सिंगरौली : केंद्रीय कोयला, खान एवं संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी मंगलवार को मध्य प्रदेश के सिंगरौली दौरे पर रहे. इस दौरान उन्होंने नॉर्दर्न कोलफील्ड लिमिटेड का दौरा किया. इसके बाद केंद्रीय मंत्री ने NCL के अधिकारी, कर्मचारी और जिला प्रशासन के अन्य अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की, जिसमें कोयला संबंधित विषय पर चर्चा की गई. देश के पावर प्लांटों को एनसीएल द्वारा कोयला आपूर्ति हो सके इसपर भी विस्तार से मंथन किया गया.
बैठक में कोयला मंत्री ने दिए जरूरी निर्देश
निगाई परियोजना के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ खदान संचालन के बारे में चर्चा कर उत्पादन में तेजी लाने के निर्देश दिए. इसी क्रम में केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी ने जयंत ओसीपी का दौरा किया, जो एनसीएल की बड़ी कोयला खदानों में से एक है. उन्होंने खदान में संचालित गंगा ड्रैगलाइन और सरफेस माइनर का संचालन देखा, कोल फेस का निरीक्षण भी किया.
'कोयले की कमी पूरी की जा रही'
एनसीएल मुख्यालय में सीएमडी सहित अलग-अलग प्रोजेक्ट के जीएम के साथ कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी ने समीक्षा बैठक की. इसके बाद उन्होंने मीडिया से भी चर्चा की. इस दौरान उन्होंने कहा कि कोयले की कमी को लगातार पूरा किया जा रहा है, बिजली कंपनियों को जरूरत के हिसाब से कोयला उपलब्ध कराया जा रहा है. प्रहलाद जोशी ने स्वीकार किया कि कोयले की बढ़ती कीमत और आयात में रुकावट के चलते कुछ समस्याएं उत्पन्न हुईं थीं, लेकिन अब धीरे-धीरे उसे पूरा किया जा रहा है.
कोल इंडिया के पास 4 दिन का स्टॉक
केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी ने आगे कहा कि घरेलू कोयला से बिजली उत्पादन में 24% बढ़ोतरी हुई है, जबकि आयात में 30 प्रतिशत की कमी आई है. जिसके कारण यह समस्या उत्पन्न हुई है. हालांकि मंत्री ने बताया कि कोल इंडिया के पास 4 दिन के कोयले का स्टॉक है. बिजली घरों को कोल इंडिया से 2 मिलियन टन कोयला उपलब्ध कराया जा रहा है.
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सिंगरौली प्लांट में कोयले का पर्याप्त भंडार
सिंगरौली जिले में स्थापित एनटीपीसी में कोयले की पर्याप्त उपलब्धता है, कंपनी प्रबंधन का कहना है कि कोयला पर्याप्त मात्रा में है और आने वाले समय में भी कोयले की कमी नहीं होगी. सिंगरौली एनटीपीसी 4546 मेगावाट बिजली उत्पादन करती है, साथ ही सोलर के माध्यम से 15 मेगावाट व 8 मेगावाट हाइड्रो से बिजली का उत्पादन होता है, कंपनी प्रबंधन का कहना है कि सिंगरौली जिले में कोयले की कमी बिल्कुल भी नहीं है, कोयला हमारे यहां अभी तक पर्याप्त मात्रा में है और हमारी सभी यूनिटें पूर्ण रूप से चल रही हैं. सिंगरौली जिले में कोयले की कई खदानें हैं, यही वजह है कि सिंगरौली जिले में एनटीपीसी, एनसीएल, रिलायंस पावर प्लांट, हिंडालको, अडानी एसआर जैसी कई कंपनियां हैं और इन कंपनियों के कोयला खदान भी सिंगरौली में मौजूद हैं.
रोजाना 68000 मीट्रिक टन कोयले की खपत
मप्र के सभी सरकारी बिजली घरों की 16 इकाइयां पूरी क्षमता से चलती हैं तो रोजाना 68000 मीट्रिक टन से अधिक कोयले की आवश्यकता होती है, मौजूदा स्थिति में 7 इकाइयां बंद हैं. 9 इकाइयों में लगभग 43000 मीट्रिक टन कोयले की खपत हो रही है. पिछले शनिवार को 49 हजार मीट्रिक टन कोयले की खपत हुई थी, जबकि आपूर्ति 43000 मीट्रिक टन ही हुई थी. वह भी तब जब सिंगाजी पॉवर प्लांट को एकसाथ 7 रैक कोयला मिला. फिलहाल मप्र पॉवर जनरेटिंग कंपनी के पास 2 लाख 27 हजार 400 मीट्रिक टन कोयल स्टॉक है.