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क्या आने वाले एक दशक में पेट्रोल-डीजल वाली गाड़ियां नहीं दिखेंगी ?

ये सवाल इसलिये क्योंकि दुनिया लगातार पेट्रोल-डीजल के विकल्प की तरफ शिफ्ट हो रही है. जिसके कई फायदे हैं. भारत में इसे लेकर क्या तैयारियां हैं ? इसका क्या फायदा है ? क्या भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों का दौर आ गया है ? भविष्य को लेकर क्या है सरकार की तैयारी और क्या कहते हैं मौजूदा आंकड़े ? जानने के लिए पढ़िये पूरी ख़बर

पेट्रोल
पेट्रोल
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Published : Oct 11, 2021, 5:06 PM IST

हैदराबाद: पेट्रोल डीज़ल के दाम रोज़ अपना ही रिकॉर्ड तोड़ रहे हैं. आम आदमी का दिल और जेब दोनों जल रहे हैं. दफ्तर जाने के किराये से लेकर किचन तक का बजट बिगड़ रहा है. इसके लिए कच्चे तेल पर हमारी निर्भरता, तेल उत्पादक देशों का मनमाना रवैया जैसे कई तत्व जिम्मेदार हैं. तेल के खेल से निजात पाने के लिए सबसे जरूरी है कच्चे तेल का विकल्पों की तरफ जाना.

भारत जो भी कच्चा तेल आयात करता है उसका बड़ा हिस्सा वाहनों के ईंधन के रूप में लगता है. ऐसे में इलेक्ट्रिक वाहन कच्चे तेल पर निर्भरता को कम करने में कारगर साबित हो सकते हैं. केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी भी कह चुके हैं कि आने-वाले सालों में पेट्रोल-डीजल पर निर्भरता खत्म करनी होगी और लोगों को इलेक्ट्रिक वाहनों की तरफ रुख करना होगा. सवाल है कि इससे क्या-क्या फायदा होगा ? क्या सरकार इस ओर कोई कदम उठा रही है ? लेकिन पहले सवाल है कि

क्या देश में इलेक्ट्रिक कारों का दौर आ गया है ?

आज आपको सड़क पर इक्का दुक्का इलेक्ट्रिक कारें दौड़ती दिख जाएंगी, इसलिये इलेक्ट्रिक कारों का दौर आ गया है ये कहना तो फिलहाल बिल्कुल मुनासिब नहीं है. लेकिन ये कहा जा सकता है कि इलेक्ट्रिक कारों को अपनाने का वक्त आ गया है और ईंधन के बढ़ते उपभोग के साथ-साथ कीमतों को देखते हुए कहा जा सकता है कि ये सही वक्त है. भारत में इलेक्ट्रिक कारों का चलन अभी शुरू ही हुआ है. इसलिये इतनी बड़ी आबादी के वाहनों को इलेक्ट्रिक वाहनों में बदलना तो बहुत बड़ी चुनौती है लेकिन इसके लिए शुरूआती कदम मजबूती से उठाने होंगे.

पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतें जला रही हैं आपकी जेब
पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतें जला रही हैं आपकी जेब

दरअसल इलेक्ट्रिक पेट्रोल-डीजल वाहनों से अधिक महंगे होते हैं. स्वदेशी हो या विदेशी, दोनों कारों की कीमत आम पेट्रोल-डीजल कार से अधिक है. ऐसे में इलेक्ट्रिक वाहन अपनाने की राह में इन कारों का महंगा होना सबसे बड़ी चुनौती है. इसके अलावा इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए आधारभूत ढांचा भी नहीं है. इसलिये बीते दो से तीन सालों में भारत में बहुत कम इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री हुई है. हालांकि इसमें थोड़ा बहुत ही सही साल दर साल बढ़ोतरी हो रही है.

सरकारें इसके लिए क्या कर रही है ?

1) केंद्र सरकार ने अप्रैल 2015 में नेशनल इलेक्ट्रिक मोबिलिटी मिशन (NEMM) के तहत FAME (Adoption and Manufacturing of Hybrid and Electric vehicle) योजना की शुरुआत की थी. जिसका उद्देश्य देश में इलेक्ट्रिक वाहनों को तेजी से अपनाना था, इसके लिए ऐसे वाहनों के निर्माण के अलावा आवश्यक चार्जिंग और बुनियादी ढांचे को स्थापित करना है. इसी योजना को विस्तार देकर साल 2019 में योजना का दूसरा चरण फेम टू (FAME II ) शुरू हुआ. जिसका लक्ष्य इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद पर जोर देना है. योजना के तहत सरकार इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने के लिए सब्सिडी मिलती है, इसमें इलेक्ट्रिक थ्री व्हीकल्स से लेकर बड़ी आबादी वाले शहरों में इलेक्ट्रिक बसें चलाने की भी योजना है.

