रांची/नई दिल्ली: किसी जमाने में देश की मदर ऑफ इंडस्ट्री के नाम से मशहूर हेवी इंजीनियरिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड अब अंतिम सांसे गिन रहा है. सब्र का बांध टूट रहा है. अधिकारी से लेकर कर्मचारी तक सड़कों पर हैं. अब यह राजनीतिक मुद्दा बन गया है. एचईसी कर्मियों के आंदोलन के समर्थन में इंडिया गठबंधन ने दिल्ली के जंतर-मंतर में एक दिवसीय महाधरना दिया है. वहीं रांची स्थित एचईसी मुख्यालय के पास भी कर्मी आंदोलन कर रहे हैं.
ये भी पढ़ें- एचईसी कर्मचारियों का प्रतिनिधिमंडल दिल्ली रवाना, जंतर मंतर पर करेगा धरना प्रदर्शन, 18 महीनों से नहीं मिला है वेतन
झामुमो की राज्यसभा सांसद महुआ माजी ने दिल्ली में कहा कि मदर इंडस्ट्री हमारी आंखों के सामने दम तोड़ रही है. प्लांट में अभी भी बेशुमार ताकत बची है लेकिन यहां काम करने वाले इंजीनियर और कर्मी पिछले कई माह से वेतन के अभाव में सड़क पर आ गये हैं. राज्यसभा सांसद महुआ माजी ने कहा कि एक दौर था जब एचईसी में काम करने वालों के बच्चे हर क्षेत्र में आगे बढ़ रहे थे. उनमें प्रतियोगिता की भावना थी. उनसे हम सभी प्रेरणा लेते थे. लेकिन आज उन्हीं कर्मियों के बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं. महुआ माजी ने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि दो-ढाई हजार कर्मियों की बात सुनें. इस प्लांट को बचाएं. इसी एचईसी के परिसर में स्मार्ट सिटी बनी है. सचिवालय बना है. एचईसी ने स्पेस रिसर्च के लिए कई उपकरण बनाए हैं. अगर केंद्र सरकार सहयोग करती है तो यह संस्थान फिर से पैरों पर खड़ा हो जाएगा.
20 माह से नहीं मिला है वेतन: एचईसी लेबर यूनियन के महामंत्री रामाशंकर ने बताया कि कर्मचारियों का करीब 17 माह और अधिकारियों को 20 माह से वेतन नहीं मिला है. खास बात है महज तीन हजार कर्मी और अधिकारी बचे हैं, जिन्हें केंद्र सरकार वेतन नहीं दे पा रही है. एचईसी में तीन प्लांट हैं जो फंक्शनल स्थिति में हैं. उन्होंने कहा कि 2014 के लोकसभा चुनाव के समय प्रभात तारा मैदान में प्रधानमंत्री उम्मीदवार की हैसियत से नरेंद्र मोदी ने कहा था कि विरोधियों की वजह से एचईसी का यह हाल हुआ है. लेकिन उनके सत्ता में आने के बाद भी एचईसी की हालत नहीं सुधारी गयी.
कैसे गुजारा कर रहे हैं एचईसी कर्मी: एचईसी कर्मियों को परिवार चलाना मुश्किल हो गया है. कोई पकौड़ा तल रहा है तो कोई इडली. कई लोग चाय बेच रहे हैं तो कोई मोमो. किसी ने छोटा-मोटा किराना का दुकान खोल लिया है. कोई भाड़े की गाड़ी चला रहा है. कई परिवारों की माली हालत ऐसी है कि उन्हें प्राइवेट स्कूलों से बच्चों का नाम कटवान पड़ा है.
देश को क्या-क्या दिया है एचईसी ने: देश को सशक्त बनाने में एचईसी ने ऐसे-ऐसे काम किए हैं, जिनकी कल्पना भी नहीं की जा सकती. चंद्रयान के लॉन्च पैड की खबर से तो सभी वाकिफ हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि अमेरिका, रूस और चीन के बाद सिर्फ भारत ही ऐसा देश है जो लॉन्चिंग पैड बनाता है. उस लॉन्चिंग पैड को बनाने की क्षमता सिर्फ एचईसी के पास है. इसके अलावा इस संस्थान ने अर्जुन टैंक का बैरल बनाने वाली मशीन बनाई है जिसको डिफेंस डीप होल बोरिंग मशीन भी कहते हैं.
इसरो के लिए 5 एक्सीस मशीन सिंगल कॉलम, 400 ईओटी क्रेन, 10 टी हैमर हेड टावर क्रेन, हॉरिजेंटल स्लाइडिंग डोर, फोल्डिंग कम वर्टिकल रिपोजिशनेबल प्लेटफॉर्म बनाया है. व्हील बोगी सिस्टम भी एचईसी की देन है जो सेटेलाइट को लॉन्चिंग स्पेस तक ले जाने में सहयोग करती है. यही नहीं चंद्रयान-1 और 2 के लिए बने प्लेटफॉर्म को ही चंद्रयान-3 के लिए इस्तेमाल किया गया. पिछले दिनों राजभवन के पास प्रदर्शन के दौरान एक कर्मी ने कहा था कि एचईसी ने आदित्य-एल-वन मिशन के लिए भी महत्वपूर्ण कंपोनेंट तैयार किया है.
नई दिल्ली के जंतर मंतर पर आयोजित महाधरना में रांची के पूर्व कांग्रेस सांसद सुबोधकांत सहाय, खिजरी से कांग्रेस विधायक राजेश कच्छप, आप पार्टी के संजय सिंह समेत जदयू, सीटू, एआईसीसीयीटू, सीपीआई-एमएल के अलावा कई पार्टी और संगठनों के नेता शामिल हुए हैं. सबसे खास बात है कि एचईसी का मसला अब राजनीतिक मुद्दा बनता जा रहा है. कई राजनीतिक दल इसके समर्थन में उतर आए हैं. पूर्व में रांची के भाजपा सांसद संजय सेठ ने भी इनकी समस्या को सुलझाने की कई बार कोशिश की लेकिन कुछ नहीं हुआ.