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कांग्रेस पर भड़के पंचायती राज मंत्री वीरेंद्र कंवर, बोले- लोगों को बरगलाने का काम कर रहा विपक्ष - बीजेपी

मंत्री विरेंद्र कंवर ने कहा कि पंचायती राज विभाग की ओर से बीपीएल परिवारों को सूची से हटाने का कोई निर्णय नहीं लिया गया है और न ही ग्राम पंचायतों को बीपीएल मुक्त करने के आदेश जारी किए गए हैं.

Virendra kanwar attack
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Published : Jul 25, 2019, 7:50 AM IST

ऊना: प्रदेश में बीपीएल परिवार का मामला तूल पकड़ते जा रहा है और इस कड़ी में पंचायती राज मंत्री वीरेंद्र कंवर ने विपक्ष पर जमकर पलटवार किया है. वीरेंद्र कंवर ने कहा कि बीपीएल परिवारों को हटाने का कोई निर्णय नहीं लिया गया. उन्होंने कहा कि विपक्ष भ्रामक प्रचार कर लोगों को बरगलाने का काम कर रहा है. पंचायती राज विभाग की ओर से बीपीएल परिवारों को सूची से हटाने का कोई निर्णय नहीं लिया गया है और न ही ग्राम पंचायतों को बीपीएल मुक्त करने के आदेश जारी किए गए हैं.

पंचायती राज मंत्री वीरेंद्र कंवर ने कहा मीडिया में प्रकाशित खबरों का खंडन करते हुए कहा कि विपक्ष यह भ्रामक प्रचार जनहित के कार्यों से बौखलाकर कर रहा है. उन्होंने स्पष्ट किया कि ग्रामीण विकास मंत्रालय केंद्र सरकार द्वारा 10वीं पंचवर्षीय योजना के लिए गरीबी की रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों के चयन के दिशा-निर्देश वर्ष 2002 में सभी राज्य सरकारों को जारी किए गए थे. सर्वे के आधार पर हिमाचल प्रदेश के बीपीएल परिवारों की अधिकतम संख्या 2,82,370 निर्धारित की गई थी.

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केंद्र सरकार की ओर से जारी फरवरी 2006 के निर्देशों में स्पष्ट किया गया था कि बीपीएल सूची में अपात्र परिवारों को हटाने के लिए बीपीएल सूचियों की समीक्षा संबंधित ग्राम सभा द्वारा वर्ष में केवल एक बार की जा सकेगी. इन दिशा-निर्देशों की अनुपालना में प्रदेश में बीपीएल सूचियों की समीक्षा ग्राम पंचायतों द्वारा समय-समय पर की जाती रही है.

प्रदेश स्तर पर विशेष अभियान के तौर पर बीपीएल सूचियों की प्रथम समीक्षा 6 अप्रैल 2008 की ग्राम सभा बैठकों में की गई थी, जिसमें 15,659 अपात्र परिवारों को बीपीएल सूची से हटाया गया और उनके स्थान पर 15,331 पात्र परिवारों को सूची में शामिल किया गया.

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दूसरी समीक्षा 3 अप्रैल 2011 की ग्राम सभा बैठकों में की गई, जिसमें 31,209 अपात्र परिवारों को सूची से हटाया गया और 30, 830 पात्र परिवार बीपीएल सूची में शामिल किए गए. तीसरी समीक्षा 7 अप्रैल 2013 की ग्राम सभा बैठकों में की गई, जिसमें 31,311 अपात्र परिवार हटाए गए तथा 30,970 पात्र परिवारों को बीपीएल सूची में शामिल किया गया. मई 2017 में विभाग ने विशेष अभियान चलाया था, जिसमें 8,699 अपात्र परिवारों को बीपीएल सूची से बाहर कर दिया गया.

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इसके बाद फरवरी 2018 से अप्रैल 2018 की अवधि में वर्तमान सरकार के प्रथम 100 दिवसीय कार्यक्रम के तहत एक विशेष अभियान चलाया गया, जिसमें ग्राम सभाओं के अनुमोदन के पश्चात 38,143 अपात्र परिवार बीपीएल से बाहर किए गए और उनके स्थान पर 32,176 पात्र परिवारों को सूची में डाला गया. इसी अभियान के दौरान प्रदेश की 36 ग्राम पंचायतों ने स्वेच्छा से अपनी-अपनी ग्राम पंचायतों को बीपीएल मुक्त घोषित किया था. यह निर्णय इन ग्राम पंचायतों ने पात्र बीपीएल परिवार के न मिलने के कारण ग्राम सभा की मंजूरी के बाद स्वयं को बीपीएल मुक्त घोषित किया है.