2) इसके अलावा कुछ राज्य सरकारें भी अपने स्तर पर इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद पर सब्सिडी देती हैं. ताकि लोगों का रुझान इलेक्ट्रिक वाहनों की तरफ बढ़े और इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री में इजाफा हो.

दिल्ली-जयपुर के बीच बनेगा देश का पहला इलेक्ट्रिक हाइवे
दिल्ली-जयपुर के बीच बनेगा देश का पहला इलेक्ट्रिक हाइवे

3) भारत दुनिया के लिए बड़ा बाजार है खासकर दुनियाभर की ऑटो इंडस्ट्री इस ओर नजरें गड़ाए रहती हैं. देश की सड़कों पर आज कई विदेशी कंपनियों की कारें दौड़ रही हैं. इनमें विदेशी कंपनियों के इलेक्ट्रिक कारें भी शामिल हैं. सरकार की योजना है कि भारत में इलेक्ट्रिक वाहन बेचने वाली विदेशी कंपनियां भारत में ही उनका निर्माण और निर्यात करे. इससे देश में इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर भारतीयों का रुझान भी बढ़ेगा.

4) इसके अलावा इलेक्ट्रिक वाहनों के क्षेत्र में काम करने वाली स्वदेशी कंपनियों और स्टार्टअप को भी सरकार बढावा दे रही है. जिससे इलेक्ट्रिक वाहनों का विकल्प लोगों के लिए कम कीमत पर मुहैय्या हो सके.

5) इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए सबसे जरूरी है इंफ्रास्ट्रक्चर, जिसके लिए सबसे जरूरी है चार्जिंग स्टेशन. जिस तरह हाइवे पर पेट्रोल-डीजल कारों के लिए पेट्रोल पंप होते हैं उसी तरह से इलेक्ट्रिक वाहनों की लिए चार्जिंग स्टेशन होने चाहिए. सड़क पर इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए अलग लेन भी लोगों के रुझान इस ओर खींच सकती है. सरकार इस ओर काम तो कर रही है लेकिन उसकी रफ्तार फिलहाल उतनी तेज नहीं है

कार चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने होंगे
कार चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने होंगे

6) दिल्ली से जयपुर के बीच सरकार ने पहला इलेक्ट्रिक हाइवे बनाने का ऐलान किया है. जिसमें खासकर बड़े इलेक्ट्रिक वाहन जैसे ट्रक या बस आदि ट्रेन की तर्ज पर चलेंगे. बिजली से चलने पर ईंधन का खर्च कम होगा.

ये भी पढ़ें: क्या है ये इलेक्ट्रिक हाइवे ?, जिसपर गाड़ियां भी ट्रेन की तरह चलेंगी

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने क्या कहा ?

इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर बात करते हुए नितिन गडकरी ने कहा कि "पेट्रोल-डीजल के इंपोर्ट को बंद करना और प्रदूषण को कम करना है. बायोफ्यूल, इलेक्ट्रिक, इथेनॉल, मीथेनॉल, बायोडीजल, सीएनजी और मजबूरी है तो एलएनजी और एलपीजी का इस्तेमाल करेंगे. मैं कई सालों से इथेनॉल के बारे में बात करता था तो कोई मानता नहीं था लेकिन आज दुनिया मान रही है. पेट्रोल-डीजल पर दादागीरी अब किसी की नहीं चलेगी. पेट्रोल-डीजल का विकल्प मौजूद है और ग्रीन हाइड्रोजन फ्यूचर फ्यूल है. भविष्य में ग्रीन हाइड्रोजन का निर्यात करने वाला दुनिया का पहला देश बनेगा."

तेल का खेल भी समझ लीजिए

ओपेक देश यानि उन तेल उत्पादक देशों का समूह जो कच्चे तेल की आपूर्ति और कीमत तय करते हैं. इसमें सऊदी अरब, कुवैत, यूएई, इराक, ईरान, कतर, इंडोनेशिया, अंगोला, नाइजीरिया, वेनेजुएला जैसे देश शामिल हैं. भारत जैसे कई देश हैं जो तेल के लिए दुनिया के गिने-चुने देशों पर निर्भर रहते हैं और फिर उनके मनमाफिक दाम देते हैं. तेल उत्पादक देश एशियाई देशों में तेल की सप्लाई के लिए एशियन प्रीमियम लेते हैं, जिसके तहत प्रति बैरल 3 से 4 डॉलर वसूले जाते हैं.

