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केंद्र सरकार के कृषि अध्यादेश के खिलाफ किसानों का हल्ला बोल

कृषि अध्यादेश के विरोध में प्रदर्शनों का दौर देश भर में लगातार जारी है. आज दिल्ली में जहां एक ओर संसद के मॉनसून सत्र का तीसरा दिन है तो दूसरी तरफ जंतर मंतर पर राष्ट्रीय किसान महासंघ के नेता और कार्यकर्ता विरोध प्रदर्शन करने पहुंचे.

किसानों का विरोध प्रदर्शन
किसानों का विरोध प्रदर्शन
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Published : Sep 16, 2020, 9:28 AM IST

Updated : Sep 17, 2020, 7:14 AM IST

नई दिल्ली : कृषि अध्यादेश के विरोध में प्रदर्शनों का दौर देश भर में जारी है. आज दिल्ली में जहां एक ओर संसद के मानसून सत्र का तीसरा दिन है तो दूसरी तरफ जंतर-मंतर पर राष्ट्रीय किसान महासंघ के नेता और कार्यकर्ता विरोध प्रदर्शन करने पहुंचे. कोरोना संक्रमण के खतरे के बीच किसी भी बड़े प्रदर्शन की अनुमति नहीं है, लिहाजा 108 से ज्यादा किसान संगठनों का प्रतिनिधित्व कर रहे राष्ट्रीय किसान महासंघ का एक छोटा प्रतिनिधिमंडल ही राष्ट्रीय अध्यक्ष शिव कुमार शर्मा के नेतृत्व में जंतर-मंतर पहुंचा था. हालांकि पुलिस ने उन्हें यहां भी धरना प्रदर्शन की अनुमति नहीं दी और दस मिनट के भीतर ही सभी प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया गया.


कृषि अध्यादेशों पर विपक्ष के विरोध का सामना कर रही मोदी सरकार के सामने देश भर के किसान संगठन भी खड़े हो गए हैं. हालांकि सरकार लगातार यह समझाने की कोशिश कर रही है कि ये तीन अध्यादेश कृषि क्षेत्र और किसानों के लिये हितकर हैं. कुछ जानकारों ने भी कहा है कि किसानों को इसे समझने की आवश्यकता है लेकिन इन सब के बावजूद सरकार किसान संगठनों के बीच विश्वास नहीं बना पा रही है. राष्ट्रीय किसान महासंघ एक सौ से ज्यादा किसान यूनियनों का समूह है जिसमें देश के लगभग सभी राज्यों से किसान जुड़े हुए हैं.

किसानों का विरोध प्रदर्शन

शिवकुमार शर्मा की प्रतिक्रिया
ईटीवी भारत से विशेष बातचीत करते हुए किसान मजदूर महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवकुमार शर्मा 'कक्काजी' ने कहा कि सरकार कुछ भी कहे लेकिन यह तीनो बिल सीधे कृषि को प्राइवेट कंपनियों के हाथ में देने की तैयारी है. अगर यह किसान के लिए इतने ही लाभप्रद साबित होंगे तो इन अध्यादेशों को लाने से पहले किसानों से बातचीत क्यों नहीं की गई. किसान संगठनों के साथ सरकार को चर्चा करनी चाहिए थी और यह स्पष्ट करना चाहिए था कि इसमें किसानों के साथ कुछ गलत नहीं होगा. इसके लिए कौन-कौन से प्रावधान हैं.

किसानों का विरोध

एमएसपी की व्यवस्था पर बोलते हुए शिव कुमार ने कहा कि पहले ही देश में किसानों को तय एमएसपी के हिसाब से फसल का दाम नहीं मिलता था. इन कानून के बाद सरकार एमएसपी को ही खत्म करने वाली है.

किसान नेता ने आगे कहा कि संभव है मोदी सरकार के पास संख्या बल है और वह इन बिलों को सदन में पास करवा कर कानून बनाने में सफल रहेंगे, लेकिन देश के किसानों ने तीनों बिलों को पहले ही नकार दिया है और अब संसद से भले ही यह पास हो कर आ जाएं, लेकिन सड़क पर किसान इनको फेल कर देंगे.

