्रभावित होकर कंचन भी मूर्ति बनाने में जुट गई है कंचन ने बताया कि वह अपने पापा के इस नई कला से काफी प्रभावित हुई है क्योंकि विद्या की देवी मां सरस्वती की मूर्ति भी विद्या से ही बनाई जा रही है और यह मूर्ति एक संदेश भी दे रही है।
बाईट कंचन बेटी
वहीं कागजों से मां के गहने और मुकुट बनाने वाली पंकज भगत की पत्नी उषा रानी बताती है कि उन्हें अपने पति के इस नई कला पर गर्व है।



Conclusion:बहरहाल अब तक मिट्टी या किसी अन्य धातुओं से बनाई गई मूर्तियों की पूजा होती थी लेकिन पहली बार रद्दी पेपर से बनने वाली मूर्ति शहर में चर्चा का विषय बना हुआ है जो अपने आप में एक मिसाल है।
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.