भारत 80 फीसदी कच्चा तेल आयात करता है. जिसमें से 60 फीसदी के लिए अकेले ओपेक देशों पर निर्भर है. भारत तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक देश है. साल 2018 में भारत ने 45.1 लाख प्रति बैरल कच्चा तेल खरीदा था, जो 2017 की तुलना में 2.5 फीसदी अधिक था. हर बैरल में 159 लीटर कच्चा तेल होता है.

बीते सालों में अमेरिका से लेकर ऑस्ट्रेलिया, लैटिन अमेरिका, कनाडा जैसे देशों में तेल निकलने से उत्पादकों की तादाद तो बढ़ी है लेकिन तेल आयोतकों की संख्या पर इसका ज्यादा फर्क नहीं पड़ा है. हां, आयात के विकल्प जरूर बढ़े हैं. फिर भी इस कच्चे तेल पर खाड़ी देशों समेत कुछ देशों का ही एकाधिकार है. जिनकी मनमानी तेल का असर तेल की कीमतों पर पड़ता है. इन देशों पर निर्भरता कम करने के लिए ईंधन के अन्य विकल्पों की ओर जाना होगा.

पेट्रोल वाली कार का खर्च
पेट्रोल वाली कार का खर्च

इलेक्ट्रिक वाहन मतलब फायदा ही फायदा

इलेक्ट्रिक वाहन खरीदना मौजूदा वक्त में भले महंगा है लेकिन सरकार की योजनाओं के साथ इसकी कीमत कम हो सकती है. साथ ही एक बार इलेक्ट्रिक वाहन लेने पर हर महीने पेट्रोल-डीजल पर होने वाला हजारों का खर्च भी बहुत कम हो जाएगा. इस लिहाज से करीब 5 साल में आपकी कार का पैसा वसूल हो सकता है.

पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने का सीधा असर महंगाई पर पड़ता है. आज भी देश में ज्यादातर रोजमर्रा का सामान दूध, सब्जी, फल, अनाज आदि की ढुलाई ट्रक से होती है. ये बड़े-बड़े ट्रक डीजल से चलते हैं ऐसे में डीजल के दाम बढ़ने का सीधा असर रोजमर्रा की चीजों पर पड़ता है. भारत सरकार ने दिल्ली-जयपुर के बीच पहला इलेक्ट्रिक हाइवे बनाने का एलान किया है जिसपर ऐसे ही ट्रक चलेंगे. जिससे माल ढुलाई का खर्च कम होने पर महंगाई पर भी लगाम लगेगी.

इलेक्ट्रिक का का खर्च
इलेक्ट्रिक का का खर्च

बस, तिपहिया, टैक्सी आदि सार्वजनिक परिवहन सेवाएं भी अगर पेट्रोल-डीजल की बजाय ईंधन के अन्य विकल्पों जैसे बिजली से चलेंगी तो रोजमर्रा का किराया भी कम होगा.

बीते लंबे अरसे से जलवायु परिवर्तन दुनिया की सबसे बड़ी चिंताओं में से एक है. ग्लोबल वार्मिंग के साथ-साथ बढ़ता प्रदूषण सांसों में जहर घोल रहा है. ऐसे में इलेक्ट्रिक वाहनों पर निर्भरता बढ़ने से पर्यावरण संबंधी समस्याओं का निदान खुद-ब-खुद हो जाएगा.

इलेक्ट्रिक वाहनों का कितना क्रेज है ?

ओला ने इलेक्ट्रिक स्कूटर के 2 मॉडल बाजार में उतारे थे Ola S1 की एक्स शोरूम कीमत 99,999 और Ola S1 Pro की 1,29,999 रुपये थी. बीते 15 सितंबर और 16 सितंबर को कंपनी ने बुकिंग शुरू की थी. कंपनी ने सिर्फ 499 रुपये में स्कूटर की बुकिंग शुरू की और सिर्फ 24 घंटे में ही कंपनी को 1 लाख ओला स्कूटर की बुकिंग मिल गई. कंपनी के मुताबिक पहले दिन 500 करोड़ रुपये और दूसरे दिन 600 करोड़ रुपये के स्कूटर खरीदे. अब इस स्कूटर को खरीदने की चाह रखने वालों को करीब एक महीने का इंतजार करना पड़ेगा. 1 नवंबर से इसकी बिक्री फिर से शुरू होगी. इस स्कूटर पर केंद्र सरकार की फेम टू और राज्य सरकारों की सब्सिडी का लाभ भी मिल सकता है.