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मंत्री वीरेंद्र कंवर ने कहा कि सरकार ने यह निर्णय लिया गया है कि बीपीएल सूचियों की समीक्षा हर वर्ष अप्रैल माह में होने वाली ग्राम सभा की बैठक में की जाए लेकिन अप्रैल 2019 में ग्राम सभा की बैठकें सामान्य चुनाव के लिए लागू आदर्श आचार संहिता के कारण नहीं हो पाई, जिसके कारण बीपीएल सूचियों की समीक्षा जुलाई 2019 में निर्धारित ग्राम सभा बैठक में करने का निर्णय लिया गया.

ऊना: प्रदेश में बीपीएल परिवार का मामला तूल पकड़ते जा रहा है और इस कड़ी में पंचायती राज मंत्री वीरेंद्र कंवर ने विपक्ष पर जमकर पलटवार किया है. वीरेंद्र कंवर ने कहा कि बीपीएल परिवारों को हटाने का कोई निर्णय नहीं लिया गया. उन्होंने कहा कि विपक्ष भ्रामक प्रचार कर लोगों को बरगलाने का काम कर रहा है. पंचायती राज विभाग की ओर से बीपीएल परिवारों को सूची से हटाने का कोई निर्णय नहीं लिया गया है और न ही ग्राम पंचायतों को बीपीएल मुक्त करने के आदेश जारी किए गए हैं.

पंचायती राज मंत्री वीरेंद्र कंवर ने कहा मीडिया में प्रकाशित खबरों का खंडन करते हुए कहा कि विपक्ष यह भ्रामक प्रचार जनहित के कार्यों से बौखलाकर कर रहा है. उन्होंने स्पष्ट किया कि ग्रामीण विकास मंत्रालय केंद्र सरकार द्वारा 10वीं पंचवर्षीय योजना के लिए गरीबी की रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों के चयन के दिशा-निर्देश वर्ष 2002 में सभी राज्य सरकारों को जारी किए गए थे. सर्वे के आधार पर हिमाचल प्रदेश के बीपीएल परिवारों की अधिकतम संख्या 2,82,370 निर्धारित की गई थी.

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केंद्र सरकार की ओर से जारी फरवरी 2006 के निर्देशों में स्पष्ट किया गया था कि बीपीएल सूची में अपात्र परिवारों को हटाने के लिए बीपीएल सूचियों की समीक्षा संबंधित ग्राम सभा द्वारा वर्ष में केवल एक बार की जा सकेगी. इन दिशा-निर्देशों की अनुपालना में प्रदेश में बीपीएल सूचियों की समीक्षा ग्राम पंचायतों द्वारा समय-समय पर की जाती रही है.

प्रदेश स्तर पर विशेष अभियान के तौर पर बीपीएल सूचियों की प्रथम समीक्षा 6 अप्रैल 2008 की ग्राम सभा बैठकों में की गई थी, जिसमें 15,659 अपात्र परिवारों को बीपीएल सूची से हटाया गया और उनके स्थान पर 15,331 पात्र परिवारों को सूची में शामिल किया गया.

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दूसरी समीक्षा 3 अप्रैल 2011 की ग्राम सभा बैठकों में की गई, जिसमें 31,209 अपात्र परिवारों को सूची से हटाया गया और 30, 830 पात्र परिवार बीपीएल सूची में शामिल किए गए. तीसरी समीक्षा 7 अप्रैल 2013 की ग्राम सभा बैठकों में की गई, जिसमें 31,311 अपात्र परिवार हटाए गए तथा 30,970 पात्र परिवारों को बीपीएल सूची में शामिल किया गया. मई 2017 में विभाग ने विशेष अभियान चलाया था, जिसमें 8,699 अपात्र परिवारों को बीपीएल सूची से बाहर कर दिया गया.

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इसके बाद फरवरी 2018 से अप्रैल 2018 की अवधि में वर्तमान सरकार के प्रथम 100 दिवसीय कार्यक्रम के तहत एक विशेष अभियान चलाया गया, जिसमें ग्राम सभाओं के अनुमोदन के पश्चात 38,143 अपात्र परिवार बीपीएल से बाहर किए गए और उनके स्थान पर 32,176 पात्र परिवारों को सूची में डाला गया. इसी अभियान के दौरान प्रदेश की 36 ग्राम पंचायतों ने स्वेच्छा से अपनी-अपनी ग्राम पंचायतों को बीपीएल मुक्त घोषित किया था. यह निर्णय इन ग्राम पंचायतों ने पात्र बीपीएल परिवार के न मिलने के कारण ग्राम सभा की मंजूरी के बाद स्वयं को बीपीएल मुक्त घोषित किया है.

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मंत्री वीरेंद्र कंवर ने कहा कि सरकार ने यह निर्णय लिया गया है कि बीपीएल सूचियों की समीक्षा हर वर्ष अप्रैल माह में होने वाली ग्राम सभा की बैठक में की जाए लेकिन अप्रैल 2019 में ग्राम सभा की बैठकें सामान्य चुनाव के लिए लागू आदर्श आचार संहिता के कारण नहीं हो पाई, जिसके कारण बीपीएल सूचियों की समीक्षा जुलाई 2019 में निर्धारित ग्राम सभा बैठक में करने का निर्णय लिया गया.

