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CBSE 10वीं और 12वीं की परीक्षा फीस बढ़ोतरी के खिलाफ याचिका पर सुनवाई आज

सीबीएसई की तरफ से दसवीं और बारहवीं की परीक्षा फीस में बढ़ोतरी के खिलाफ याचिका पर आज दिल्ली हाई कोर्ट सुनवाई करेगा. यह याचिका पेरेंट्स फोरम फॉर मिनिंगफुल एजुकेशन नामक एनजीओ ने दायर किया है.

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Published : Dec 7, 2020, 11:02 AM IST

नई दिल्ली : दिल्ली हाई कोर्ट आज सीबीएसई की ओर से दसवीं और बारहवीं की परीक्षा फीस में बढ़ोतरी के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करेगा. चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच इस मामले पर सुनवाई करेगी.

स्थायी हल निकालने की मांग
पहले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सीबीएसई को नोटिस जारी किया था. याचिका पैरेंट्स फोरम फॉर मिनिंगफुल एजुकेशन नामक एनजीओ ने दायर किया है. याचिकाकर्ता की ओर से वकील पीएस शारदा और क्षितिज शारदा ने कहा कि सीबीएसई ने 2014-15 और 2017-18 के मुकाबले 2019-20 के लिए दसवीं और बारहवीं की परीक्षा फीस कई गुना बढ़ा दिया है. याचिका में कहा गया है कि सीबीएसई को फीस बढ़ाने का स्थायी हल निकालने का आदेश दिया जाए.

एम्पावर्ड कमेटी का हो गठन

याचिका में कहा गया है कि सीबीएसई की बोर्ड परीक्षाओं के लिए फीस निर्धारित करने के लिए एक एम्पावर्ड कमेटी का गठन किया जाए. कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर फीस के निर्धारण की प्रक्रिया तय की जाए. याचिका में कहा गया है कि शिक्षा बच्चों का संवैधानिक अधिकार है. इसके लिए परीक्षा का आयोजन भी छात्रों के हितों के ध्यान में रखकर किया जाना चाहिए. ऐसे फैसले नहीं लिए जाने चाहिए जिससे छात्रों के हित टकराएं. याचिका में कहा गया है कि दिल्ली सरकार छात्रों की समस्याओं का निराकरण करने में असफल रही है.

गरीब छात्र परीक्षा नहीं दे पाएंगे

याचिका में कहा गया है कि दसवीं और बारहवीं के फीस कई गुणा बढ़ना आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को सीधे-तौर पर प्रभावित करेगा. कई छात्र फीस नहीं दे पाने की वजह से परीक्षा देने से वंचित हो जाएंगे इसलिए दसवीं और बारहवीं की परीक्षा फीस के निर्धारण के लिए एक स्थायी मेकानिज्म बनाया जाए.

नई दिल्ली : दिल्ली हाई कोर्ट आज सीबीएसई की ओर से दसवीं और बारहवीं की परीक्षा फीस में बढ़ोतरी के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करेगा. चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच इस मामले पर सुनवाई करेगी.

स्थायी हल निकालने की मांग
पहले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सीबीएसई को नोटिस जारी किया था. याचिका पैरेंट्स फोरम फॉर मिनिंगफुल एजुकेशन नामक एनजीओ ने दायर किया है. याचिकाकर्ता की ओर से वकील पीएस शारदा और क्षितिज शारदा ने कहा कि सीबीएसई ने 2014-15 और 2017-18 के मुकाबले 2019-20 के लिए दसवीं और बारहवीं की परीक्षा फीस कई गुना बढ़ा दिया है. याचिका में कहा गया है कि सीबीएसई को फीस बढ़ाने का स्थायी हल निकालने का आदेश दिया जाए.

एम्पावर्ड कमेटी का हो गठन

याचिका में कहा गया है कि सीबीएसई की बोर्ड परीक्षाओं के लिए फीस निर्धारित करने के लिए एक एम्पावर्ड कमेटी का गठन किया जाए. कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर फीस के निर्धारण की प्रक्रिया तय की जाए. याचिका में कहा गया है कि शिक्षा बच्चों का संवैधानिक अधिकार है. इसके लिए परीक्षा का आयोजन भी छात्रों के हितों के ध्यान में रखकर किया जाना चाहिए. ऐसे फैसले नहीं लिए जाने चाहिए जिससे छात्रों के हित टकराएं. याचिका में कहा गया है कि दिल्ली सरकार छात्रों की समस्याओं का निराकरण करने में असफल रही है.

गरीब छात्र परीक्षा नहीं दे पाएंगे

याचिका में कहा गया है कि दसवीं और बारहवीं के फीस कई गुणा बढ़ना आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को सीधे-तौर पर प्रभावित करेगा. कई छात्र फीस नहीं दे पाने की वजह से परीक्षा देने से वंचित हो जाएंगे इसलिए दसवीं और बारहवीं की परीक्षा फीस के निर्धारण के लिए एक स्थायी मेकानिज्म बनाया जाए.

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