ओला इलेक्ट्रिक स्कूटर
ओला इलेक्ट्रिक स्कूटर

ola स्कूटर का जबरदस्त क्रेज देखने को मिला है. कंपनी ने स्कूटर के 2 वेरिएंट शानदार लुक और लेटेस्ट फीचर्स के साथ निकाले हैं. इसकी बैटरी एक बार में चार्ज होने पर 181 किलोमीटर तक चलती है. स्कूटर की टॉप स्पीड 115 किलोमीटर प्रति घंटे तक है. इस स्कूटर में आम चाबी का इस्तेमाल नहीं होगा बल्कि इसकी डिजिटल चाबी होगी जो फोन के साथ जुड़ी होगी. आप फोन के साथ स्कूटर के पास होंगे तो ये अनलॉक हो जाएगा और दूर जाते ही लॉक हो जाएगा.

भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री
भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री

भारत में भले इलेक्ट्रिक वाहनों का शुरुआती दौर चल रहा हो लेकिन लोगों में इलेक्ट्रिक वाहनों (Electric Vehicle) का क्रेज है. EY (ERNST & YOUNG) कंपनी के सर्वे के मुताबिक आने वाले एक साल में इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री में जबरदस्त बढ़ोतरी दिख सकती है. इलेक्ट्रिक वाहनों की कीमत आम डीजल और पेट्रोल वाहनों से भले अधिक हो लेकिन सर्वे के मुताबिक भारत में करीब 90 फीसदी उपभोक्ता इलेक्ट्रिक गाडियां खरीदने के लिए अधिक खर्च करने के लिए तैयार हैं. भारत के 40 फीसदी उपभोक्ता इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने के लिए 20 फीसदी तक अधिक खर्च करने को तैयार हैं. 10 में से 3 भारतीय इलेक्ट्रिक या हाइड्रोजन से चलने वाली कार खरीदना चाहते हैं.

EV खरीदने की इच्छा जताने वाले 67 फीसदी लोगों को यह लगता है कि उन्हें अपनी जिम्मेदारी को समझना चाहिए जिससे पेट्रोल-डीजल गाड़ी की वजह से जो प्रदूषण होता है उसे रोका जा सके. 69 फीसदी को लगता है कि ईवी खरीदकर वो पर्यावरण का ख्याल रखने की अपनी सोच को धरातल पर उतार सकते हैं.

देश में कई कंपनियां बेच रही हैं इलेक्ट्रिक कारें
देश में कई कंपनियां बेच रही हैं इलेक्ट्रिक कारें

बाजार में इलेक्ट्रिक कारों की बहार

1) Tata Nexon EV - भारतीय बाजार में टाटा की ये इलेक्ट्रिक कार काफी पसंद की जा रही है. जनवरी 2020 में लॉन्च हुई इस कार की कीमत 14 लाख से 16.5 लाख के बीच है. पिछले साल 2529 कारें बिकी थी. इस कार को सबसे सुरक्षित भी माना गया जो एक बार चार्ज होने पर 312 किमी. तक चल सकती है.

2) MG ZS EV - MG मोटर्स की ये कार भी पिछले साल जनवरी में लॉन्च हुई थी. जो एक बार में चार्ज होने पर 340 किमी. तक चल सकती है. हालांकि इस कार की कीमत 21 लाख से 24 लाख के बीच है. साल 2020 में इस कार की 1142 यूनिट बिकीं थी.

3) TATA TIGOR- इलेक्ट्रिक कारों की कड़ी में ये टाटा की एक और गाड़ी है. कंपनी का दावा है कि एक बार चार्ज करने पर कार 250 किमी. चलेगी. इसकी कीमत 12 लाख से शुरू है. बैटरी एक घंटे में 80 फीसदी तक चार्ज होती है और बैट्री पर 8 साल की वारंटी भी दी जाती है.

4) HYUNDAI KONA- लगभग 24 लाख रुपये की इस कार में 39.3 kWh की बैटरी लगी है जिसके चलते ये एक बार फुल चार्ज होने पर 452 किमी. चल सकती है. 2020 में इस कार की 223 यूनिट बिकीं थी जो इलेक्ट्रिक कार के मार्केट शेयर का 5.6% था.