प्रस्तावित विधेयक में अधिसूचित कृषि मंडियों के बाहर कृषि उत्पादों को बिना किसी बाधा बेचने का प्रावधान है और किसानों को कृषि उत्पादन और बिक्री के लिए निजी संस्थाओं से समझौता करने के लिए सशक्त किया गया है.

नई दिल्ली स्थित ओखला सब्जी मंडी में प्याज विक्रेताओं का कहना है कि प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के केंद्र सरकार के फैसले से इसकी कीमतें प्रभावित होंगी. एक विक्रेता, मोहम्मद जकारिया कहते हैं, 'यह आने वाले दिनों में प्याज की कीमत में बदलाव लाएगा. एक या दो दिनों में दरें कम से कम 2-3 रुपये प्रति किलोग्राम तक गिर जाएंगी.'

पंजाब में भी विरोध

वहीं दूसरी तरफ कृषि से जुड़े तीन विधेयकों को 'किसान विरोधी' बता प्रदर्शन कर रहे किसानों ने पंजाब के विभिन्न स्थानों पर करीब दो घंटे तक राजमार्ग और अन्य अहम सड़कें बाधित की जिससे आम यात्रियों को परेशानी हुई क्योंकि प्रशासन ने यातायात का मार्ग परिवर्तित किया था.

किसानों ने अपना विरोध तेज कर दिया है. उनका कहना है कि विधेयक को वापस लेने की मांग के प्रति केंद्र सरकार के उदासीन रवैये की वजह से उन्हें सड़कों पर उतरना पड़ा है. विधेयक के खिलाफ कई किसान संगठनों ने पंजाब में रास्ता रोको आंदोलन का आह्वान किया है.

भारतीय किसान यूनियन (लखोवाल गुट) के महासचिव हरिंदर सिंह लखोवाल ने कहा, 'संसद में जो भी सांसद कृषि विधेयकों का समर्थन करेगा उन्हें गांव में प्रवेश करने नहीं दिया जएगा और हम उन्हें सबक सिखाएंगे.' उन्होंने विधेयकों को कोरोना वायरस से भी खराब करार देते हुए कहा कि अगर यह लागू होता है तो किसानों, आढ़तियों और खेतीहर मजदूरों पर नकारात्मक असर पड़ेगा.

संसद परिसर में विरोध प्रदर्शन के बारे में भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी ने बताया कि किसानों के विरोध के बाद भी केंद्र सरकार कृषि अध्यादेशों को लाना चाहती है, लेकिन किसान भी पीछे हटने वाला नहीं है. उन्होंने बताया कि हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के किसान कृषि क्षेत्र से जुड़े 3 विधेयकों के विरोध में आज संसद के बाहर धरना प्रदर्शन करेंगे.

सिर्फ किसान संगठन ही नहीं बल्कि केंद्र में सरकार के सहयोगी भी इसके विरोध में खड़े हो गए हैं. बताया जा रहा है कि पंजाब में बीजेपी की पुरानी सहयोगी शिरोमणि अकाली दल अध्यादेश से खुश नहीं है. दो दिन पहले सुखबीर बादल ने हरियाणा के उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला से दिल्ली में मुलाकात की थी. सूत्रों के मुताबिक अकाली दल ने जेजेपी से कृषि अध्यादेशों पर समर्थन मांगा था.

राष्ट्रीय राजमार्ग बाधित
भारतीय किसान यूनियन (एकता उग्रहण) के बैनर तले किसानों ने मंगलवार को मुक्तसर के बादल गांव और पटियाला में प्रदर्शन किया. उन्होंने फगवड़ा में फगवाड़ा-होशियारपुर चीनी मिल क्रासिंग एवं फगवाड़ा-नकोदर रोड क्रॉसिंग पर दो घंटे तक राष्ट्रीय राजमार्ग को बाधित रखा.

पढ़ें :- जानें उन तीन कृषि अध्यादेशों के बारे में, जिनके विरोध में उतरे किसान

भारतीय किसान यूनियन (दोआबा) के अध्यक्ष मंजीत सिंह ने भी किसानों के साथ प्रदर्शन किया और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की एवं विधेयक वापस लेने की मांग की. होशियारपुर में किसान मजदूर संघर्ष समिति के बैनर तले किसानों ने प्रदर्शन किया और जालंधर-पठानकोट जीटी रोड को भांगला के पास बाधित कर दिया.