Intro:पंचायती राज मंत्री वीरेंद्र कंवर ने विपक्ष पर किया पलटवार, कहा बीपीएल परिवारों को हटाने का नही लिया कोई निर्णय, भ्रामक प्रचार कर लोगों को बरगलाने का काम कर रहा विपक्ष।Body:पंचायती राज विभाग द्वारा बीपीएल परिवारों को सूची से हटाने का कोई निर्णय नहीं लिया गया है और न ही ग्राम पंचायतों को बीपीएल मुक्त करने के आदेश जारी किए गए हैं। पंचायती राज मंत्री वीरेंद्र कंवर ने कहा मीडिया में प्रकाशित खबरों का खंडन करते हुए कहा कि विपक्ष यह भ्रामक प्रचार जनहित के कार्यों से बौखलाकर कर रहा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि ग्रामीण विकास मंत्रालय केंद्र सरकार द्वारा 10वीं पंचवर्षीय योजना के लिए गरीबी की रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों के चयन के दिशा-निर्देश वर्ष 2002 में सभी राज्य सरकारों को जारी किए गए थे। सर्वे के आधार पर हिमाचल प्रदेश के बीपीएल परिवारों की अधिकतम संख्या 2,82,370 निर्धारित की गई थी।
केंद्र सरकार द्वारा जारी फरवरी 2006 के निर्देशों में स्पष्ट किया गया था कि बीपीएल सूची में अपात्र परिवारों को हटाने के लिए बीपीएल सूचियों की समीक्षा संबंधित ग्राम सभा द्वारा वर्ष में केवल एक बार की जा सकेगी। इन दिशा-निर्देशों की अनुपालना में प्रदेश में बीपीएल सूचियों की समीक्षा ग्राम पंचायतों द्वारा समय-समय पर की जाती रही है। प्रदेश स्तर पर विशेष अभियान के तौर पर बीपीएल सूचियों की प्रथम समीक्षा 6 अप्रैल 2008 की ग्राम सभा बैठकों में की गई थी, जिसमें 15,659 अपात्र परिवारों को बीपीएल सूची से हटाया गया तथा उनके स्थान पर 15,331 पात्र परिवारों को सूची में शामिल किया गया।
दूसरी समीक्षा 3 अप्रैल 2011 की ग्राम सभा बैठकों में की गई, जिसमें 31,209 अपात्र परिवारों को सूची से हटाया गया तथा 30, 830 पात्र परिवार बीपीएल सूची में शामिल किए गए। तीसरी समीक्षा 7 अप्रैल 2013 की ग्राम सभा बैठकों में की गई, जिसमें 31,311 अपात्र परिवार हटाए गए तथा 30,970 पात्र परिवारों को बीपीएल सूची में शामिल किया गया। मई 2017 में विभाग ने विशेष अभियान चलाया था, जिसमें 8,699 अपात्र परिवारों को बीपीएल सूची से बाहर कर दिया गया।
इसके उपरांत फरवरी 2018 से अप्रैल 2018 की अवधि में वर्तमान सरकार के प्रथम 100 दिवसीय कार्यक्रम के तहत एक विशेष अभियान चलाया गया, जिसमें ग्राम सभाओं के अनुमोदन के पश्चात 38,143 अपात्र परिवार बीपीएल से बाहर किए गए और उनके स्थान पर 32,176 पात्र परिवारों को सूची में डाला गया। इसी अभियान के दौरान प्रदेश की 36 ग्राम पंचायतों ने स्वेच्छा से अपनी-अपनी ग्राम पंचायतों को बीपीएल मुक्त घोषित किया था। यह निर्णय इन ग्राम पंचायतों ने पात्र बीपीएल परिवार के न मिलने के कारण ग्राम सभा की मंजूरी के बाद स्वयं को बीपीएल मुक्त घोषित किया है।
सरकार द्वारा यह निर्णय लिया गया है कि बीपीएल सूचियों की समीक्षा हर वर्ष अप्रैल माह में होने वाली ग्राम सभा की बैठक में की जाए परंतु अप्रैल 2019 में ग्राम सभा की बैठकें सामान्य चुनाव के लिए लागू आदर्श आचार संहिता के कारण नहीं हो पाई, जिसके कारण बीपीएल सूचियों की समीक्षा जुलाई 2019 में निर्धारित ग्राम सभा बैठक में करने का निर्णय लिया गया। प्रदेश की समस्त ग्राम पंचायतों में जुलाई 2019 में ग्राम सभा की बैठकें आयोजित की जा रही हैं व इन बैठकों में बीपीएल सूची में अपात्र परिवारों को हटाने व उनके स्थान पर पात्र परिवार शामिल करने का कार्य ग्राम सभाओं द्वारा किया जा रहा है।Conclusion:
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