5) Mahindra e-Verito - महिंद्रा की इस कार की कीमत 9 लाख से 11.5 लाख के बीच है. एक बार बैटरी फुल चार्ज होने पर ये 180 किमी. तक चलती है.

ये भी पढ़ें: आपकी पेट्रोल-डीजल वाली कार बन सकती है इलेक्ट्रिक, कितना होगा खर्च और फायदा ?

हैदराबाद: पेट्रोल डीज़ल के दाम रोज़ अपना ही रिकॉर्ड तोड़ रहे हैं. आम आदमी का दिल और जेब दोनों जल रहे हैं. दफ्तर जाने के किराये से लेकर किचन तक का बजट बिगड़ रहा है. इसके लिए कच्चे तेल पर हमारी निर्भरता, तेल उत्पादक देशों का मनमाना रवैया जैसे कई तत्व जिम्मेदार हैं. तेल के खेल से निजात पाने के लिए सबसे जरूरी है कच्चे तेल का विकल्पों की तरफ जाना.

भारत जो भी कच्चा तेल आयात करता है उसका बड़ा हिस्सा वाहनों के ईंधन के रूप में लगता है. ऐसे में इलेक्ट्रिक वाहन कच्चे तेल पर निर्भरता को कम करने में कारगर साबित हो सकते हैं. केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी भी कह चुके हैं कि आने-वाले सालों में पेट्रोल-डीजल पर निर्भरता खत्म करनी होगी और लोगों को इलेक्ट्रिक वाहनों की तरफ रुख करना होगा. सवाल है कि इससे क्या-क्या फायदा होगा ? क्या सरकार इस ओर कोई कदम उठा रही है ? लेकिन पहले सवाल है कि

क्या देश में इलेक्ट्रिक कारों का दौर आ गया है ?

आज आपको सड़क पर इक्का दुक्का इलेक्ट्रिक कारें दौड़ती दिख जाएंगी, इसलिये इलेक्ट्रिक कारों का दौर आ गया है ये कहना तो फिलहाल बिल्कुल मुनासिब नहीं है. लेकिन ये कहा जा सकता है कि इलेक्ट्रिक कारों को अपनाने का वक्त आ गया है और ईंधन के बढ़ते उपभोग के साथ-साथ कीमतों को देखते हुए कहा जा सकता है कि ये सही वक्त है. भारत में इलेक्ट्रिक कारों का चलन अभी शुरू ही हुआ है. इसलिये इतनी बड़ी आबादी के वाहनों को इलेक्ट्रिक वाहनों में बदलना तो बहुत बड़ी चुनौती है लेकिन इसके लिए शुरूआती कदम मजबूती से उठाने होंगे.

पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतें जला रही हैं आपकी जेब
पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतें जला रही हैं आपकी जेब

दरअसल इलेक्ट्रिक पेट्रोल-डीजल वाहनों से अधिक महंगे होते हैं. स्वदेशी हो या विदेशी, दोनों कारों की कीमत आम पेट्रोल-डीजल कार से अधिक है. ऐसे में इलेक्ट्रिक वाहन अपनाने की राह में इन कारों का महंगा होना सबसे बड़ी चुनौती है. इसके अलावा इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए आधारभूत ढांचा भी नहीं है. इसलिये बीते दो से तीन सालों में भारत में बहुत कम इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री हुई है. हालांकि इसमें थोड़ा बहुत ही सही साल दर साल बढ़ोतरी हो रही है.

सरकारें इसके लिए क्या कर रही है ?

1) केंद्र सरकार ने अप्रैल 2015 में नेशनल इलेक्ट्रिक मोबिलिटी मिशन (NEMM) के तहत FAME (Adoption and Manufacturing of Hybrid and Electric vehicle) योजना की शुरुआत की थी. जिसका उद्देश्य देश में इलेक्ट्रिक वाहनों को तेजी से अपनाना था, इसके लिए ऐसे वाहनों के निर्माण के अलावा आवश्यक चार्जिंग और बुनियादी ढांचे को स्थापित करना है. इसी योजना को विस्तार देकर साल 2019 में योजना का दूसरा चरण फेम टू (FAME II ) शुरू हुआ. जिसका लक्ष्य इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद पर जोर देना है. योजना के तहत सरकार इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने के लिए सब्सिडी मिलती है, इसमें इलेक्ट्रिक थ्री व्हीकल्स से लेकर बड़ी आबादी वाले शहरों में इलेक्ट्रिक बसें चलाने की भी योजना है.

