स्कूलों में नहीं बच्चों का आधार तो कैसे होगा सपना साकार! - कुल्लू के सरकारी स्कूलों पर विशेष स्टोरी
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कुल्लू: कहने को तो प्रदेश शिक्षा का हब है और केन्द्र सरकार द्वारा 'स्कूल चले हम' का नारा दिया जा रहा है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और बयां कर रही है. आलम ये है कि सरकार के पास स्कूलों में पर्याप्त शिक्षक नहीं हैं, जिससे इतिहास और विज्ञान पढ़ने वाले बच्चों की जिज्ञासा अधर में अटक गई है और उनके परिजनों को उनका भविष्य अंधकार में जाते हुए दिख रहा है.