हैदराबाद : रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के डिप्टी गवर्नर टी. रबी शंकर ने हाल ही में बताया कि आरबीआई (RBI) चरणबद्ध तरीके से भारत में सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) लॉन्च करेगा. यह करेंसी रिटेल और होलसेल दो तरीके से उपलब्ध होगी. रिटेल डिजिटल करेंसी का उपयोग आम जनता और कंपनियां करेंगी जबकि होलसेल डिजिटल करेंसी का इस्तेमाल वित्तीय संस्थाओं द्वारा किया जाएगा.
विश्व के 81 देश सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) जारी करने पर काम कर रहे हैं. यानी ग्लोबल जीडीपी का 90 प्रतिशत हिस्सेदारी करने वाले देश सीबीडीसी में रुचि ले रहे हैं. भारत दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश है. वैश्विक बाजार में लेन-देन के लिए भारत को भी डिजिटल करेंसी का रुख करना होगा.
- चीन और दक्षिण कोरिया समेत 14 देशों ने सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) का परीक्षण किया है. 16 देश ऐसी मुद्राएं विकसित करने की ओर आगे बढ़ चुके हैं जबकि 32 देशों में रिसर्च लास्ट फेज में है.
- इक्वाडोर, ट्यूनीशिया, सेनेगल, स्वीडन, एस्टोनिया, चीन, रूस, इंग्लैंड, जापान, वेनेजुएला और इज़राइल सहित डिजिटल मुद्राओं को लॉन्च किया है या लॉन्च करने जा रहे हैं. चीन इस रेस में आगे है. वह सीबीडीसी का पायलट परीक्षण कर चुका है. चीन 2022 में प्रस्तावित शीतकालीन ओलंपिक में डिजिटल युआन को पेश करने की योजना बना रहा है.
- संयुक्त राज्य अमेरिका डिजिटल डॉलर और यूरोप को डिजिटल यूरो पर विचार कर रहा है . रूस एक प्रोटोटाइप डिजिटल रूबल बनाने के लिए तैयार है.
क्या है सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (Digital currency) ? : डिजिटल करेंसी को देश का सेंट्रल बैंक जारी करता है, जिसे उस देश की सरकार की मान्यता इसे हासिल होती है. डिजिटल करेंसी भी सरकार द्वारा सोने, मुद्रा भंडार, बांड और अन्य परिसंपत्तियों के रूप में समर्थित है. जो कागज के नोट छापने के नियम हैं, वह सभी इस पर लागू होते हैं. यह उस देश की केंद्रीय बैंक की बैलेंसशीट (Balance Sheet) में भी शामिल होती है यानी पाई-पाई का हिसाब रिजर्व बैंक और सरकार के खाते में दर्ज होता है. इसकी खासियत यह है कि इसे देश की सॉवरेन करेंसी में बदला जा सकता है.
आसान भाषा में कहें तो डिजिटल करेंसी, आज के बैंकनोट के बराबर है लेकिन इलेक्ट्रॉनिक रूप में है. इसे बैंक या एटीएम से नकद (कागज के रूप में) निकाला नहीं जा सकता है. मगर आप किसी से 100 रुपये का कागज वाले नोट के बदले उतने ही मूल्य का ई-रुपया ले सकते हैं.
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया डिजिटल करेंसी के संचालन के तौर-तरीकों पर विचार कर रहा है. इस कारण अभी इस विषय पर स्पष्ट जानकारी नहीं मिल पा रही है. मसलन, क्या रिजर्व बैंक डिजिटल मनी या ई-रुपैया का इस्तेमाल करने वालों का अकाउंट खोलेगा या बैंकों की इसमें भूमिका रहेगी. अगर लोग सीधा रिजर्व बैंक के जरिये लेन-देन करेंगे तो बैंकों अपना कारोबार कैसे करेंगे? इससे बैंक मार्जिन प्रभावित होगी. एक्सपर्ट मानते हैं कि ऐसी हालत में बैंकों को ऊंचे ब्याज दर के अलावा अन्य सेवाओं में फैसिलिटी देनी होगी.
सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी ब्लॉकचेन तकनीक के सहारे काम करती है. सीबीडीसी को शुरू करने से पहले इस तकनीक की जांच करनी होगी. यह तय करना होगा कि इस पूरे सिस्टम पर सेंट्रल बैंक का पूर्ण नियंत्रण रहे. इसके अलावा भारत सरकार को कानूनी ढांचे में बदलाव करना होगा. मुद्रा अधिनियम, विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) में संशोधन करना होगा.
डिजिटल करेंसी से फायदा क्या होगा : अभी कागज वाले नोट को छिपाया जा सकता है. अभी आप यह नोट किसे दे रहे हैं, इसका पता रिजर्व बैंक या सरकार को नहीं होता है. सीबीडीसी का उपयोग बढ़ने के बाद रुपये का भुगतान और ट्रांसफर रेकॉर्ड रखना आसान हो जाएगा. यह भी पता चल जाएगा कि आपके पास रकम किस सोर्स से आ रही है, जिससे धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में काफी कमी आएगी. आपका वॉलेट गुम हो जाएगा, फिर भी आपके ई-रुपये सही-सलामत रहेंगे. कोई चोर आपके अकाउंट में सेंध नहीं लगा पाएगा. डिजिटल करेंसी न पानी में गलेगी और न फटेगी.
अगर आप अब भी डिजिटल करेंसी और क्रिप्टोकरेंसी को एक मान रहे हैं तो अंतर जान लें.
1. बिटकॉइन और ईथर जैसी क्रिप्टो करेंसी एक सार्वजनिक संपत्ति है जिसको किसी राष्ट्र की मान्यता नहीं है या कोई मालिक नहीं है.
डिजिटल करेंसी को उस देश की सरकार की मान्यता हासिल होती है, जिस देश का केंद्रीय बैंक इसे जारी करता है. यानी यह पक्की करेंसी है.
2. क्रिप्टोकरेंसी को देश की करेंसी में नहीं बदल सकते हैं, क्योंकि यह एक वर्चुअल करेंसी है.
डिजिटल करेंसी को आप हरे-हरे नोट यानी उस देश की करेंसी में बदल सकते हैं.
3. क्रिप्टोकरेंसी की कीमत में बहुत उतार-चढ़ाव होता है, जैसे बिटकॉइन की कीमत रोज बदलती है.
डिजिटल करेंसी की स्थिर होती है, बिल्कुल करारे नोट तरह. दस रुपया हमेशा 10 का ही रहेगा.
डिजिटल करेंसी लाने से पहले क्रिप्टो करेंसी पर लगाम लगाने की तैयारी
भारत में डिजिटल करेंसी लाने से पहले लोगों को इस बारे में एजुकेट करना होगा. चूंकि इस सिस्टम में इंटरनेट का उपयोग होगा, इसलिए डिजिटल सिक्युरिटी के बारे में भी लोगों को बताना होगा. फिलहाल भारत सरकार और रिजर्व बैंक क्रिप्टोकरेंसी की खरीद-बिक्री पर लगाम लगाने की तैयारी कर रही है ताकि डिजिटल करेंसी को सही तरीके से लॉन्च किया जा सके और बाजार में इसकी प्रमाणिकता बनी रहे. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, देश में 70 लाख भारतीयों के पास करीब एक अरब डॉलर मूल्य की क्रिप्टोकरेंसी है. पिछले साल 2020 के मुकाबले इसमें सात गुना उछाल आया है.
सरकार संसद में डिजिटल करेंसी बिल 2021 लाने की योजना बना रही है, जिसके जरिये भारत में क्रिप्टोकरेंसी में कामकाज से रोका जा सकेगा. स्टॉक एक्सचेंज, आम जनता, कारोबारी और अन्य वित्तीय संस्थान को क्रिप्टोकरेंसी से लेनदेन की इजाजत नहीं दी जाएगी और नियमों का उल्लंघन करने पर व्यक्तियों और कारपोरेट संस्थानों पर जुर्माना लगाया जाएगा. रिजर्व बैंक ने 2018 में क्रिप्टोकरेंसी (cryptocurrency) की लेनदेन पर रोक लगा दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने 4 मार्च, 2020 को यह पाबंदी हटा दी थी. संसद में कानून बनने पर क्रिप्टो करेंसी का कारोबार बंद होगा और रिजर्व बैंक की डिजिटल करेंसी को मजबूती मिलेगी.