2) इसके अलावा कुछ राज्य सरकारें भी अपने स्तर पर इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद पर सब्सिडी देती हैं. ताकि लोगों का रुझान इलेक्ट्रिक वाहनों की तरफ बढ़े और इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री में इजाफा हो.

दिल्ली-जयपुर के बीच बनेगा देश का पहला इलेक्ट्रिक हाइवे
दिल्ली-जयपुर के बीच बनेगा देश का पहला इलेक्ट्रिक हाइवे

3) भारत दुनिया के लिए बड़ा बाजार है खासकर दुनियाभर की ऑटो इंडस्ट्री इस ओर नजरें गड़ाए रहती हैं. देश की सड़कों पर आज कई विदेशी कंपनियों की कारें दौड़ रही हैं. इनमें विदेशी कंपनियों के इलेक्ट्रिक कारें भी शामिल हैं. सरकार की योजना है कि भारत में इलेक्ट्रिक वाहन बेचने वाली विदेशी कंपनियां भारत में ही उनका निर्माण और निर्यात करे. इससे देश में इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर भारतीयों का रुझान भी बढ़ेगा.

4) इसके अलावा इलेक्ट्रिक वाहनों के क्षेत्र में काम करने वाली स्वदेशी कंपनियों और स्टार्टअप को भी सरकार बढावा दे रही है. जिससे इलेक्ट्रिक वाहनों का विकल्प लोगों के लिए कम कीमत पर मुहैय्या हो सके.

5) इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए सबसे जरूरी है इंफ्रास्ट्रक्चर, जिसके लिए सबसे जरूरी है चार्जिंग स्टेशन. जिस तरह हाइवे पर पेट्रोल-डीजल कारों के लिए पेट्रोल पंप होते हैं उसी तरह से इलेक्ट्रिक वाहनों की लिए चार्जिंग स्टेशन होने चाहिए. सड़क पर इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए अलग लेन भी लोगों के रुझान इस ओर खींच सकती है. सरकार इस ओर काम तो कर रही है लेकिन उसकी रफ्तार फिलहाल उतनी तेज नहीं है

कार चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने होंगे
कार चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने होंगे

6) दिल्ली से जयपुर के बीच सरकार ने पहला इलेक्ट्रिक हाइवे बनाने का ऐलान किया है. जिसमें खासकर बड़े इलेक्ट्रिक वाहन जैसे ट्रक या बस आदि ट्रेन की तर्ज पर चलेंगे. बिजली से चलने पर ईंधन का खर्च कम होगा.

ये भी पढ़ें: क्या है ये इलेक्ट्रिक हाइवे ?, जिसपर गाड़ियां भी ट्रेन की तरह चलेंगी

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने क्या कहा ?

इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर बात करते हुए नितिन गडकरी ने कहा कि "पेट्रोल-डीजल के इंपोर्ट को बंद करना और प्रदूषण को कम करना है. बायोफ्यूल, इलेक्ट्रिक, इथेनॉल, मीथेनॉल, बायोडीजल, सीएनजी और मजबूरी है तो एलएनजी और एलपीजी का इस्तेमाल करेंगे. मैं कई सालों से इथेनॉल के बारे में बात करता था तो कोई मानता नहीं था लेकिन आज दुनिया मान रही है. पेट्रोल-डीजल पर दादागीरी अब किसी की नहीं चलेगी. पेट्रोल-डीजल का विकल्प मौजूद है और ग्रीन हाइड्रोजन फ्यूचर फ्यूल है. भविष्य में ग्रीन हाइड्रोजन का निर्यात करने वाला दुनिया का पहला देश बनेगा."

तेल का खेल भी समझ लीजिए

ओपेक देश यानि उन तेल उत्पादक देशों का समूह जो कच्चे तेल की आपूर्ति और कीमत तय करते हैं. इसमें सऊदी अरब, कुवैत, यूएई, इराक, ईरान, कतर, इंडोनेशिया, अंगोला, नाइजीरिया, वेनेजुएला जैसे देश शामिल हैं. भारत जैसे कई देश हैं जो तेल के लिए दुनिया के गिने-चुने देशों पर निर्भर रहते हैं और फिर उनके मनमाफिक दाम देते हैं. तेल उत्पादक देश एशियाई देशों में तेल की सप्लाई के लिए एशियन प्रीमियम लेते हैं, जिसके तहत प्रति बैरल 3 से 4 डॉलर वसूले जाते हैं.