टांडा पुलिस ने सड़क बाधित करने के लिए किसान मजदूर संघर्ष समिति के बैनर तले प्रदर्शन कर रहे किसानों के खिलाफ मामला दर्ज किया.

नई दिल्ली : कृषि अध्यादेश के विरोध में प्रदर्शनों का दौर देश भर में जारी है. आज दिल्ली में जहां एक ओर संसद के मानसून सत्र का तीसरा दिन है तो दूसरी तरफ जंतर-मंतर पर राष्ट्रीय किसान महासंघ के नेता और कार्यकर्ता विरोध प्रदर्शन करने पहुंचे. कोरोना संक्रमण के खतरे के बीच किसी भी बड़े प्रदर्शन की अनुमति नहीं है, लिहाजा 108 से ज्यादा किसान संगठनों का प्रतिनिधित्व कर रहे राष्ट्रीय किसान महासंघ का एक छोटा प्रतिनिधिमंडल ही राष्ट्रीय अध्यक्ष शिव कुमार शर्मा के नेतृत्व में जंतर-मंतर पहुंचा था. हालांकि पुलिस ने उन्हें यहां भी धरना प्रदर्शन की अनुमति नहीं दी और दस मिनट के भीतर ही सभी प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया गया.


कृषि अध्यादेशों पर विपक्ष के विरोध का सामना कर रही मोदी सरकार के सामने देश भर के किसान संगठन भी खड़े हो गए हैं. हालांकि सरकार लगातार यह समझाने की कोशिश कर रही है कि ये तीन अध्यादेश कृषि क्षेत्र और किसानों के लिये हितकर हैं. कुछ जानकारों ने भी कहा है कि किसानों को इसे समझने की आवश्यकता है लेकिन इन सब के बावजूद सरकार किसान संगठनों के बीच विश्वास नहीं बना पा रही है. राष्ट्रीय किसान महासंघ एक सौ से ज्यादा किसान यूनियनों का समूह है जिसमें देश के लगभग सभी राज्यों से किसान जुड़े हुए हैं.

किसानों का विरोध प्रदर्शन

शिवकुमार शर्मा की प्रतिक्रिया
ईटीवी भारत से विशेष बातचीत करते हुए किसान मजदूर महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवकुमार शर्मा 'कक्काजी' ने कहा कि सरकार कुछ भी कहे लेकिन यह तीनो बिल सीधे कृषि को प्राइवेट कंपनियों के हाथ में देने की तैयारी है. अगर यह किसान के लिए इतने ही लाभप्रद साबित होंगे तो इन अध्यादेशों को लाने से पहले किसानों से बातचीत क्यों नहीं की गई. किसान संगठनों के साथ सरकार को चर्चा करनी चाहिए थी और यह स्पष्ट करना चाहिए था कि इसमें किसानों के साथ कुछ गलत नहीं होगा. इसके लिए कौन-कौन से प्रावधान हैं.

किसानों का विरोध

एमएसपी की व्यवस्था पर बोलते हुए शिव कुमार ने कहा कि पहले ही देश में किसानों को तय एमएसपी के हिसाब से फसल का दाम नहीं मिलता था. इन कानून के बाद सरकार एमएसपी को ही खत्म करने वाली है.

किसान नेता ने आगे कहा कि संभव है मोदी सरकार के पास संख्या बल है और वह इन बिलों को सदन में पास करवा कर कानून बनाने में सफल रहेंगे, लेकिन देश के किसानों ने तीनों बिलों को पहले ही नकार दिया है और अब संसद से भले ही यह पास हो कर आ जाएं, लेकिन सड़क पर किसान इनको फेल कर देंगे.

प्रस्तावित विधेयक में अधिसूचित कृषि मंडियों के बाहर कृषि उत्पादों को बिना किसी बाधा बेचने का प्रावधान है और किसानों को कृषि उत्पादन और बिक्री के लिए निजी संस्थाओं से समझौता करने के लिए सशक्त किया गया है.

