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अलकतरा घोटालाः 3 इंजीनियर्स को 3-3 साल की सजा

अलकतरा घोटला मामले में 3 इंजीनियरों को सजा
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Published : May 28, 2019, 1:28 PM IST

Updated : May 29, 2019, 10:01 AM IST

2019-05-28 13:22:32

सीबीआई की विशेष अदालत ने सुनाया फैसला

अलकतरा घोटला मामले में 3 इंजीनियरों को सजा

रांचीः अलकतरा घोटाला से जुड़े मामले पर रांची सिविल कोर्ट स्थित सीबीआई की विशेष अदालत में सुनवाई हुई. अदालत ने तीन तत्कालीन इंजीनियर्स को 3-3 साल की सजा सुनाई है. साथ ही तीनों पर डेढ़ लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है. जुर्माना की राशि नहीं देने पर 6 माह की अतिरिक्त कारावास की सजा होगी.

कोर्ट ने आरोपियों को विभिन्न धाराओं में दोषी ठहराते हुए अधिकतम 3 साल की सजा सुनाई है साथ ही तीनों आरोपियों पर कुल 1 लाख 15 हजार का जुर्माना भी लगाया है. जुर्माना की राशि नहीं देने पर आरोपियों को अतिरिक्त 6 माह की सजा भुगतनी होगी.

वहीं, न्यायालय ने तीनों आरोपियों को औपबंधिक जमानत दे दी है. जिस पर न्यायालय ने शर्त रखा है कि 30 दिनों के अंदर इन लोगों को हाई कोर्ट में अपील दायर कर सुनवाई कराकर आदेश पारित करानी होगी. आरोपी के अधिवक्ता के मुताबिक निचली अदालत की इस फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दायर किया जाएगा.

दरअसल, यह मामला साल 2009 का है, सिमडेगा जिला के ग्रामीण कार्य विभाग के तत्कालीन 3 इंजीनियर उपेंद्र कुमार सिंह, उमेश पासवान और राजबली राम पर जालसाजी कर एक कंपनी को नाजायज फायदा पहुंचाने का आरोप है. जिसमें इन तीनों इंजीनियरों ने मिलीभगत कर बिना अलकतरा प्राप्त किए ही 267 मीट्रिक टन अलकतरा के बदले करीब एक करोड़ 22 लाख रुपया सप्लायर कंपनी को पेमेंट कर दिया था.

वहीं, 30 विभिन्न चालान के माध्यम से यह पैसा कंपनी को भुगतान किया गया था. ऑडिट रिपोर्ट में घोटाला का खुलासा हुआ तो इसकी जांच सीबीआई को सौंपी गई. आरोप साबित करने के लिए अभियोजन पक्ष की तरफ से 17 गवाह पेस कर गवाही कराया गया. जबकि बचाव पक्ष की तरफ से 4 गवाहों की गवाही कराई गई. जिसके आधार पर  न्यायालय ने यह फैसला सुनाया है.

इससे पहले फरवरी महीने में बिहार के पूर्व पथ निर्माण मंत्री इलियास हुसैन को 5 साल की सजा हो चुकी है. 22 फरवरी को सीबीआई के विशेष न्यायाधीश एके मिश्रा की अदालत ने पूर्व मंत्री इलियास हुसैन सहित सात लोगों को दोषी करार दिया था. सभी दोषियों को 5-5 साल की सजा और 20 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया था.

ये भी पढ़ें- 43 हजार शिक्षकों की नौकरी पर लटकी तलवार, डीएलएड परीक्षा में हुए फेल

क्या है अलकतरा घोटला
झारखंड के चतरा जिले से जुड़ा ये घोटाला करीब 22 साल पुराना है. साल 1992 से 1996 के दौरान आरसीडी रोड डिवीजन चतरा के तहत सड़कों का निर्माण किया जाना था. इसके लिए हल्दिया ऑयल रिफायनरी कोलकाता से अलकतरा आना था लेकिन मंत्री और इंजीनियरों ने कंपनी से मिलीभगत से करोड़ों रुपये का अलकतरा का घोटला किया गया. 

पटना हाईकोर्ट के आदेश पर जांच
पटना हाईकोर्ट ने 10 फरवरी 1997 को सीबीआई जांच का आदेश दिया था. सीबीआई ने 20 मार्च 1997 को इस मामले में पांच FIR दर्ज की. सीबीआई की जांच में पता चला कि 3,266 मीट्रिक टन अलकतरा अवैध तरीके से बेच दिया गया है, जिसकी कीमत लगभग 1.57 करोड़ बताई गई है.