भारत 80 फीसदी कच्चा तेल आयात करता है. जिसमें से 60 फीसदी के लिए अकेले ओपेक देशों पर निर्भर है. भारत तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक देश है. साल 2018 में भारत ने 45.1 लाख प्रति बैरल कच्चा तेल खरीदा था, जो 2017 की तुलना में 2.5 फीसदी अधिक था. हर बैरल में 159 लीटर कच्चा तेल होता है.

बीते सालों में अमेरिका से लेकर ऑस्ट्रेलिया, लैटिन अमेरिका, कनाडा जैसे देशों में तेल निकलने से उत्पादकों की तादाद तो बढ़ी है लेकिन तेल आयोतकों की संख्या पर इसका ज्यादा फर्क नहीं पड़ा है. हां, आयात के विकल्प जरूर बढ़े हैं. फिर भी इस कच्चे तेल पर खाड़ी देशों समेत कुछ देशों का ही एकाधिकार है. जिनकी मनमानी तेल का असर तेल की कीमतों पर पड़ता है. इन देशों पर निर्भरता कम करने के लिए ईंधन के अन्य विकल्पों की ओर जाना होगा.

पेट्रोल वाली कार का खर्च
पेट्रोल वाली कार का खर्च

इलेक्ट्रिक वाहन मतलब फायदा ही फायदा

इलेक्ट्रिक वाहन खरीदना मौजूदा वक्त में भले महंगा है लेकिन सरकार की योजनाओं के साथ इसकी कीमत कम हो सकती है. साथ ही एक बार इलेक्ट्रिक वाहन लेने पर हर महीने पेट्रोल-डीजल पर होने वाला हजारों का खर्च भी बहुत कम हो जाएगा. इस लिहाज से करीब 5 साल में आपकी कार का पैसा वसूल हो सकता है.

पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने का सीधा असर महंगाई पर पड़ता है. आज भी देश में ज्यादातर रोजमर्रा का सामान दूध, सब्जी, फल, अनाज आदि की ढुलाई ट्रक से होती है. ये बड़े-बड़े ट्रक डीजल से चलते हैं ऐसे में डीजल के दाम बढ़ने का सीधा असर रोजमर्रा की चीजों पर पड़ता है. भारत सरकार ने दिल्ली-जयपुर के बीच पहला इलेक्ट्रिक हाइवे बनाने का एलान किया है जिसपर ऐसे ही ट्रक चलेंगे. जिससे माल ढुलाई का खर्च कम होने पर महंगाई पर भी लगाम लगेगी.

इलेक्ट्रिक का का खर्च
इलेक्ट्रिक का का खर्च

बस, तिपहिया, टैक्सी आदि सार्वजनिक परिवहन सेवाएं भी अगर पेट्रोल-डीजल की बजाय ईंधन के अन्य विकल्पों जैसे बिजली से चलेंगी तो रोजमर्रा का किराया भी कम होगा.

बीते लंबे अरसे से जलवायु परिवर्तन दुनिया की सबसे बड़ी चिंताओं में से एक है. ग्लोबल वार्मिंग के साथ-साथ बढ़ता प्रदूषण सांसों में जहर घोल रहा है. ऐसे में इलेक्ट्रिक वाहनों पर निर्भरता बढ़ने से पर्यावरण संबंधी समस्याओं का निदान खुद-ब-खुद हो जाएगा.

इलेक्ट्रिक वाहनों का कितना क्रेज है ?

ओला ने इलेक्ट्रिक स्कूटर के 2 मॉडल बाजार में उतारे थे Ola S1 की एक्स शोरूम कीमत 99,999 और Ola S1 Pro की 1,29,999 रुपये थी. बीते 15 सितंबर और 16 सितंबर को कंपनी ने बुकिंग शुरू की थी. कंपनी ने सिर्फ 499 रुपये में स्कूटर की बुकिंग शुरू की और सिर्फ 24 घंटे में ही कंपनी को 1 लाख ओला स्कूटर की बुकिंग मिल गई. कंपनी के मुताबिक पहले दिन 500 करोड़ रुपये और दूसरे दिन 600 करोड़ रुपये के स्कूटर खरीदे. अब इस स्कूटर को खरीदने की चाह रखने वालों को करीब एक महीने का इंतजार करना पड़ेगा. 1 नवंबर से इसकी बिक्री फिर से शुरू होगी. इस स्कूटर पर केंद्र सरकार की फेम टू और राज्य सरकारों की सब्सिडी का लाभ भी मिल सकता है.