नई दिल्ली स्थित ओखला सब्जी मंडी में प्याज विक्रेताओं का कहना है कि प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के केंद्र सरकार के फैसले से इसकी कीमतें प्रभावित होंगी. एक विक्रेता, मोहम्मद जकारिया कहते हैं, 'यह आने वाले दिनों में प्याज की कीमत में बदलाव लाएगा. एक या दो दिनों में दरें कम से कम 2-3 रुपये प्रति किलोग्राम तक गिर जाएंगी.'

पंजाब में भी विरोध

वहीं दूसरी तरफ कृषि से जुड़े तीन विधेयकों को 'किसान विरोधी' बता प्रदर्शन कर रहे किसानों ने पंजाब के विभिन्न स्थानों पर करीब दो घंटे तक राजमार्ग और अन्य अहम सड़कें बाधित की जिससे आम यात्रियों को परेशानी हुई क्योंकि प्रशासन ने यातायात का मार्ग परिवर्तित किया था.

किसानों ने अपना विरोध तेज कर दिया है. उनका कहना है कि विधेयक को वापस लेने की मांग के प्रति केंद्र सरकार के उदासीन रवैये की वजह से उन्हें सड़कों पर उतरना पड़ा है. विधेयक के खिलाफ कई किसान संगठनों ने पंजाब में रास्ता रोको आंदोलन का आह्वान किया है.

भारतीय किसान यूनियन (लखोवाल गुट) के महासचिव हरिंदर सिंह लखोवाल ने कहा, 'संसद में जो भी सांसद कृषि विधेयकों का समर्थन करेगा उन्हें गांव में प्रवेश करने नहीं दिया जएगा और हम उन्हें सबक सिखाएंगे.' उन्होंने विधेयकों को कोरोना वायरस से भी खराब करार देते हुए कहा कि अगर यह लागू होता है तो किसानों, आढ़तियों और खेतीहर मजदूरों पर नकारात्मक असर पड़ेगा.

संसद परिसर में विरोध प्रदर्शन के बारे में भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी ने बताया कि किसानों के विरोध के बाद भी केंद्र सरकार कृषि अध्यादेशों को लाना चाहती है, लेकिन किसान भी पीछे हटने वाला नहीं है. उन्होंने बताया कि हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के किसान कृषि क्षेत्र से जुड़े 3 विधेयकों के विरोध में आज संसद के बाहर धरना प्रदर्शन करेंगे.

सिर्फ किसान संगठन ही नहीं बल्कि केंद्र में सरकार के सहयोगी भी इसके विरोध में खड़े हो गए हैं. बताया जा रहा है कि पंजाब में बीजेपी की पुरानी सहयोगी शिरोमणि अकाली दल अध्यादेश से खुश नहीं है. दो दिन पहले सुखबीर बादल ने हरियाणा के उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला से दिल्ली में मुलाकात की थी. सूत्रों के मुताबिक अकाली दल ने जेजेपी से कृषि अध्यादेशों पर समर्थन मांगा था.

राष्ट्रीय राजमार्ग बाधित
भारतीय किसान यूनियन (एकता उग्रहण) के बैनर तले किसानों ने मंगलवार को मुक्तसर के बादल गांव और पटियाला में प्रदर्शन किया. उन्होंने फगवड़ा में फगवाड़ा-होशियारपुर चीनी मिल क्रासिंग एवं फगवाड़ा-नकोदर रोड क्रॉसिंग पर दो घंटे तक राष्ट्रीय राजमार्ग को बाधित रखा.

पढ़ें :- जानें उन तीन कृषि अध्यादेशों के बारे में, जिनके विरोध में उतरे किसान

भारतीय किसान यूनियन (दोआबा) के अध्यक्ष मंजीत सिंह ने भी किसानों के साथ प्रदर्शन किया और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की एवं विधेयक वापस लेने की मांग की. होशियारपुर में किसान मजदूर संघर्ष समिति के बैनर तले किसानों ने प्रदर्शन किया और जालंधर-पठानकोट जीटी रोड को भांगला के पास बाधित कर दिया.

टांडा पुलिस ने सड़क बाधित करने के लिए किसान मजदूर संघर्ष समिति के बैनर तले प्रदर्शन कर रहे किसानों के खिलाफ मामला दर्ज किया.

Last Updated : Sep 17, 2020, 7:14 AM IST
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