2019-05-28 13:22:32

सीबीआई की विशेष अदालत ने सुनाया फैसला

अलकतरा घोटला मामले में 3 इंजीनियरों को सजा

रांचीः अलकतरा घोटाला से जुड़े मामले पर रांची सिविल कोर्ट स्थित सीबीआई की विशेष अदालत में सुनवाई हुई. अदालत ने तीन तत्कालीन इंजीनियर्स को 3-3 साल की सजा सुनाई है. साथ ही तीनों पर डेढ़ लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है. जुर्माना की राशि नहीं देने पर 6 माह की अतिरिक्त कारावास की सजा होगी.

कोर्ट ने आरोपियों को विभिन्न धाराओं में दोषी ठहराते हुए अधिकतम 3 साल की सजा सुनाई है साथ ही तीनों आरोपियों पर कुल 1 लाख 15 हजार का जुर्माना भी लगाया है. जुर्माना की राशि नहीं देने पर आरोपियों को अतिरिक्त 6 माह की सजा भुगतनी होगी.

वहीं, न्यायालय ने तीनों आरोपियों को औपबंधिक जमानत दे दी है. जिस पर न्यायालय ने शर्त रखा है कि 30 दिनों के अंदर इन लोगों को हाई कोर्ट में अपील दायर कर सुनवाई कराकर आदेश पारित करानी होगी. आरोपी के अधिवक्ता के मुताबिक निचली अदालत की इस फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दायर किया जाएगा.

दरअसल, यह मामला साल 2009 का है, सिमडेगा जिला के ग्रामीण कार्य विभाग के तत्कालीन 3 इंजीनियर उपेंद्र कुमार सिंह, उमेश पासवान और राजबली राम पर जालसाजी कर एक कंपनी को नाजायज फायदा पहुंचाने का आरोप है. जिसमें इन तीनों इंजीनियरों ने मिलीभगत कर बिना अलकतरा प्राप्त किए ही 267 मीट्रिक टन अलकतरा के बदले करीब एक करोड़ 22 लाख रुपया सप्लायर कंपनी को पेमेंट कर दिया था.

वहीं, 30 विभिन्न चालान के माध्यम से यह पैसा कंपनी को भुगतान किया गया था. ऑडिट रिपोर्ट में घोटाला का खुलासा हुआ तो इसकी जांच सीबीआई को सौंपी गई. आरोप साबित करने के लिए अभियोजन पक्ष की तरफ से 17 गवाह पेस कर गवाही कराया गया. जबकि बचाव पक्ष की तरफ से 4 गवाहों की गवाही कराई गई. जिसके आधार पर  न्यायालय ने यह फैसला सुनाया है.

इससे पहले फरवरी महीने में बिहार के पूर्व पथ निर्माण मंत्री इलियास हुसैन को 5 साल की सजा हो चुकी है. 22 फरवरी को सीबीआई के विशेष न्यायाधीश एके मिश्रा की अदालत ने पूर्व मंत्री इलियास हुसैन सहित सात लोगों को दोषी करार दिया था. सभी दोषियों को 5-5 साल की सजा और 20 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया था.

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क्या है अलकतरा घोटला
झारखंड के चतरा जिले से जुड़ा ये घोटाला करीब 22 साल पुराना है. साल 1992 से 1996 के दौरान आरसीडी रोड डिवीजन चतरा के तहत सड़कों का निर्माण किया जाना था. इसके लिए हल्दिया ऑयल रिफायनरी कोलकाता से अलकतरा आना था लेकिन मंत्री और इंजीनियरों ने कंपनी से मिलीभगत से करोड़ों रुपये का अलकतरा का घोटला किया गया. 

पटना हाईकोर्ट के आदेश पर जांच
पटना हाईकोर्ट ने 10 फरवरी 1997 को सीबीआई जांच का आदेश दिया था. सीबीआई ने 20 मार्च 1997 को इस मामले में पांच FIR दर्ज की. सीबीआई की जांच में पता चला कि 3,266 मीट्रिक टन अलकतरा अवैध तरीके से बेच दिया गया है, जिसकी कीमत लगभग 1.57 करोड़ बताई गई है.

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अलकतरा घोटाला से जुड़े मामले पर रांची सिविल कोर्ट स्थित सीबीआई के विशेष अदालत में हुई, सुनवाई, अदालत ने तीन तत्कालीन इंजीनियर को 3 साल की सजा सुनाई है। साथी तीनों पर डेढ़ लाख रुपए का जुर्माना लगाया है जुर्माना की राशि नहीं देने पर 6 माह की अतिरिक्त कारावास की सजा


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Last Updated : May 29, 2019, 10:01 AM IST
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