जल्द घर आने की बात करके गया था शहीद पवन कुमार, लेकिन तिरंगे में लिपटकर गांव पहुंचा
रामपुर: पवन कुमार धंगल इन्हीं शहीदों में में अपना नाम दर्ज करवा गए. पवन कुमार धंगल की पार्थिव देह जैसे ही रामपुर पहुंची तो पूरा क्षेत्र भारत माता की जय के नारों से गूंज उठा. हर आंख नम थी. क्या बच्चे, क्या बूढ़े, क्या जवान सबकी जुबान पर एक ही नारा था... शहीद पवन कुमार धंगल अमर रहे. बता दें कि जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में आतंकी मुठभेड़ के दौरान पवन कुमार धंगल घायल हो गए थे. सुरक्षाबलों ने कश्मीरी पंडित संजय कुमार की हत्या में शामिल आतंकवादियों को घेर रखा था. इसी स्पेशल ऑपरेशन के दौरान पवन धंगल को गोली लग गई. जहां वे अस्पताल में अपनी जिंदगी की जंग हार गए. शहीद पवन कुमार जिला शिमला के रामपुर उपमंडल के रहने वाले थे. पवन कुमार का पैतृक गांव पिथ्वी है, जहां उनका राजकीय सम्मान के साथ आज अंतिम संस्कार किया गया. इस दौरान शहीद पवन कुमार धंगल के पिता का रो रोकर बुरा हाल था... उन्होंने अपना दिल का टुकड़ा खो दिया हो लेकिन लोगों से यही अपील करते नजर आए कि अपने बच्चों को फौज में जरूर भेजें...बता दें कि इसी साल जनवरी में पवन के चचेरे भाई की मौत हो गई थी. इस दौरान वह छुट्टी पर घर आया था. 7 फरवरी को ही पवन ड्यूटी के लिए वापस लौटा था. इस दौरान उसने जल्द छुट्टी पर आने की बात कही थी, लेकिन उसे क्या पता था कि अब वह कभी घर वापस नहीं लौटेगा. पवन का पार्थिव शरीर अब अंतिम बार तिरंगे में लिपटकर गांव पहुंचेगा.