रांची: जिले के राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान चिकित्सा महाविद्यालय में डॉक्टर, नर्स और पारा मेडिकल स्टाफ की भारी कमी पर हाई कोर्ट ने कड़ी नाराजगी व्यक्त करते हुए स्वास्थ्य सचिव को तलब किया है. अदालत ने राज्य सरकार के जवाब को देखने के बाद कहा है कि कोरोना वायरस की स्थिति देश में युद्ध जैसी स्थिति है. ऐसी हालत में रिम्स में डॉक्टर, नर्स और पारा मेडिकल स्टाफ के आधे पद रिक्त होने के बाद कैसे कोरोना वायरस का इलाज किया जाएगा? किस तरह से राज्य सरकार कोरोना संकट से निपटेगी? कैसे गरीबों को इससे निजात मिलेगा? इस पर विस्तृत रिपोर्ट पेश करने को कहा है.
झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में कोविड-19 के संक्रमितों की इलाज से संबंधित मामले की सुनवाई के दौरान रिम्स में डॉक्टर, नर्स, पारा मेडिकल स्टाफ और अन्य कर्मी के खाली पद होने के बिंदु पर सुनवाई की. रिम्स प्रशासन के जवाब पर कड़ी नाराजगी व्यक्त की. न्यायाधीश अपने आवासीय कार्यालय से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई की. वहीं, अधिवक्ता अपने-अपने आवास से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अपना पक्ष रखा.
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया कि रिम्स में अधिकांश पद रिक्त है. जिसके कारण वहां इलाज में परेशानी होती है. अदालत ने माना कि डॉक्टर, नर्स और पारा मेडिकल स्टाफ के पद रिक्त होने के कारण यह परेशानी आ रही है. इतना ही नहीं रिम्स जैसे संस्थान में नियमित डायरेक्टर नहीं है, इस पर भी उन्होंने कड़ी नाराजगी जाहिर की और रिम्स प्रशासन को विस्तृत जवाब पेश करने को कहा है.
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बता दें कि कोविड-19 से निपटने की तैयारी को लेकर हाई कोर्ट के लिए गए स्वतः संज्ञान याचिका की सुनवाई के दौरान रिम्स की लचर व्यवस्था पर चर्चा की गई. इस दौरान अदालत ने रिम्स प्रशासन को मामले में विस्तृत जवाब पेश करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई 1 अक्टूबर को होगी.