ओला इलेक्ट्रिक स्कूटर
ओला इलेक्ट्रिक स्कूटर

ola स्कूटर का जबरदस्त क्रेज देखने को मिला है. कंपनी ने स्कूटर के 2 वेरिएंट शानदार लुक और लेटेस्ट फीचर्स के साथ निकाले हैं. इसकी बैटरी एक बार में चार्ज होने पर 181 किलोमीटर तक चलती है. स्कूटर की टॉप स्पीड 115 किलोमीटर प्रति घंटे तक है. इस स्कूटर में आम चाबी का इस्तेमाल नहीं होगा बल्कि इसकी डिजिटल चाबी होगी जो फोन के साथ जुड़ी होगी. आप फोन के साथ स्कूटर के पास होंगे तो ये अनलॉक हो जाएगा और दूर जाते ही लॉक हो जाएगा.

भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री
भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री

भारत में भले इलेक्ट्रिक वाहनों का शुरुआती दौर चल रहा हो लेकिन लोगों में इलेक्ट्रिक वाहनों (Electric Vehicle) का क्रेज है. EY (ERNST & YOUNG) कंपनी के सर्वे के मुताबिक आने वाले एक साल में इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री में जबरदस्त बढ़ोतरी दिख सकती है. इलेक्ट्रिक वाहनों की कीमत आम डीजल और पेट्रोल वाहनों से भले अधिक हो लेकिन सर्वे के मुताबिक भारत में करीब 90 फीसदी उपभोक्ता इलेक्ट्रिक गाडियां खरीदने के लिए अधिक खर्च करने के लिए तैयार हैं. भारत के 40 फीसदी उपभोक्ता इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने के लिए 20 फीसदी तक अधिक खर्च करने को तैयार हैं. 10 में से 3 भारतीय इलेक्ट्रिक या हाइड्रोजन से चलने वाली कार खरीदना चाहते हैं.

EV खरीदने की इच्छा जताने वाले 67 फीसदी लोगों को यह लगता है कि उन्हें अपनी जिम्मेदारी को समझना चाहिए जिससे पेट्रोल-डीजल गाड़ी की वजह से जो प्रदूषण होता है उसे रोका जा सके. 69 फीसदी को लगता है कि ईवी खरीदकर वो पर्यावरण का ख्याल रखने की अपनी सोच को धरातल पर उतार सकते हैं.

देश में कई कंपनियां बेच रही हैं इलेक्ट्रिक कारें
देश में कई कंपनियां बेच रही हैं इलेक्ट्रिक कारें

बाजार में इलेक्ट्रिक कारों की बहार

1) Tata Nexon EV - भारतीय बाजार में टाटा की ये इलेक्ट्रिक कार काफी पसंद की जा रही है. जनवरी 2020 में लॉन्च हुई इस कार की कीमत 14 लाख से 16.5 लाख के बीच है. पिछले साल 2529 कारें बिकी थी. इस कार को सबसे सुरक्षित भी माना गया जो एक बार चार्ज होने पर 312 किमी. तक चल सकती है.

2) MG ZS EV - MG मोटर्स की ये कार भी पिछले साल जनवरी में लॉन्च हुई थी. जो एक बार में चार्ज होने पर 340 किमी. तक चल सकती है. हालांकि इस कार की कीमत 21 लाख से 24 लाख के बीच है. साल 2020 में इस कार की 1142 यूनिट बिकीं थी.

3) TATA TIGOR- इलेक्ट्रिक कारों की कड़ी में ये टाटा की एक और गाड़ी है. कंपनी का दावा है कि एक बार चार्ज करने पर कार 250 किमी. चलेगी. इसकी कीमत 12 लाख से शुरू है. बैटरी एक घंटे में 80 फीसदी तक चार्ज होती है और बैट्री पर 8 साल की वारंटी भी दी जाती है.

4) HYUNDAI KONA- लगभग 24 लाख रुपये की इस कार में 39.3 kWh की बैटरी लगी है जिसके चलते ये एक बार फुल चार्ज होने पर 452 किमी. चल सकती है. 2020 में इस कार की 223 यूनिट बिकीं थी जो इलेक्ट्रिक कार के मार्केट शेयर का 5.6% था.

5) Mahindra e-Verito - महिंद्रा की इस कार की कीमत 9 लाख से 11.5 लाख के बीच है. एक बार बैटरी फुल चार्ज होने पर ये 180 किमी. तक चलती है.

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